गज़ल

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : मितानी

इही ल कहिथे मितानी संगी बनथे जउन ह  छानी  संगी। दुख के घड़ी म आँसू पोंछय ओकर गजब कहानी  संगी।… Read More

3 years ago

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : सत्ता धारी

जउन  हर  सत्ता  धारी  हे। उही  मन  तो   बैपारी   हे। जिनकर डमरु बजात हावै, सही  मा  ओ  ह  मदारी हे।… Read More

3 years ago

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : कइसे मा दिन बढ़िया आही

कइसे मा दिन बढ़िया आही। कइसे   रतिहा  अब  पहाही। गाए बर  ओला  आय  नहीं, कइसे ओ हर ताल मिलाही। बिन… Read More

3 years ago

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

झन फँसबे माया के जाल, सब  के  हावै  एके  हाल। कतको   तैं   पुन   कमाले, एक दिन अही तोरो काल। कौनो … Read More

3 years ago

सरगुजिहा गजल

ढेरेच्च गुमान भरल, मनखे कर जात । तेकर सेथी बिगडिस, मनखे कर जात ।। धरती कर रेंगइया, तरई ला माँगे।… Read More

3 years ago

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

आँसू के कीमत तैं का जनाबे। प्रेम- मोहब्बत तैं  का  जानबे। झगरा हावै धरम अउर जात के, हे असल इबादत… Read More

5 years ago

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

सोंचत-सोंचत रहिगेन हमन भूकत,  उछरत,  घूमत  हावै,  गाँव  के  मतवार  मन, लाँघन, भूखन बइठे हावै, कमिया अउ भुतियार मन। राज… Read More

5 years ago

का जनी कब तक रही पानी सगा

का जनी कब तक रही पानी सगा कब तलक हे साँस जिनगानी सगा आज हाहाकार हे जल बूँद बर ये… Read More

5 years ago

गजल : दिन कइसन अच्छा

दिन कइसन अच्छा आ गे जी। मरहा खुरहा पोक्खा गे जी ।। बस्ती बस्ती उजार कुंदरा महल अटारी तना गे… Read More

5 years ago

हमला तो गुदगुदावत हे, पर के चुगली – चारी हर : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल

1 जंगल के तेंदू - चार नँदागे, लाखड़ी, जिल्लो दार नँदागे। रोवत हावै जंगल के रूख मन, उनकर लहसत सब… Read More

5 years ago