गीत

ग़ज़ल : सुकवि बुधराम यादव

सुर म तो सोरिया सुघर - सब लोग मन जुरिया जहंय तैं डगर म रेंग भर तो - लोग मन ओरिया जहंय… Read More

9 years ago

जिनगी के बेताल – सुकवि बुधराम यादव

"डोकरा भइन कबीर "-बुधराम यादव (डॉ अजय पाठक की कृति "बूढ़े हुए कबीर " का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद ) के एक बानगी जिनगी… Read More

9 years ago

गाँव कहाँ सोरियावत हें (छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह के कुछ अंश )

जुन्ना दइहनहीं म जब ले दारु भट्ठी होटल खुलगे टूरा टनका मन बहकत हें सब चाल चरित्तर ल भूलगें मुख… Read More

9 years ago

=वाह रे चुनाव=

वाह रे चुनाव तोर बुता जतिच नाव। जब ले तंय आए हच,होगे काँव काँव। भाई संग भाई ल तंय हा,लड़वा… Read More

9 years ago

अब लाठी ठोंक

चर डारिन गोल्लर मन धान के फोंक । हकाले म नइ मानय अब लाठी ठोंक ।। जॉंगर चलय नही जुवारी… Read More

9 years ago

होथे कइसे संत हा (कुण्डलिया)

काला कहि अब संत रे, आसा गे सब  टूट । ढोंगी ढ़ोंगी साधु हे, धरम करम के लूट ।। धरम… Read More

9 years ago

लोरी

सुत जबे सुत जबे लल्ला रे सुत जबे न एसे मजा के रे बेटा मोर पलना मा सुत जबे सपना… Read More

10 years ago

फुदुक-फुदुक भई फुदुक-फुदुक….

(छत्तीसगढ़ी भाषा के इस बालगीत को मैं अपनी मझली बेटी के लिए तब लिखा था, जब वह करीब एक वर्ष… Read More

10 years ago

वंदे मातरम…

घर-घर ले अब सोर सुनाथे वंदे मातरम लइका-लइका अलख जगाथें वंदे मातरम... देश के पुरवाही म घुरगे वंदे मातरम सांस-सांस… Read More

10 years ago

कुण्डलियाँ

नंदावत चीला फरा,अउ नंदाय जांता । झांपी चरिहा झउहा,नंदावत हे बांगा। नंदावत हे बांगा,पानी कामे भरबो। जांता बीना हमन,दार कामे… Read More

10 years ago