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धन-धन रे मोर किसान

धन-धन रे मोर किसान धन-धन रे मोर किसान मैं तो तोला जानेव तैं अस, तैं अस भुंइया के भगवान। तीन हाथ के पटकू पहिरे मूड मं बांधे फरिया ठंड-गरम चऊमास कटिस तोर काया परगे करिया कमाये बर नइ चिन्हस मंझंन सांझ अऊ बिहान। तरिया तीर तोर गांव बसे हे बुडती बाजू बंजर चारो खूंट मं […]

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छतीसगढ़िया सबले बढ़िया

चिन्ता नईहे कोनो बात के, पाबे इहाँ कमईया। खेले होली म रंग-गुलाल, देवारी म जलाथे इहाँ दिया।। नदिया बईला कथे बईला ल, गाय ल गऊ मईया। कहाथन तभे तो भइया हमन, छतीसगढ़िया सबले बढ़िया।। महामाया माता रतनपुर म, रईपुर म बंजारी मईया। बम्लाई मईया डोंगरगढ के, दंतेवाड़ा म दंतेश्वरी मईया। चरण पखारव मईया तुहर, मेहा […]

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जयति जय जय छत्तीसगढ़ देस, चेतावनी, लावनी – पं. लोचन प्रसाद पाण्डेय

4 जनवरी 1887 को रायगढ़ ज़िले में बालपुर नामक ग्राम में जन्मे लोचन प्रसाद पाण्डेय हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। इन्होंने हिन्दी, संस्कृत एवं उड़िया दोनों भाषाओं में काव्य रचनाएँ भी की हैं। सन 1905 से ही इनकी कविताएँ ‘सरस्वती’ तथा अन्य मासिक पत्रिकाओं में छपने लगी थीं। मुख्य रचनाएँ’ दो मित्र’, ‘प्रवासी’, ‘कविता कुसुम […]

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बोधन राम निषाद राज के तीन छत्‍तीसगढ़ी गीत

1. पनिया भरन खातिर पनिया भरन खातिर, जावय सगरी।। छोटे छोटे हाथ मा, धरे छोटे गघरी।। जमुना के तीर खड़े,जोहत सईया। रसता ल देखय, मया के करईया।। कदम के डार तरी, बाजय बँसरी। पनिया भरन खातिर……………. वृन्दाबन के छोरा,बरसाना के छोरी। रास रचाए ब्रज में, नाचे गोपी गोरी।। गइया पाछू घुमे बन मा, ओढ़े खुमरी। […]

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मोर सोन चिरईया अउ मोहन के बाँसुरिया : गीत

मोर सोन चिरईया हाय रे मोर सोन चिरईया। परत हँव मँय तोर पईया।। जिनगी हा मोरे हे उधार। हो जाही तन हा न्योछार।। उगती के हे सुरुज देखव, दाई तोर बिंदिया बरोबर। डोंगरी पहाड़ मा छाए, हरियर हे लुगरा बरोबर।। अरपा अउ पैरी के धारी। गंगा कस नदिया प्यारी।। गोड़ ला धोवत हे तुम्हार। पावन […]

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हाय मोला मया लागे अउ रतिया तँय पूस के

हाय मोला मया लागे हाय ओ …हाय मोला मया लागे ओ…. मिरगी कस रेंगना मोला मया लागे ओ.. हाय रे…हाय मोला मया लागे रे… झुलुप वाले बइहा मोला मया लागे रे… हिरदे मोर तँय हा,कहाँ ले समाए ओ। बइहा बनाई डारे,जादू तँय चलाए ओ।। रद्दा बताए मोला,दया लागे ओ….. हाय ओ…हाय मोला……. ए रे कजरारे […]

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बोधन राम निषाद राज के तीन गीत

1. मोर कान्हा तरसाई डारे मोर कान्हा तँय जीव ला, तरसाई डारे। बिन मारे मँय तो मर गेंव, भुलाई डारे।। मोर कान्हा तँय जीव ला … ओ जमुना के तीर अउ,कदम के छइहाँ। झुलना झुलाए डारे, जोरे दूनों बइहाँ।। बही होगेंव का मोहनी ला, खवाई डारे। मोर कान्हा तँय जीव ला … आँखीं मा मोरो […]

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मोर छत्तीसगढ़ मइयां

मोर छत्तीसगढ़ मइयां। परथंव मंय तोरे पइयां। बासी के खवइया, मइयां हो sss सुग्घर बोली मीठ लागे न। हो मइयां हो sss हरियर अंचरा नीक लागे न। सुवा पंथी करमा ददरिया, नाचा मन ल भावय ग। झांझ मंजीरा घुँघरू मांदर, संगे संग सुनावय ग। नाचे कलगी मुड़ म खोंचे। गौरा गौरी मुड़ म बोके। धोती […]

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बोधन राम निषाद राज के गीत

ए माटी हा चन्दन हे ए माटी मा हीरा मोती,ए माटी हा चन्दन हे। मोर छत्तीसगढ़ माई,एला सौ सौ बंदन हे।। ए माटी मा हीरा मोती……………. जनम धरेंव खेलेंवे कूदेंव,ए माटी के अँगना। धुर्रा माथा मा लगायेंव,भाई बहिनी सँगना।। भरे कटोरा धान के, कोठी ढोली कुंदन हे। ए माटी मा हीरा मोती……………. मोर गँवई गाँव […]

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मीठ बोली हे मैना कस

मीठ बोली हे मैना कस,भाखा छत्तीसगढ़ी। बने बने गोठियालौ संगी,सबके मन बढ़ही।। हो हो हो…….. सुआ अउ ददरिया के, गुरतुर मिठास हे। कोयली बोले मैना अउ,पड़की के आस हे।। जरन दे जरइया ला,ओखर छाती जरही। मीठ बोली हे मैना कस…….हो हो हो…. करमा में झूमय सबो, बने माढ़े ताल हा। पागा में कलगी खोंचे,थिरकतहे चाल […]