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गज़ल

बसंत ‘नाचीज’ के छत्तीसगढी गजल

बिना, गत बानी के  घर, नाना नानी के डोकरी, डोकरा बिन, दवई पानी के आय डोली, काकर ढेला रानी के लगत कइसन हो होरा छानी के ऊंचा है दाम काहे कानी के बतावथस अइसन देबे लानी के दिखथे करेजा कस तरबुज चानी के बके आंय बांय बेइमानी करके कर दान, पुन ऊना नि कभू दानी […]