महतारी ममता मया, महिमा मरम अपार। दाई देवी देवता, बंदव चरन पखार। महतारी सुभकामना, तन मन के बिसवास। कोंवर कोरा हा लगै, धरती कभू अगास। बिन माँगे देथे सबो, अंतस अगम अभास। ए दुनिया हे मतलबी, तोर असल हे आस। महतारी आदर सहित, पायलगी सौ बार।।1 महतारी ममता मया, महिमा मरम अपार। मीठ कलेवा मोटरा, मधुरस मिसरी घोल। दाई लोरी गीत हा, लगय कोइली बोल। सरधा सिरतो सार हे, सरन सरग अनमोल। महतारी के मया ला, रुपिया मा झन तोल। करजा हर साँसा चढ़े, जिनगी तोर उधार।।2 महतारी ममता मया,…
Read MoreCategory: गीत
निषाद राज के दोहा अउ गीत
पांव के पैजनियाँ…आ… संझा अउ बिहनिया। गुरतुर सुहावै मोला तान ओ, गड़गे करेजवा मा बान ओ। पाँव के पैजनिया….आ…आ.. झुल-झुल के रेंगना तोर,जिवरा मोर जलावै। टेंड़गी नजर देखना तोर,जोगनी ह लजावै।। नाक के नथुनिया…..आ.. संझा अउ बिहनिया। झुमका झूलत हावै कान ओ, गुरतुर सुहावै मोला तान ओ। पाँव के पैजनियाँ…… चन्दा कस रूप तोर,चंदैनी कस बिंदिया। सपना देखत रहिथौं,नइ आवय निंदिया।। गोड़ के तोर बिछिया…आ.. संझा अउ बिहनिया। होगेंव मँय रानी हलकान ओ, गुरतुर सुहावै मोला तान ओ। पाँव के पैजनियाँ……. तोर मुसकाये ले ओ, फूल घलो झरत हे। देख…
Read Moreमई दिवस म बनिहार मन ल समर्पित दोहागीत
जय हे जाँगर जोस के, जुग-जुग ले जयकार। सिरतों सिरजन हार तैं, पायलगी बनिहार। खेत-खार नाँगर-बखर, माटी बसे परान। कुदरा रापा हा कहे, मोर हवे पहिचान । लहू पछीना ओलहा, बंजर खिले बहार।1 सिरतों सिरजन हार तैं…… घाट-घटौंदा घरउहा, महल-अटारी धाम। सड़क नहर पुलिया गढे़, करथव कब बिसराम। सरलग समरथ साधना, सौ-सौ हे जोहार।2 सिरतों सिरजन हार तैं……. ईंटा-पखरा जोरके, धर करनी गुरमाल। खद्दर खपरा खोंधरा, मस्त मगन हर हाल। सोसक सरई सोनहा, बनी-भुती खमहार।3 सिरतों सिरजन हार तैं……. अन्न-धन्न दाता तहीं, सुख सब तोरे पाँव। परछी परवा मा रहे,…
Read Moreमोर गाँव ले गँवई गँवागे
मोर गाँव ले गँवई गँवागे बटकी के बासी खवई गँवागे मुड़ ले उड़ागे पागा खुमरी पाँव ले पनही भँदई गँवागे सुग्घर दाई बबा के कहिनी सुनन जुरमिल भाई बहिनी करमा सुआ खोखो फुगड़ी लइकन के खुडवई गँवागे खाके चीला अँगाकर फरा जोतै नाँगर तता अरा रा दूध कसेली खौंड़ी म चूरै मही के लेवना लेवई गँवागे आगे मोबाइल टीबी पसरगे राग सुमत ल सबो बिसरगे तीज तिहार म घर घर घुम घुम ठेठरी खुरमी खवई गँवागे करधन एैंठी खिनवा पहुँची फँुदरी माहुर बोहागे गऊकी लीखपोहना अउ ककवा ले मुड़ के…
Read Moreभक्ति करय भगत के जेन
परिया परगे धनहा डोलि, जांगर कोन खपाय। मीठलबरा के पाछू घुमैईया, ससन भर के खाय। बांचा मानै येकर मनके, कुंदरा, महल बन जाय। मिहनत करैईया भूखे मरय, करमछड़हा देखव मसमोटाय। लबारी के दिन बऊराय, ईमान देखव थरथराय। पसीना गारे जेन कमाय, पेट में लात उही ह खाय। भक्ति करय भगत के जेन, पावय परसाद दपट के। खंती माटी कोड़य जेन, मार खावय सपट के। विजेंद्र वर्मा अनजान नगरगाँव (धरसीवां) विजेंद्र वर्मा अनजान नगरगाँव(धरसीवां)
Read Moreगरमी अब्बड़ बाढ़त हे
गरमी अब्बड़ बाढ़त हे, कइसे दिन ल पहाबो। गरम गरम हावा चलत हे, कूलर पंखा चलाबो।। घेरी बेरी प्यास लगत हे , पानी दिनभर पियाथे । भात ह खवाय नही जी, बासी गट गट लिलाथे। आमा के चटनी ह, गरमी म अब्बड़ मिठाथे। नान नान लइका मन, नून मिरचा संग खाथे। पेड़ सबो कटा गेहे, छाँव कहा ले पाबो। पानी सबो सुखा गेहे, प्यास कइसे बुझाबो।। चिरई चिरगुन भटकत हे, चारा खाय बर तड़पत हे। पेड़ सबो कटा गेहे, घोसला बनाय बर तरसत हे। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया (कवर्धा )…
Read Moreपंडित शुकलाल पाण्डेय : छत्तीसगढ़ गौरव
हमर देस ये हमर देस छत्तीसगढ़ आगू रहिस जगत सिरमौर। दक्खिन कौसल नांव रहिस है मुलुक मुलुक मां सोर। रामचंद सीता अउ लछिमन, पिता हुकुम से बिहरिन बन बन। हमर देस मां आ तीनों झन, रतनपुर के रामटेकरी मां करे रहिन है ठौर।। घुमिन इहां औ ऐती ओती, फैलिय पद रज चारो कोती। यही हमर बढ़िया है बपौती, आ देवता इहां औ रज ला आंजे नैन निटोर।। राम के महतारी कौसिल्या, इहें के राजा के है बिटिया। हमर भाग कैसन है बढ़िया, इहें हमर भगवान राम के कभू रहिस ममिओर।।…
Read Moreमोर छतीसगढ़ महान हे
छतीसगढ़ के पबरित भुईया जस गावत जहान हे वीर जनमईया बलिदानी भुईया मोर छतीसगढ़ महान हे होवत बिहनिया सुरुज के लाली नित नवा अंजोर बगरावय मटकत रुखवा पुरवईया म डोंगरी पहाड़ी शोभा बढ़हावय जन जन के हिरदे म मानवता मया के खदान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे करिया तन म मनखे ईहा सत ईमान के ढांचा रिस्ता नाता जबर पोठ हे राम ईहा के भाचा मया पीरा बर घेच कटईया मनखे गुणवान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे मोर छत्तीसगढ़ महान हे कल कल बोहावत महानदी संग…
Read Moreतेजनाथ के रचना
बड़ उथल-पुथल हे मन म, आखिर का पायेंव जीवन म? जंगल गेयेंव घर,परिवार छोड़ के, घेर लिस ‘तियागे के अहम’ उंहा भी बन म। देह के बंधन ले मुक्ति बर देह मिले, कहिथें, अउ पूरा जिनगीए सिरागे देह के जतन म। अमका होही, ढमका होही, कहिथें, फलाने दिन,दिसा,फलाने लगन… म। बड़ दिक्कत हे, दुख हे दुनों हाल म, लइका हे अउ नइहे तभो आंगन म। कमा -कमा के मर गेंव मैं, दूसर मरगे सिरिफ जलन म। ये जीवन-वो जीवन,सरग-नरक, पाप-पुन…, महिं जस मथागे जिनगी,उलझन म। थक गेंव सांति अउ खुसी…
Read Moreआँखी मा आँखी
आँखी मा आँखी तँय मिला के देख ले। जिनगी के बीख ला पीया के देख ले।। आँखी मा आँखी……… पथरा के मुरती नो हँव महुँ मनखे आँव, नइ हे बिसवास तँय हिलाके दे ख ले। आँखी मा आँखी……… हिरदे मा तोर नाँव के लहू दउड़त हावै, धक-धक ए जिवरा धड़काके देख ले। आँखी मा आँखी………. नइ हे कोनों तोर सहीं नाँव के पुछइया, मया के चिन्हारी ओ चिनहाके देख ले। आँखी मा आँखी…………. दुनिया मा मया के बजार हावै “बोधन”, एको दिन तो तहुँ हा बिसाके देख ले। आँखी मा…
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