गज़ल

श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – ‘फुटहा दरपन’ अउ ‘मनखे मर गे’

फुटहा दरपन हरियर छइहाँ हर उदुप ले हरन हो गे तपत, जरत-भूँजात पाँव के मरन हो गे। घपटे रहि जाथे… Read More

13 years ago

श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – रतिहा

पहाड़-कस गरू हवय अँधियारी रतिहा टोनही बन गे हे एक कुआँरी रतिहा। बने रद्दा ह बने नइ लागय मनखे ला… Read More

13 years ago

श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – ‘पता नइये’ अउ ‘अभागिन भुइयाँ ‘

पता नइयेकखरो बिजहा ईमान के पता नइये कखरो सोनहा बिहान के पता नइये। घर-घर घपटे हे अँधियारी भैया गा सुरुज… Read More

13 years ago

श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – धन-पसु

पेट सिकन्दर हो गे हे मौसम अजगर हो गे हे। निच्चट सुक्खा पर गे घर आँखी पनियर हो गे हे।… Read More

13 years ago

श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – का कहिबे?

मन रोवत हे मुँह गावत हे का कहिबे गदहा घलो कका लागत हे का कहिबे? अब्बड़ अगियाए लागिस छइहाँ बैरी… Read More

13 years ago

डॉ. संजय दानी के छत्‍तीसगढ़ी गजल

होगे फ़ागुन हा सर पे सवार 'जोहार ले जोहार ले जोहार।नरवा खलखल हांसत है,नवा नवा फ़ूटत है धार्।(जोहार ले -… Read More

13 years ago

छत्‍तीसगढ़ी गज़ल – देखतेच हौ अउ आदत बना लन

देखतेच हौ बाती तेल सिराय अमर देखतेच हौबुझागे हवय दियना हमर देखतेच हौछोड़ किसानी अफसर बनिहौं कहिके टूरा लटक गीस… Read More

13 years ago

छत्‍तीसगढ़ी गज़ल – हमरे गाल अउ हमरे चटकन

हमरे गाल अउ हमरे चटकन बांध झन बिन गुड़ के लड़वा सिरिफ बानी म घर हजारों के उजर गय तोर… Read More

13 years ago

छत्‍तीसगढ़ी गज़ल – हम परदेशी तान ददा

मुरहा पोटरा आन ददा, लात ल तंय झन तान ददा। पानी टेक्‍टर भुइया तोर, हमला नौकर जान ददा। छेरी पठरू… Read More

13 years ago

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल सुरूज ला ढि़बरी देखाए देबे अउ मर जवान, मर किसान

सुरूज ला ढि़बरी देखाए देबेकरबे करम तो कमाये देबे,बारी म बीहन जगाए देबे।बदरी ले पानी उतर आही,जंगल म बंसी बजाए… Read More

13 years ago