रमजान अउ पुरूषोत्तम के महीना : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा ! अधिक मास के हमर जिनगी म भारी महत्तम हावय रे ! फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमन नानपन ले सुनत आवत हन-“हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई, आपस में सब भाई-भाई।” हमर भारत देस के यही विशेषता हवय कि इंहा अनेकता में एकता के वास हावय। इंहा भांति-भांति के धर्म, रीति-रिवाज अउ संस्कृति के मेल हावय एखरे सेती हमर भारत जइसे देस पूरा विश्व मे अउ…

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चारो जुग म परसिद्ध सिवरीनरायन

प्रोफेसर अश्विनी केसरवानी सिवरीनरायन छत्तीसगढ़ के नवा जिला जांजगीर-चांपा म महानदी के खड़ में बसे जुन्ना, पबरित अउ धारमिक तीरथ हवे। ऐला आज सब्बो झन जानथे। इहां शिवनाथ अउ जोंक नदिया ह महानदी में मिलके पबरित अउ मुक्ति देवइया संगम बनाथे। इहां मरइया मन ल अउ ओखर हड्डी ल सेराये ले मुक्ति मिल जाथे। अइसने पोथी पुरान में घलोक लिखाय हे। ऐकरे बर इहां मरइया मन के हड्डी से सेराय बर अड़बड़ झन आथे अउ पिंडा पानी पारथे। महानदी के अड़बड़ महत्ता हे। जुन्ना सिवरीनरायन महात्तम ल पंडित मालिकराम भोगहा…

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मोर लइका पास होगे

पूनाराम आज अड़बड़ खुस हे।बोर्ड परीछा के रिजल्ट निकलिस हे। जब चार महिना के मेहनत पाछू धान मिंज के लछमी ल घर लाथय तब गांव में रहइया गरीब किसान खुस होथे। सरी चिन्ता मेटा जाथे। ओइने आज एक साल के चिन्ता ले मुक्ति मिलिस।आज ओकर नोनी तारनी हा दूसरा दर्जा बारवीं पास होगे। अपन जिद मा बेटी ला रोज पांच किमी दुरिहा सायकल मा आन गांव मा भेज के पढ़ावत रहिस।ओकर बेटी ला पढ़ाय के संकलप पूरा होगे। गनेस,लछमी सरसती के असीस मिलगे। पढ़इया लइका के पास होय के सबले…

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एकमई राखव परवार ला

आज घर ईंटा, पखरा, छड़, सीरमिट, रेती, गिट्टी, माटी, लकड़ी जइसन आनी-बानी के जीनिस ले बने ला धर लीच अउ परवार उजड़े ला धर लीस। परवार अइसन कोनो जीनिस ले नइच बनय। परवार पियार, मया, दुलार ले, भरोसा, आदर सम्मान ले बनथे। घर मा रहइया छोटे-बड़े के भाव ला समझे अउ समझाय ले परवार बनथ अउ चलथे। परवार सिरिफ चार-छै झन के सँघरा रहे के नाँव नो हे। एके सँघरा एके कुरिया मा रहे ले का होही जब इँखर बीच मन मा कोनो सोच विचार के मेल-मिलाप नइ रहय। मन…

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वृक्षारोपण के गोठ

आज बड़ बिहिनिया ले नर्सरी म जम्मो फूल अउ बड़का रूख के नान्हे-नान्हे पौधा मन म खुसी के लहर ड़़उंड़त हवय, काबर आज वृक्षारोपण कार्यकरम म जम्मो नर्सरी के फूल अउ बड़का रूख मन के नान्हे-नान्हे पौधा ल लेहे बर बड़का जनिक ट्ररक हर नर्सरी म आये हवय. गोंदा, मोंगरा, गुलाब फूल अउ चंदन के नानकुन पौधा मन आपस म गोठियावत रिहिन. गोंदा हर गोठियावत रिहिस-” अवो बहिनि मन इही वृक्षारोपण का हरे, मेहर कभू नइ देखे हववं, इही नर्सरी ले बाहिर के दुनियां ल देखेबर अब्बड़ बेचेन हवँ. “ओखर…

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पानी बिना जग अंधियार

पानी ह जिनगी के अधार हरे। बिना पानी के कोनो जीव जन्तु अऊ पेड़ पौधा नइ रहि सके। पानी हे त सब हे, अऊ पानी नइहे त कुछु नइहे। ये संसार ह बिन पानी के नइ चल सकय। ऐकरे पाय रहिम कवि जी कहे हे – रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये ना उबरे, मोती मानुष चून।। आज के जमाना में सबले जादा महत्व होगे हे पानी के बचत करना । पहिली के जमाना में पानी के जादा किल्लत नइ रिहिसे। नदियाँ, तरिया अऊ कुंवा मन में…

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मोर लइका ल कोन दुलारही

पूनाराम के बड़े बेटी सुनीता के बिहाव होय छै बच्छर ले जादा बीत गे।एक झन साढ़े चार बच्छर के बेटी अउ दू बच्छर के बेटा हवय। सुनीता अपन ग्यारा बच्छर के भाँची ल पहली कक्षा ले अपने कर राख के पढ़ात हवय। सुनीता के गोसइया कुलेस सहर के अस्पताल के गाड़ी चलाथे।ठेकादारी हरय पक्की नी होय हे।सुनीता घर मा पीको फाल अउ बुलाउस सिलके दू चार पइसा कमा लेथे। सुनीता मन तीन देरान जेठान होथय। वो हा छोटकी बहू आय।जादा नइ पढ़े हवय ।गांव मा 12 वी तक इस्कूल हवय…

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लइका अउ सियान खेलव कुरिया मा

गरमी नंगत बाड़ गे हवय।सियान ल कोन पुछय,लइका मन घर कुरिया ले निकले के हिम्मत नइ करत हे।वइसे आजकल के लइकामन घलाव थोकिन सुगसुगहा बानी के रहिथे।दाईच ददा मन ओला अइसने बना डरे हावय। माटी मा झन खेल, घाम मा झन जा कुलर कर बइठ, ठंडा पानी पी,ताते तात खा …..। नानम परकार के टोकई मा लइकामन परिस्थिति ले जूझे अउ सहे के ताकत ल गवाँ डरिस। अब तो गांव लगे न सहर, गरमी के दिन मा लइका न अमरइया जाय,न धूपछाँव खेलय, न डंडा पिचरंगा खेलय।कुरिया मा धंधाय लइका…

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माटी के महिमा हे करसि के ठंडा पानी

जइसे-जइसे महीना ह आघु बढ़त हे, वइसने गरमी ह अउ बाढ़त जात हे, गरमी ले बांचे के खातिर सब्बो मनखे ह किसिम-किसिम के उपाय करथे, काबर के अब्बड़ गरमी म रहे ले स्वास्थ जल्दी खराब होथे, फेर अइसे गरमी के बेरा म अपन स्वास्थ के बढ़ धियान रखे ल लगथे, काबर के येहि बेरा म सूर्य देव के किरपा अब्बड़ रहिथे सब्बो परानी जीव जगत बर। अउ सूर्य देव के किरपा ले कोनो नइ बचें अब्बो बर बराबर किरपा करथे सूर्य देव ह। वइसे गरमी के बेरा हो चाहे अउ…

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बेटी मन ल बचाए बर

अपन रखवार खुद बनव, छोंड़व सरम लजाए बर। घर घर मा दुस्साशन जन्मे, अब आही कोन बचाए बर।। महाकाली के रूप धरके, कुकर्मी के सँघार करव। मरजादा के टोर के रुंधना, टँगिया ल फेर धार करव।। अब बेरा आगे बेटी मन ला, धरहा हँसिया ल थम्हाए बर… अपन रखवार….. बेटी के लहू मा, भुँइया लिपागे, दुस्साशन अब ले जिन्दा हे। होगे राजनीति बोट के सेती, मनखेपन(मानवता)शर्मिन्दा हे।। भिर कछोरा रन मा कूदव, महाभारत सिरजाए बर… अपन रखवार….. बेटी के लाज के ठेका लेवईया, दुर्योधन मन थानेदार होगे। आफिस मन मा…

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