छत्तीसगढ़ के माटी सेव करें और आफलाईन पढ़ें Read More
लिखे-पढ़े के सुख कोनो भी देस-राज के तरक्की के मूल म भासा. संस्कृति अउ जनम भुंई के महात्तम माने जाथे।… Read More
दाई ! तोर डेरौठी म , दिया बन के बर जतेंव ॥ अंधियारी हा गहरावथे , मनखे ला डरूहावथे ।… Read More
गवां गेंहव अपने घर म बनगे मंय जिगयासा हौं खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं। सहर म… Read More
दिखय ना कोनो मेर, हवय के नाव बुतागे खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे ।। दिखय ना कोनो मेर, हवय… Read More
मोर छत्तीसगढ़ के किसान जेला कहिथे भुंइया के भगवान | भूख पियास ल सहिके संगी उपजावत हे धान | बड़े… Read More
मोर छत्तीसगढ़ भुंइया के,कतका गुन ल मैं गांवव | चन्दन कस जेकर माटी हाबे,मैं ओला माथ नवांवव || ये माटी… Read More
छत्तीसगढ़ी हे हमर, भाखा अउ पहिचान । छोड़व जी हिन भावना, करलव गरब गुमान ।। करलव गरब गुमान, राज भाषा… Read More
घर के छान्ही ले चिरई बोले रे... घर के दाई अब नइ दिखे रे... अंगना ह कईसे लिपावत नइ हे....… Read More