गज़ल

ग़ज़ल : सुकवि बुधराम यादव

सुर म तो सोरिया सुघर - सब लोग मन जुरिया जहंय तैं डगर म रेंग भर तो - लोग मन ओरिया जहंय… Read More

9 years ago

छत्तीसगढ़ी गजल

काकर नाँव लिखत रहिथस तैं नँदिया तिर के कुधरी मा। राखे हावस पोस के काला तैंहर मन के भितरी मा।… Read More

9 years ago

छत्तीसगढ़ी गजल

दसो गाड़ा धान हा घर मा बोजाय हे जरहा बिड़ी तबले कान म खोंचाय हे. एक झन बिहाती, चुरपहिरी दूसर… Read More

10 years ago

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 2

रिमझिम पानी म मन मंजूर हो जाथे काबर बादर के गरजन मोला अब्बड डेरवाथे काबर ? पानी गिरथे तव ए… Read More

11 years ago

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 3

आम - लीम- बर- पीपर - पहिरे छत्तीसगढ के सबो गॉंव नदिया नरवा पार म बइठे छत्तीसगढ के सबो गॉंव… Read More

11 years ago

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 4

बाबा हर सरकार ल रामलीला ले चुपे-चुप चेताइस हे जनतंत्र के महत्व ल गॉंधी के भाखा म समझाइस हे। बाबा… Read More

11 years ago

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 5

रंग म बूड के फागुन आ गे बइठ पतंग सवारी म टेसू फूल धरे हे हाथ म ठाढे हावय दुवारी… Read More

11 years ago

गज़ल : छत्‍तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले

आगे बादर पानी के दिन अब तो पानी - पूरा आही बीत गे बोरे - बासी के दिन दार -… Read More

11 years ago

तीन छत्तीसगढ़ी गज़ल

दादूलाल जोशी ‘फरहद’ (1) सच के बोलइया ला ,जुरमिल के सब लतिया दीन जी । लबरा बोलिस खांटी झूठ ,… Read More

11 years ago