गीत

नारायण लाल परमार के कबिता

मन के धन ला छीन पराईसटूटिस पलक के सीपउझर गे पसरा ओखरबांचे हे दू चारकि अखिंयन मोती ले लो ।आस… Read More

13 years ago

गीत : सारी

मोर सारी परम पियारी गार‍इपुरहिन अलग चिन्हारी गाकातिक मा ज‍इसे सियारी गा फ़ागुन मा ज‍इसे ओन्हारी गा हाँसय त झर-झर… Read More

13 years ago

पं.द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’ के गीत

तोला देखे रेहेंव गा, तोला देखे रेहेंव गा ।धमनी के घाट मा बोईर तरी रे ।।लकर धकर आये जोही, आंखी… Read More

13 years ago

जनकवि स्व.कोदूराम’दलित’ जनम के सौ बरिस म बिसेस : ”धान-लुवाई”

चल संगवारी ! चल संगवारिन ,धान लुए ला जाई ,मातिस धान-लुवाई अड़बड़ ,मातिस धान-लुवाई.पाकिस धान- अजान,भेजरी,गुरमटिया,बैकोनी,कारी-बरई ,बुढ़िया-बांको,लुचाई,श्याम-सलोनी.धान के डोली पींयर-पींयर,दीखय… Read More

14 years ago

मन डोले रे मांग फगुनवा …. बादर के दिन म फागुन लावत हें भाई लक्ष्‍मण मस्‍तुरिहा

छत्‍तीसगढ़ के नामी कबि गीतकार साहित्‍यकार लक्षमण मस्‍तुरिहा कवि सम्‍मेलन म -आरंभ मा पढव : - साथियों मिलते हैं एक… Read More

14 years ago

आंखीं म गड़ जाए रे चढ़ती जवानी

छत्‍तीसगढ़ के नामी कबि गीतकार साहित्‍यकार लक्षमण मस्‍तुरिहा कवि सम्‍मेलन म - आरंभ मा पढव : - साथियों मिलते हैं… Read More

14 years ago

हांसत हे सोनहा धान के बाली ह

पींवरा लुगरा पहिरे धरतीहांसत हे, सोनहा धान के बाली ह।पींवरा पींवरा खेतखार दिखत हे,कुलकत हे अन्नपूर्णा महरानी ह॥गांव-गांव म मात… Read More

14 years ago

मिर्चा भजिया खाये हे पेट गडगडाये हे

बस मे कब ले ठाढे हँव बइठे बर जघा दे देले दे खुसर पाये हँव निकले बर जघा दे देभीड… Read More

14 years ago

रामेश्वर वैष्णव के कबिता आडियो

(राजनीतिज्ञो ने जो पशुता के क्षेत्र मे उन्नति की है उससे सारे पशु आतंकित है)पिछू पिछू जाथे तेला छटारा पेलाथे… Read More

14 years ago

मनकुरिया

मनकुरिया म काय नींगे हे रेकाय नींगे हावे मन कुरिया मंजेखर मूहू लाल लाल, जेखर गाल हे पताल जेखर नीयत… Read More

15 years ago