1 जेकर हाथ म बंदूक भाला, अउ हावै तलवार जी, उन दुसमन के कइसे करबोन, हमन हर एतबार जी। कतको झन मन उनकर मनखे, कतको भीतर घाती हे, छुप – छुप के वार करे बर, बगरे हे उनकर नार जी। पुलवामा म घटना होईस, फाटिस हमार करेजा हर, बम फेंक के बदला लेयेन , मनाये […]
Category: गज़ल
छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
1. जब भट्टी मा आथे मनखे। जीयत ओ मर जाथे मनखे। अब गाँव उजर गे शहर खातिर, का खाथे का बँचाथे मनखे। लालच के चारा ला देख के, मछरी कस फँस जाथे मनखे। समय निकलथे जब हाथ ले, माथा पीट पछताथे मनखे। अपन दुख काकर संग बाँटे, पीरा ला भुलियाथे मनखे। भुलियाथे=सांत्वना देता है 2. […]
बसंत उपर एक छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
आ गे बंसत कोयली गात घलो नइ हे। संगी के गोठ अब , सुहात घलो नइ हे। सेमर न फूले हे, न परसा ह डहकत हे, आमा के माऊर हर, भात घलो नइ हे। हाथ मा हाथ धर, रेंगे जउन मोर संग, का होगे ओला, बिजरात घलो नइ हे। मनखे ले मनखे दुरिहावत हावै संगी, […]
छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
1 कर दे घोषना एक राम जी। पाँचों साल आराम राम जी। दावत खा ले का के हे चिंता। हमरे तोला सलाम राम जी। हावै बड़का जी तोर भाग ह, पढ़ ले तैं हर, कलाम राम जी। आने के काम म टाँग अड़ाना, हावै बस तोर काम राम जी। चारी – चुगली ह महामंत्र हे, […]
ग़ज़ल छत्तीसगढ़ी
भैया रे, तै हर नाता, अब हमर ले जोड लेबे, जिनगी के रद्दा उलटा हे, सँझकेरहा मोड़ लेबे। पहती सुकवा देखत हावै, सुरुज अब उगइया हे, अँधियारी संग तै मितानी, झप ले अउ छोड़ देबे। बिन छेका-रोका हम पर घर आबोन-जाबो जी, बड़का मन ल करे पैलगी, कहिबोन बबा गोड़ देबे। कइसनो राहय सरकार इहाँ, […]
छत्तीसगढ़ी गज़ल
अब नगरिहा गाये नहीं, काबर ददरिया। संगी ला बलाये नहीं, काबर ददरिया। बेरा-कुबेरा खेत-खार म गुंजत राहय, हमला अब लुभाये नहीं, काबर ददरिया। मन के पीरा, गीत बना के जेमा गावन, अंतस मा समाये नहीं, काबर ददरिया। कुहकत राहय ओ कोयली कस जंगल मा, पंछी कस उड़ाये नहीं, काबर ददरिया। करमा, सुआ अउर पंथी के […]
बलदाऊ राम साहू के छत्तीसगढ़ी गज़ल
1 झन कर हिसाब तैं, कौनो के पियार के । मया के लेन-देन नो हे बइपार के । मन के मंदिरवा मा लगे हे मूरत ह, कर ले इबादत, राख तैं सँवार के । मन के बात ला, मन मा तैं राख झन, बला लेते कहिथौं, तैं गोहार पार के। दिन ह पहागे अउ होगे […]
जम्मो नवा पुराना हावै। बात हमला दुहराना हावै । लूट सको तो लुट लौ भैया, सरकारी खजाना हावै । झूठ-लबारी कहि के सबला सत्ता तो हथियाना हावै। कतको अकन बात हर उनकर लागे गजब बचकाना हावै। पेट पलइया मांग करे तब, रंग – रंग के बहाना हावै। सब के मुँह म बात एके हे, उलटा […]
ग़ज़ल : उत्तर माढ़े हे सवाल के
हो गे चुनाव ये साल के। उत्तर माढ़े हे, सवाल के। बहुत चिकनाईस बात मा चिनहा ह दिखत हे, गाल के। आज हम कौन ल सँहरावन जम्मो हावै टेढ़ा चाल के। किस्सा सोसन के भूला के, रक्खौ लहू ला उबाल के। झन धरौ कौनो के पाँव ल, अपन ला रक्खौ सँभाल के। बलदाऊ राम साहू
सुरुज नवा उगा के देखन, अँधियारी भगा के देखन। रोवत रहिथे कतको इहाँ, उनला हम हँसा के देखन। भीतर मा सुलगत हे आगी, आँसू ले बुझा के देखन। कब तक रहहि दुरिहा-दुरिहा, संग ओला लगा के देखन। दुनिया म कतको दुखिया हे, दुख ल ग़ज़ल बना के देखन। बलदाऊ राम साहू