बेरा के गोठ : सुखी जिनगी जियेबर छत्तीसगढ़िया सिखव बिदुर नीति

हमन सब जानथन दुवापर जुग मा हस्तिनापुर के महामंतरी महातमा बिदुर जी कृष्न भक्त रहिन। भगवान ह दुर्योधन के 56 भोग ल छोड़के बिदुर के घर भाजी साग खायबर गिस। इही महाभारत के बेरा बिदुर जी ह धृतराष्ट ल सांति अउ नियाव के सीख देवय। भलुक ओ हा नइ मानय। ओकरे सेती वो कभू सुख ल नइ पाय सकीस।बिदुर जी कहिथे सुखी जिनगी बिताय खातिर सबो मनखे ल अपन समरथ के बरोबर बूता करना चाही। नान्हे लइका, बड़े चेलिक, नोनी-बाबू, सियान, बहिनी, महतारी, कोनो होय अपन सकउक बूता करना चाही…

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महानदी पैरी अउ सोढुर तीनो के मिलन इस्थान म लगथे राजिम मेला

तीन नदी के बने पुनय संगम इस्थल राजिम दाई के धाम ह महानदी पैरी अउ सोढुर नदी छत्तीसगढ़ के तीरथ इस्थान कहाथे। जेमा हर बछर माघी पुन्नी म कुलेश्वर महादेव के मंदिर मेर महाशिवरातरी के बेरा म बड़का मेला भराथे। जेन ह अभी के आने वाला समय म कुंभ के बड़का रूप धर ले हे। ये मेला ह हर बछर महाकुम्भ के नाव ले भराथे, अउ पूरा छत्तीसगढ़ म परसीध हे। जेमा देवी गंगा के आरती के बरोबर दाई महानदी के आरती करथे,येखर पूजा करथे, जेखर पूरा वयवसथा सांस्कृतिक विभाग…

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भारतीय संविधान अउ महतारी भाखा

गणतंत्र दिवस के तिहार हमर पूरा देस म हमर देस के स्वतंत्र संविधान लागू करे खुसी म हर बछर 26 जनवरी के दिन मनाय जाथे। संविधान के मतलब होथे देस म सासन चलाय के नियम-कानून। हमर देस के कानून अउ सासन बेवस्था हमर संविधान म दर्ज धारा, अनुच्छेद अउ अनुसूची के मुताबिक चलथे। जब संविधान लागू हो चुके हे तौ वोमा लिखाय हर बात के पालन घलो होना चाही। आपमन ल ये जान के ताज्जुब होही के संविधान के अनुच्छेद 350 (क) म लिखाय बात के पालन हमर छत्तीसगढ़ राज…

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उछाह के परब गणतंत्र दिवस

26 जनवरी के दिन हा हमर बर राष्ट्रीय तिहार आय, अउ हमन जम्मों झन ये उछाह के परब गणतंत्र दिवस ला मिलके मनाथन। ये दिन ला हमन अपन संविधान के स्थापना दिवस के रूप मा घलो जानथन। फेर संविधान के सिरतो मा सम्मान करे बर येखर महत्ता ला जानना घलो जरूरी हे। गणतंत्र बर कहे गे हवय “मनखे के, मनखे बर, मनखे ले”। हमर इही बिचार ल संविधान के रुप म संजोय गे हवय। हमर दू सौ बछर के अंग्रेजी गुलामी ले 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिलिस फेर…

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पीरा ल कइसे बतावंव

आजकल फेसबुक, वाट्सअप अउ दुनियाभर के सोसल मीडिया म एक ठी नवा चलागन चले हे। आइ ए एस परीक्षा म पूछे गे सवाल- सही उत्तर बताय म 99% फैल। कुछ भी अंते-तंते सवाल रथे बिगन मुड़ी पुछी के। तभो ले मोबाइल के दीवाना मन दिन-रात उही म भिड़े रइथे। फेर मैं जेन सवाल ल पूछत हौं तेकर जवाब देय बर सेंट परसेंट फैल हो जही। सवाल हे- “अइसन कोन सा काम हवय जेला मास्टर मन नइ कर सकय?” उत्तर बताने वाला म सेंट परसेंट के फैल होना पक्का। ए तीर…

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छत्तीसगढी फिलिम अउ लोककला मंच के’दीपक’ शिवकुमार

शिवकुमार दीपक ह छत्तीसगढी फिलिम अउ लोक कला मंच के स्थापित हास्य कलाकार ए। इंकर कला यात्रा नानपन ले सुरू होगे रिहिस। नानपन म रामलीला, कृष्‍ण लीला, नाचा देखे बर घर म बिना बताय संगवारी मन संग दूसर गांव चल देत रिहिस। इमन स्कूल नई जाके संगी-साथी मन संग टोली बनाके ककरो सुन्ना घर म लीला अउ नाच के खेल खेलंय। एक समे अइसन आइस जब नागपुर म अखिल भारतीय युवा महोत्सव म ‘जीवन पुस्प’ नाटक के प्रदर्शन करे के मउका मिलिस। देस के पहिली प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ह…

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कोड़ो-बोड़ो- नवा बच्छर मा नवा उतसव*

> >> > > >> > *********************************************************************************** > >> > सबले पहिली आप सबो ला नवा बच्छर के नंगत बधई अउ शुभकामना > >> > हावय। > >> > मोर अंतस के इही उद्गार हे के सरी संसार हा हाँसत-गावत अउ मुसकावत नवा > >> > बच्छर के > >> > सुवागत करयँ अउ पूरा बच्छर भर हा बिघन-बाधा के बिन बित जावय। कोनो हा पाछू > >> > साल > >> > के कोनो गलती ला कोनो गलती ले झन दोहरावँय। नवा साल हा दगदग ले, रगरग ले >…

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मुक्का उपास

माघ महीना के अमावसिया ला मौनी अमावसिया कहे जाथे। एहा एक परब बरोबर होथे एखरे सेती एला मुक्का उपास के परब कहीथे। ए दिन ए परब के बरत करइया मन ला कलेचुप रहीके अपन साधना ला पूरन करना चाही। मुनि सब्द ले मौनी सब्द हा बने हावय। एखर सेती ए बरत मा कलेचुप मउन धारन करके अपन बरत ला पूरा करइया ला मुनि पद हा मिलथे। ए दिन गंगा-जमुना मा असनांद करना चाही। ए अमावसिया हा सम्मार के परगे ता अउ जादा बाढ़ जाथे। ए दिन धरती के कोनो कोन्टा…

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छत्तीसगढ़ी कविता

दारू अउ नसा ह जब, इंहा ले बंद हो जाही। ‎तभे, गांवे के लइका मन, ‎विवेकानंद हो पाही।। जवानी आज भुलागे हे, गुटका अउ खैनी मा। देश कइसे चढ़ पाही? बिकास के निंसैनी मा।। जब गांवे ह गोकुल, अउ ददा ह नंद हो जाही… तभे गावें…. भ्रष्टाचार समागे हे, जवानी के गगरी मा। तभे लइका चले जाथे, आतंक के पै-डगरी मा।। देशभक्ति हो जाये तो, परमानंद हो जाही…. तभे गांवे…. पढ़ादव पाठ नवा इनला, देस बर आस हो जाही। कोनों भगत इंदिरा तो कोनो सुभाष हो जाही।। नवा पीढ़ी म…

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तिल-तिल बाढे़ के दिन जानव (14 जनवरी मकर संक्रान्ति)

हर साल नवा बछर मा 14 जनवरी के दिन हमन मकर संक्रान्ति परब ला बहुॅत धूम-धाम से मनाथन। अइसे तो ए तिहार ला देस अउ बिदेस म घलाव मनाए जाथे फेर ए तिहार के का महत्तम हे एला जानव……… धार्मिक महत्तम- मकर संक्रान्ति के परब ला जिनगी के संकल्प लेहे के परब घलाव कहे जाथे। ए दिन ला मन अउ इंद्रीय मा अंकुस लगाए के संकल्प के रूप मा घलाव मनाए जाथे। पितामह भीष्म हर मकर संक्रान्ति के दिन अपन परान ला त्यागे के परन लेहे रहिस हावै जबकि उनला…

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