Categories
गज़ल

ललित नागेश के गज़ल

दुख संग म मोर गजब यारी हे दरद म हांसे के बीमारी हे! कहां सकबो नगदी मोलियाय तरी उपर सांस घलो उधारी हे! आंसू म धोआगे मन के मइल काकरो बर बैर न लबारी हे ! रोना ल गाना बना दंव मय हर पा जांव हुनर के बस तय्यारी हे ! जे दिन कलेचुप देखबे […]

Categories
गज़ल

गज़ल – ओखी

तोर संग जब जब मोर जीत के दांव होती आही, पासा के चले बर चाल तोला बस गोंटी चाही! कभू नीलम कभू हुदहुद कभू धरे नाव सुनामी, मोला करे बरबाद अब तोला तो ‘ओखी’ चाही! मोर घर कुंदरा उड़ागे तोर रूप के बंड़ोरा म, उघरगे लाज बचाये बर दू गज लंगोटी चाही! आगी बरथे मोर […]

Categories
गज़ल

छत्तीसगढ़ी गज़ल

कब ले खड़े हस तै बताय नही ए धुंधरा म बिया चिन्हाय नही! मुहु मांगे मौसम मयारू संगी बर हुदुप ले कहुं मेर सपड़ाय नही ! सिरावत हे रूखवा कम होगे बरसा लगाये बिरवा फेर पानी रूताय नही! अनजान होगे आनगांव कस परोसी देख के घलो हांसे गोठियाय नही! जेती देखबे गिट्टी सिरमिच के जंगल […]

Categories
गज़ल

छत्तीसगढ़ी गज़ल

बनना हे त जग म मयारू बन के देख पढ़ना हे त मया के दू आखर पढ़ के देख! अमरीत पीये कस लागही ये जिनगी ह काकरो मया म एक घांव तै मर के देख! बड़ पावन निरमल अउ गहरी ये दाहरा नइ पतियास त एक घांव उतर के देख पूस के ठुनठुनी होय चाहे […]

Categories
गज़ल

छत्तीसगढ़ी गज़ल

लईका ले लईका के बाप होगे करिया ले सादा चुंदी अपनेआप होगे! बिन मंतर भोकवा कस देखत हे दाई नेवरा त गोसईन सांप होगे! कुड़ेरा कस मुहू बनाय बहू खटिया धरे बेटा मनात बिहनिया ले रात होगे! घर बार नही जमीन जहेजाद नही का बताबे इंहा तो करेजा के नाप होगे! अपने घर म परदेशिया […]

Categories
गज़ल

छत्तीसगढ़ी गज़ल

परकीति बर झिल्ली बिन ईलाज के अजार होगे जगा जगा पहाड़ कस कचरा के भरमार होगे! सरय नही गलय नही साग भाजी कस पचय नही खा के मरत गाय गरूवा एक नही हजार होगे! जोंक कस चपके एकर मोह मनखे के मन म घेरी बेरी बंद चालू करत एला सरकार होगे! लजाथे शरमाथे झोला धर […]

Categories
गज़ल

तेजनाथ के गजल

छोटे छोटे खड़ म तो , दुनिया बट जाही , अउ छोटे छोटे करम ले संगी , दुनिया सज जाही । “अकेल्ला मैं का कर सकथौ” झन सोंच, तोर मुस्कुराये ले सबके खुसी बढ़ जाही । दुख दरिदरी , परसानी पहाड़ जस हे भले, फेर किरचा किरचा म संगी ,पहाड़ टर जाही | तैं नहीं […]

Categories
किताब कोठी गज़ल

कोजन का होही

धर्मेन्‍द्र निर्मल के गज़ल संग्रह संपूर्ण काव्‍य सेव करें और आफलाईन पढ़ें

Categories
कविता किताब कोठी गज़ल गीत

सवनाही : रामेश्वर शर्मा

संपूर्ण खण्‍ड काव्‍य सेव करें और आफलाईन पढ़ें

Categories
गज़ल

धर्मेन्द्र निर्मल के पाँच गज़ल

कौड़ी घलो जादा हे मोल बोल हाँस के कौड़ी घलो जादा हे मोल बोल हाँस के। एकलउता चारा हे मनखे के फाँस के।। टोर देथे सीत घलो पथरा के गरब ला। बइठ के बिहिनिया ले फूल उपर हाँस के।। सबे जगा काम नइ आय, सस्तर अउ सास्तर। बिगर हाँक फूँक बड़े काम होथे हाँस के।। […]