संगवारी हो, हमर छत्तीसगढ़ राज ह धान कटोरा धानी राज आय। कला धरम संसकिरिति अउ बहुत अकन रीति रिवाज ह हमर धनी भुईया के चन्दन कस म समाये हे। हमर भईया के गोटी माटी ह किसान मन के मेहनत अउ जागर टोर कमाई ले सोना हीरा जइसे कीमती रतन बन जाथे। तेखरे सेती हमर भुइया ल रतनगरभा भुईया कहें जाथे। धान के कटोरा छतीसगढ़ म किसान मन अपन करम अउ जांगर के चलत ले खेत खार म धान अउ गहु ल उपजाथे। अउ पूरा छतीसगढ़ म सबो तिहार सबो रीतिरिवाज…
Read MoreCategory: गोठ बात
हंडा पाय हे किथे सिरतोन ये ते लबारी
समझ नई परय काकर गोठ सिरतोन ये काकर ह लबारी, कोनों करते चारी, कोनों बड़ई त कोनों बघारथे सेखी अऊ हुसयारी। सियनहा मन ह गाँव के गुड़ी म चऊपाल जमाय रिहिस हे, मेंहा भिलई ले गाँव गेहव त ओकरे मन करा पायलगी करे बर चल देयेव। ओमेर शुकलाल, रामरतन, मनीराम अऊ किसन सियनहा बड़े ददा मन ह हाल चाल पूछिस मोर, मेंहा केहेव सब बने बने हे बड़े ददा, तुही मन सुनावव ग गाँव गवई के गोठ ल केहेंव, तहाले रामरतन बड़ा ह का सुनावन मुन्ना तै जानथस ते नई…
Read Moreदिनेश चौहान के गोहार : महतारी भाखा कुरबानी मांगत हे
हमन छत्तीसगढ़़ के रहइया हरन। छत्तीसगढ़िया कहाथन। वइसे हमर प्रदेस म कई ठी बोली बोले जाथे। छत्तीसगढ़ी, हलबी, भतरी, कुडुख, सरगुजिहा, सदरी, गोंड़ी आदि आदि। फेर छत्तीसगढ़ी बोलने वाला जादा हवंय। जब छत्तीसगढ़़ के भासा के बात आथे तौ छत्तीसगढ़ी के नांव ही आगू आथे। इही पाय के छत्तीसगढ़ी ल छत्तीसगढ़़ के राजभासा बनाय गे हे। अब ए तीर एक ठी सवाल उठथे, ये बात ल जानथे कतका झन? मोर आप मन से इही सवाल हे के आज ले पहिली ये बात ल कतका झन जानत रेहेव? सरकार छत्तीसगढ़ी ल…
Read Moreअभार अभिनंदन अटल जी के (25 दिसंबर अटल बिहारी वाजपेयी के जनमदिन)
छत्तीसगढ राज के जनम 1 नवंबर 2000 के दिन होइस हे। लाखों-लाख जनता के आँखी के सपना जब सच होइस, पूरा होइस ता खुशी के मारे आँखी के आँसू थिरके के नांव नइच लेवत रहीस। कतका प्रयास, कतका आंदोलन अउ कतका संघर्ष के पाछू हमला हमर छत्तीसगढ राज हा मिलीस। छत्तीसगढ हा बच्छर 2000 के पहिली मध्यप्रदेश मा सांझर-मिंझर के चलत रहीस हे। एक बङका राज के संरक्छन मा छत्तीसगढ के सुवाँस हा अपनेच छाती भीतरी फूलय अउ छटपटी हा सरलग बाढत रहीस। एक ठन बङे बर रुख के खाल्हे…
Read Moreहमर संस्कृति म भारी पड़त हे मरनी भात खवाना
हमर देस म सांस्कृतिक परम्परा के संगे-संग कई प्रकार के सामाजिक कुरीति मन के घलोक भारी भरमार हे, जेमा एक हे मरनी भात (मृत्यु भोज) खवाना जेन ह समाज के सोच अउ विकास ल पाछु करत जात हे। कई बछर पाछु के बेरा ले चले आत ये परम्परा हे कि कोनो भी मनखे मरथे त ओखर मरे के बाद सगा-संबंधी ल भात खवाये ल लगथे। ओहु एक घव नई दु या फेर तीन घव खवाये ल लगथे। येहि ल दशगात्र, तेरही, बरसी कथे जेमा संबंधी मन ल भात खवाये ल…
Read Moreजड़काला मा रखव धियान
हमर भारत भुईयाँ के सरी धरती सरग जइसन हावय। इहां रिंगी चिंगी फुलवारी बरोबर रिती-रिवाज,आनी बानी के जात अउ धरम,बोली-भाखा के फूल फूले हावय। एखरे संगे संग रंग-रंग के रहन-सहन,खाना-पीना इहां सबो मा सुघराई हावय। हमर देश के परियावरन घलाव हा देश अउ समाज के हिसाब ले गजब फभथे। इही परियावरन के हिसाब ले देश अउ समाज हा घलो चलथे। इही परियावरन के संगे संग देश के अर्थबेवसथा हा घलाव चलथे-फिरथे। भारत मा परियावरन हा इहां के ऋतु अनुसार सजथे संवरथे। भारत मा एक बच्छर मा छै ऋतु होथे अउ…
Read Moreबाबा के सात सिद्धांत अउ सतनाम मनइया
हमर छत्तीसगढ़ के भूइंया हा पबरित अउ महान हे जेमा बड़े बड़े ग्यानिक अउ बिद्वान मन जनम धरीन।जौन देस अउ समाज ल नवा रद्दा बताइन।छत्तीसगढ़ बीर मन के भुइंया हरे फेर इही भुइंया मा गहिरागुरु, स्वामी आत्मानंद जइसन समाज सुधरइया अउ रद्दा बतइया मन जनम धरीन। इही मा एक नाव गुरु बाबाघासीदास घलो हे। जौन छत्तीसगढ़ के माटी मा बच्छर 1756 मा महंगूदास अउ अमरौतिन के कोरा ला धन्य करिन। गुरु घासीदास के जनम जौन बखत होइस ओ बेरा समाज हा जातिभेद, टोनहा टोनही,ऊंचनीच, गरीबी, दरिद्री ले जुझत रहिस।छुआछूत के…
Read Moreगुरू बबा के गियान ला गुनव
हमर छत्तीसगढ मा दिसंबर के महीना मा हमर गुरू घाँसी दास बबा के जनम जयंती ला बङ सरद्धा अउ बिसवास ले मनाथें। गुरु बबा के परति आसथा अउ आदर देखाय के सबले सुग्घर,सरल उदिम हरय जघा-जघा जयंती मनाना। उछाह के संग भकती के मिलाप ले जयंती हा अब्बङ पबरित जीनिस बन जाथे। जयंती के तियारी पंदरही के आगू ले करत आथें। गाँव-गाँव,गली-गली, चउक-चउराहा मा सादा सादा धजा,सादा तोरन पताका,सादा-सादगी ले पंथी नाच गान के अयोजन अउ प्रतियोगिता महीना भर चलत रहीथे। पंथी नाच गान हा सुनता अउ जोश के अद्भुद…
Read Moreसुनय सबके, करय अपन मन के : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! सुनय सबके अउ करय अपन मन के रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमन ला भगवान हर मुंह एक ठन अउ कान दू ठन देहे हावय काबर कि हमन सुने के बुता जादा अउ गोठियाय के बुता कम करन फेर हमर से अइऐ हो नई सकय काबर कि हमन बोले के बुता जादा अउ सुने के बुता कम करथन अउ एखरे सेती हमन ला कभू-कभू…
Read Moreकिसान के पीरा
आज के दिन बादर ह मोला समझ म नइ आवय। एक डाहर राज्य सरकार मन ह किसान मन के करजा ल माफ करेबर परियास करथे, उहचे दूसर डाहर केन्द्र म बइठे नेता मन ह उही करजा के हाँसी उड़ाथे कि एहा आज काली फेशन बनगे हवै। इहाँ किसान मन ह करजा के मारे लदाके अपन जान घलो दे देवथे अऊ मंत्री मन वहू मा कमेंट मारे बर नइ छोड़त हवै। आज बिहिनिया कुन मेहा पेपर ल पलटत रेहेव त पढ़ेव कि आज एक झन अऊ किसान भाई ह करजा के…
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