भाषण सबो देवइया हावै। सपना गजब देखइया हावै। कौन इहाँ जी सच ला कहही सब के सब भरमइया हावै। काकरो मुँह में थाहा नइ हे मर्यादा कौन निभइया हावै? देस के चिंता हावै कौन ल, गड़बड़ गीत गवइया हावै। सबरी कस रद्दा हम देखथन राम कहाँ ले अवइया हावै? थाहा=नियंत्रण बलदाऊ राम साहू
Category: गज़ल
हममन बस गोहरइया1 हावन2। उनकर पानी भरइया हावन।। देस के देवता-धामी मन के। पूजा हममन करइया हावन। उही मन समरथ, ग्यानी, पंडित। हम तो पाँव परइया हावन। राम-राज हर आही कहाँ ले पाछू-पाछू रेंगइया3 हावन। दुनिया हर आगु रेंगत हावै। उनकर पूछी धरइया4 हावन। बलदाऊ राम साहू 1. चिचोरी करने वाले, 2. हैं, 3. चलने […]
छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
थोरकिन तँहू जोहार बबा। बाँटत हावै सरकार बबा। दीही कहिथें बोनस अड़बड़ हाँथ ल अब बने पसार बबा। घर-घर मा मोबाइल आगे चुनई के हरे दरकार बबा। झँगलू – मंगलू नेता बनके ठाढ़े हे तोर दुवार बबा। दुरिहा-दुरिहा राहे जउन मन लपटत हावै, जस नार बबा। पाँच बरस तरसाइन जउन मन आज हावै, गजब उदार […]
गाँव रहिस सुग्घर, अब शहर होगे
बोली अउ भाखा हर जहर होगे, गाँव रहिस सुग्घर, अब शहर होगे। दिनो -दिन बाढ़त हे मंहगाई हर, मुश्किल अब्बड़ गुजर-बसर होगे। बैरी बनगे भाई के अब भाई हर, लागत हे, चुनई के गजब असर होगे। बलदाऊ राम साहू
गज़ल : किस्सा सुनाँव कइसे ?
ये पिरीत के किस्सा सुनाँव कइसे ? घाव बदन भर के ला लुकाँव कइसे ? देंवता कस जानेंव ओकर मया ला मँय हर , अब श्रद्धा म माथ ला झुकाँव कइसे ? पाँव धँसगे भुइँया म देखते देखत , बिन सहारा ऊपर ओला उचाँव कइसे ? पानी म धोवाय छुँही रंग सहिन दिखथे, हो तो […]
छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
आस लगा के बइठे हावस, हमरों कौनो पूछइया हे, जेन बेटा ला पाले-पोसे, परान उही लेवइया हे। खोर्रो मा सुतेस तैं अउ जठना जेकर जठायेस तैं हर, आज उसी हर सबले बड़का, तपनी कस तपइया हे। जेन खूँटा ला धरे हावस, उही हर होगे हे सरहा, सरवन बन के कौन तोला, तीरथ-बरत करइया हे। सातधार […]
छत्तीसगढ़ी गज़ल
सब्बो मतलबी यार होगे। तब्भे तो बंठा – धार होगे। मनखे मन मनखे ला मारिस इज्जत हर तार-तार होगे। धर लिन रद्दा बेटा मन सब परिया खेती – खार होगे। सावन, भादो, कुँवार निकले बादर हर अब बीमार होगे। कुतर-कुतर के खा लेव जम्मो मुसवा हमर सरकार होगे। साधु बबा हर जेल म चल दिस […]
छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
रद्दा मा काँटा बोवइया मन हर, सूरुज ला जीभ देखइया मन हर। देखौ, बिहनिया के सूरुज आगे, हरदम आँसू बोहइया मन हर। थोरको सोचौ, जानौ , समझौ रे, दूसर बर खाँचा खनइया मन हर। काबर पाछू तुम रेंगत हावौ, आने के पाँव गिनइया मन हर। बेरा आगे अब तो बरसो तुम, बादर कस गजब घपटइया […]
झपले तैं आ जा मोर कना, अंतस ला समझा मोर कना. सबके जिनगी मा सुख-दुख हे, पीरा ला भुलिया मोर कना. जिनगी भर जऊन रोवत हें, उनला झन रोवा मोर कना. बात बिगड़ जथे, बात बात मा बात बने फरिहा मोर कना. पीथे अँधियारी ल दिया हर, बार दिया ला तैं मोर कना. कतको झन […]
ग़ज़ल : गुलेल
हम बेंदरा अन, उन मंदारी लागत हावैं, धरे गुलेल हे, बड़े सिकारी लागत हावैं। हमरे इहाँ कौनो पूछइया हावै काँहाँ, हम बोबरा उन बरा-सोंहारी लागत हावैं। हाथ मा जेकर राज-पाठ ला सौंपे हम मन, उन राजा कहाँ, बड़े बैपारी लागत हावैं। जउन मनखे हर सीता जी के हरन करीन हे, आज मंदिर के बड़े पुजारी […]