……हमर संस्कीरिती, हमर परंपरा अउ हमर सभ्यता हमर पहिचान ये।हमर संस्कीरिती हमर आत्मा ये।छत्तीसगढ़ के लोक परब, लोक परंपरा, अउ लोक संस्कीरिती ह सबो परदेस के परंपरा ले आन किसम के हावय।जिहाँ मनखे-मनखे के परेम, मनखे के सुख-दुख अउ वोखर उमंग, उछाह ह घलो लोक परंपरा के रूप म अभिव्यक्ति पाथे। जिंनगी के दुख, पीरा अउ हतास, निरास के जाल म फंसे मनखे जब येकर ले छुटकारा पाथे, अउ जब राग द्वेस से ऊपर उठ के उमंग अउ उछाह ले जब माटी के गीत गाथे अउ हमन खुसी ल जब…
Read MoreCategory: गोठ बात
सरद पुन्नी अऊ कातिक महिना के महत्तम
हमर देस राज म हमर संसकिरीति सभियता रचे बसे हावय। हर परब के बिसेस महत्तम हावय। येमा एक परब सरद पुन्नी हे। कुंआर महिना के पुन्नी ल सरद पुन्नी के नाव ले जाने जाथे। हमर हिन्दू धरम म पंचांग के अनुसार वैसे तो हर महिना के बिसेस होथे। अइसने रितु हे सरद। गोस्वामी तुलसीदास जी अपन रामचरितमानस म भगवान राम अऊ भैया लछमन के बीच संवाद जो कि किसकिंधा कांड म सरद रितु के बरनन अऊ महत्तम के बारे म लिखे हावय। जे रितु के राम भगवान ह अपन मुख…
Read Moreबतावव कइसे ?
मया पिरीत म बँधाय हन जम्मो, ए बँधना ले पाछू छोड़ावव मै कइसे? !1! बिना लक्छ के मोर डोंगा चलत हे, येला बने कुन रद्दा देखावव मै कइसे? !2! तोर दुख अऊ पीरा ल मानेव अपन मै, ओ पीरा ल तोर भूलावव मै कइसे? !3! नी देखे सकव तोर आँखी म आँसू, बिन जबरन तोला रोवावव मै कइसे? !4! सुरता ह तोर बड़ सताथे ओ संगी, अपन सुरता करवावव मै कइसे? !5! मया त तोर ले बड़ करथो जहुरिया, ये मया ल तोला जतावव मै कइसे? !6! ये मया पिरीत…
Read Moreसिंगारपुर के माँवली दाई
हमर माँवली दाई के धाम हमर नान्हें छत्तीसगढ़ राज ला उपजे बाढ़हे अभी खूब मा खूब सोला बच्छर होवत हे फेर छत्तीसगढ़ राज के नाँव के अलख जगावत कतको साल होवत हे। हमर छत्तीसगढ़ राज के जुन्ना इतिहास हा बड़ प्रसिद्ध अउ सुग्घर हावय। ए राज के बीचो-बीच मा शिवनाथ नदिया बोहावत हावय। इही शिवनाथ नदिया के दुनो पार मा अठारा-अठारा ठन गढ़ प्राचीन समे मा ठाढ़े रहीन। एखरे सेती ए राज के नाँव छत्तीसगढ़ पड़ीच हे अइसन कहे जाथे। इही छत्तीसगढ़ मा के एकठन गढ़ हमर गवँई-गाँव सिंगारपुर (माँवली)…
Read Moreनवरात्र परब : मानस में दुर्गा
हमर छत्तीसगढ़ मा महापरब नवरात ला अड़बड़ उछाह ले मनाय जाथे।नौ दिन तक गाँव के शीतला (माता देवाला) मा अखंड जोत जलाय जाथे अउ सेवा गीत गाय जाथे ।गाँव गाँव मा दुर्गा के मूरती मढ़ाके नौ दिन ले पूजा करे जाथे। गाँवभर के जुरमिल के ये परब ला भक्तिभाव ले मनाथे। छत्तीसगढ़ मा गाँव के संगे संग छोटे,मंझला अउ बड़का सहर मा दुर्गा माता के बड़े बड़े मूर्ति, बड़े बड़े जगमग जगमग करत पंडाल, नाच पेखन, जगराता, सांस्कृतिक कार्यक्रम के नवरात परब के दर्शन होथय। नवरात परब मा छत्तीसगढ़ मा…
Read Moreपितर पाख : पितर अउ कउँवा
कउँवा के नाँव सुनत एक अइसे चिरई के रुप दिखथे,जेकर रंग बिरबिट करिया, एक आँखी फूटहा माने अपसकुनी, बोली मा टेचरहा, मीठ बोली ला जानय नहीं ,खाय बर ललचहा, झगरहा, कुल मिलाके काम , क्रोध, लोभ मोह, ईर्ष्या, तृष्णा के समिल्हा रुप।सब चिरई मन ले अलग रहइया।अपन चारा ला बाँट के नइ खावय। अइसे तो कउँवा के महिमा हा सबो जुग मा हावय।सतजुग मा भगवान शंकर हा सबले पहिली राम कथा ला पार्बती ला सुनाईस।वो कथा ला पेड़ मा उपर बइठे ये कउँवा चिरई हा सुन डारिस।शंकर के असीस से…
Read Moreपितर बिदा के दिन आ गय
कुंवार महीना के प्रतिपदा से लेके अमावस तक पंद्रह दिन पितर पाख के नाम ले जाने जाथे। ए पन्द्रह दिन म लोगन मन अपन अपन पुरखा ला जल चढाथें।अपन पुरखा के आत्मा के शांति अउ तृप्ति बर श्रद्धा के साथ श्राद्ध करम ला यही पितर पाख म करे जाथे। संस्कृत म कहे जाथे कि “श्रद्धया इदं श्राधम” (जउन श्रद्धा भाव ले करे जाय वही हर श्राद्ध आय)। हमर हिंदू धरम म पितर मन के उद्धार करे बर पुत्र के कामना करे जाथे। पितर पाख म मनखे मन हर मन ,…
Read Moreहमर शिक्षा व्यवस्था
पढ़हईया लईका मन ला हमर देश के सिरिजन करईया कहे जाथे। फेर आज के दिन मा ऊखर जिनगी के संग खिलवाड़ होवत हवै। ओ लईका मन ल बिन जबरन के कल्लई करात हवै। आजे काली बिहिनिया कुन पेपर म पढ़ेबर मिलिस कि एक झन लईका ह 12वीं म पहिलि सेरेणी म पास होगे हवै तभो ले कालेज म अपन मन के पढ़ नी सकत हवै। पेपर म छपय रिहिस कि ओ लईका ह एसो 12वीं के परीक्छा दे रिहिस। फेर ओ लईका के काय गलती। ऐमा गलती तो ओछर पेपर…
Read Moreनवा तिहार के खोज
तिहार के नाँव सुनते भार रोटी पीठा,लिपई पोतई, साफ सफई के सुरता आ जाथे।छत्तीसगढ़ गढ़ मा सबो किसम के तिहार ला मनाय जाथे।छत्तीसगढ़ के तिहार हा देबी देंवता , पुरखा, खेती किसानी ले जुड़े परंपरा के सेती मनाय जाथे।फागुन राँधे चैत खाय के हाना घलाव चले आवत हे। पुरखा मन बर अक्ति, पितर, तिहार आथे। देबी देंवता मन के तो सबो तिहार मा पूजा पाठ होथय।अक्ति, रामनवमीं, रथ दूज, हरेली, राखी, तीजा पोरा, गनेश पक्ष, जवाँरा, नवरात्रि, भोजली, दसहरा,देवारी भाई दूज, अइसने किसम के हर पून्नी मा तिहार ला रखे…
Read Moreआठे कन्हैया – 36 गढ़ मा सिरि किसन के लोक स्वरूप
– प्रोफेसर अश्विनी केसरबानी छत्तिसगढ़ मा तेरता जुग अऊ द्वापर जुग के किसिम किसिम के बात देखे अऊ सुने बर मिलथे। ये हमर सब्बो छत्तिसगढ़िया मन के सउभाग्य हवे कि अइसे पवित भुइंया म हमर जनम होये हवे अउ इहां रहत हवन। इहां जगह जगह म राधा किसन के मंदिर हवय जेकर दरवाजा म गरूण जी हाथ जोरे बइठे दिखते। इहां के छोटे बड़े, अमीर गरीब अउ जंगल म रहवाइया आदिवासी मन के मन म ओखर प्रति अगाध सरधा हवय। सबके मन म सिरि किसन के लोक स्वरूप के कल्पना…
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