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गोठ बात

भाईचारा अउ शांति के संदेश देथे ईद-उल-फितर

रोजा रखना फाका रखना नो हे, बल्कि येमा अल्लाह के अराधना, लोगन ले सद् बेवहार करना अउ गुनाह ले बचे के भाव हे। येमा अहसास हे कि गरीब मनखे मन कोन तरह ले भूख-पियास म सही के जिनगी बिताथे। ये भाव हर मनखे ल मनखे बने रहे के संदेश देथे। रोजा हर समे मन म […]

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गोठ बात

नाटक अऊ डॉ. खूबचंद बघेल

आज जरूरत हे अइसना साहित्यकार के जेन ह छत्तीसगढ़ के धार्मिक राजनैतिक अऊ सामाजिक परिवेस के दरसन अपन लेखन के माध्यम ले करा सकय। बिना ये कहे के मैं ह पहिली नाटककार आवं के कवि आंव। आज के कुछ लेखक मन ये सोच के लिखत हावंय के मैं ह कोन मेर फिट होहूं। जल्द बाजी […]

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गोठ बात

बाल साहित्य के पीरा

आजकल बाल साहित्य देखे म नई आवय। दूकान बाजार म लइका मन ल बने पुस्तक भेंट देना हे, सोच के कहूं पुस्तक मांगेस तव दूकान वाला सोच म पर जथे। कहिनी पुस्तक तो अब है नहीं। जेन हावय तेन दिल्ली प्रकासन के कुछ लोककथा सरिख पुस्तक मिलथे या फेर पंचतंत्र के कहिनी सरिख बड़े-बड़े जानवर […]

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पंचलाईट

ख्मंच मा परकास, मुनरी अंगना ला बाहरत हावय अउ घरि घरि बाहिर कोति झांकत हावय, बाहिर लंग गोधन गाना गात हावय, कुछु देर पीछू मुनरी भीतरिया जाथे। , गोधनः- सोना देवें सुनार ला, वो पायल बना दीस। दिल देवें मुनरी ला, वो घायल बना दीस।। ख्मुनरी फेर अंगना मा आके बाहिर झांके बर लागथे, दूनोंझन […]

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महाकवि कपिलनाथ कश्यप के ‘रामकथा’ के कुछ अंस

कैकेयी वरदान भरतलाल के गादी सुन दुख होथे तुंहला, मांग-मांग कहके फोकट गंधवाया मोला। रोवा झिन अब कहिस कैकयी खुबिच रिसाके, अइसन लगथे लाये, मोल बिसाके ॥1॥ तपसी मन अस भेख बनाके, बन नहीं जाही राम बिहनिया। मैं महुरा खाके मर जाहंव, ले के राम अवध तूं रइया॥ 2॥ डोंगहा संवाद डोंगा मा बइठा के […]

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में नो हों महराज: नारायण लाल परमार

एक ले एक हे हुसियार ,में नो हों महराज। करे सब करिया कारोबार, मे नो हो महराज॥ कनवा ला कनवा कहइया होहीं कोन्हो दूसर, गउ के किरिया हे हवलदार, मे नो हों महराज ॥ सब के बांटा ला अपन मान के जे खावत हें, कोन्हों कुकुर होही सरकार, मे नो हों महराज॥ देस ला कतकोझन, […]

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गोठ बात

छत्तीसगढ़ म जनचेतना के उन्नायक संत गुरु घासीदास

संत परंपरा के मनखे मन जन-चेतना के बिकास म अपन योगदान दे के समाज ल एक नवा दिसा देथे। समाज में अइसे कतको बिसगति समा जाथे, जोन ह समाज ल आगू नइ बढ़न दे। धीरे-धीरे समाज म एक जड़ता आ जाथे। आम मनखे मन ये जड़ता ल अपन जीवन म अपना लेथे अउ रूढ़ता के […]

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गोठ बात

ढेलवा डोंगरी

हमर गांव डाहर झलप के तीर म ढेलवा डोंगरी हे। एकर ले संबंधित भीम अउ हिरमिसी कैना (हिडम्बनी) के एक कथा हे। ये डोंगरी म ओ कैना के महल रिहीस अउ झूले बर बड़े जनिक ढेलवा रिहीस। पंडो मन के बनवास के समय घूमत घामत एक दिन भीम ह ओ डोंगरी म आगे। ढेलवा झूलत […]

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छत्तीसगढ़ गौरव के रचियता पंडित शुकलाल पांडेय

 प्रो. अश्विनी केशरवानी भव्य ललाट, त्रिपुंड चंदन, सघन काली मूंछें और गांधी टोपी लगाये सांवले, ठिगने व्यक्तित्व के धनी पंडित शुकलाल पांडेय छत्‍तीसगढ़ के द्विवेदी युगीन साहित्यकारों में से एक थे.. और पंडित प्रहलाद दुबे, पंडित अनंतराम पांडेय, पंडित मेदिनीप्रसाद पांडेय, पंडित मालिकराम भोगहा, पंडित हीराराम त्रिपाठी, गोविंदसाव, पंडित पुरूषोत्‍तम प्रसाद पांडेय, वेदनाथ शर्मा, […]

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गोठ बात

लॉकडाउन म का करत हें असम के छत्‍तीसगढ़ वंशी

लाकडाउन के बीच कई दिन के बाद असम म रहइया कुछ छत्तीसगढ़िया मनखे मन ले बातचीत होइस। पहली बात होइस बामनवाड़ी निवासी ललित साहू ले जेकर काली जन्मदिन रहिस। ललित के पूर्वज धमतरी तीर के जंवरतला नाम के गांव ले चाय बागान म काम करे बर असम गे रहिन जिहां अभी उंखर पांचवा पीढ़ी निवास […]