हमर हिन्दू पंचांग में अगहन महीना के बहुत महत्व हे। कातिक के बाद अगहन मास में गुरुवार के दिन अगहन बिरस्पति के पूजा करे जाथे । भगवान बिरस्पति देव के पूजा करे से लछमी माता ह संगे संग घर में आथे। वइसे भी भगवान बिरस्पति ल धन अऊ बुद्धि के देवता माने गे हे । एकर पूजा करे से लछमी , विदया, संतान अऊ मनवांछित फल के प्राप्ति होथे । परिवार में सुख शांति बने रहिथे । नोनी बाबू के जल्दी बिहाव तको लग जाथे । पूजा के विधान –…
Read MoreCategory: गोठ बात
बालदिवस : मया करइया कका नेहरु
हमर देस मा गजबेच अकन महापुरुष मन जनम धरीन ।जौन देस धरम बर अपन तन ल निछावर करीन।अइसने एक महापुरुष हमर देस के पहिली परधानमंतरी पं. जवाहरलाल नेहरु हरय।जौन लइका मन ल गजबेच मया दुलार करय।एकरे सेती लइकामन ओला नेहरु कका (चाचा नेहरु) काहय। लइका मन संग मया के किस्सा उंखर लिखे किताब मा घलाव मिलथे।एक बेरा के गोठ आय जब नेहरु जी केरल के एक गांव कार्यकरम मा जात रीहिस तब सड़क अउ तीर तखार के घर के भांड़ी मा खड़े होके मनखे, लाइका, सियान, चेलिक, माईलोगिन मन परधानमंतरी…
Read Moreमितानी के बिसरत संस्कृति
हर बच्छर राखी तिहार के आगू नीते पाछू नवा पीढी के नान्हे-नान्हे लइका अउ सग्यान नोनी-बाबू मन ल एक-दूसर के हांथ म आनी-बानी रंग-बिरंगी सुंतरी बांधत देखथंव त अचरित लागथे।एला ओमन फरेंडशीप बेल्ट किथे।अउ ये बेल्ट बांधे के तिहार ल फरेंडशीप-डे।माने संगी जंहुरिया ल बेल्ट बांधके अपन संगी होय के दोसदारी जताय के परब।पहिली ये बिदेसी तिहार ल बडे-बडे सहर के नोनी-बाबू मन मनावय।फेर धीरे-धीरे येहा हमर छत्तीसगढ़ के गंवई म घलो संचरत हे।उही भुइंया म जिंहा हर परब म मितानी बधे के परंपरा अउ ये बंधना ल जिंयत भर…
Read Moreसुरता चंदैनी गोंदा के
दाऊ रामचंद्र देशमुख ल छत्तीसगढी लोकमंच के पितामह केहे जाथे।इंकर जनम 25 अक्टूबर 1916 म पिनकापार (राजनांदगांव) म होय रिहिसे।फेर एमन अपन करमभूमि दुरुग के बघेरा गांव ल बनाइन।ननपन ले दाऊ जी ल नाचा गम्मत म रुचि रिहिस।सन् 1950 में दाऊ जी ह “छत्तीसगढ़ देहाती कला विकास मंडल ” के स्थापना करिन।एकर सिरजन बर उन ल अथक मिहनत करे बर परिस।जेन समें म आय-जाय के बरोबर साधन नी रिहिसे वो समे दाऊ जी ह बइलागाडी म गांव-गांव म घूमिन अउ गुनी कलाकार मन ल सकेलिन।छत्तीसगढ़ में प्रचलित नाचा गम्मत के…
Read Moreतोला लाज कइसे नइ लागे ?
धनी घर के ऐ चातर करइया, खेत बेंचके ऐ नौकर बनइया तोर किसानी गंवावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? सरकारी चांऊर म मेछरावथस, चेपटी पी के पटियावथस तोर जुवानी घुनावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? करिया पूंजी के घोड़ा दंउड़थे, देसराज म मुनादी होगे खेत-खेत म पलांट बइठावथे, पूंजीपति बर मांदी होगे अन्न उपजइया किसान बपरा ह, देख तो कचरा-कांदी होगे पुरखऊती बिगाड़ के गुलामी करइया खेत बिगाड़ के सियानी करइया तोर सियानी घुनावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? धान कटोरा…
Read Moreमन के बिचार
‘स्वच्छ भारत मिशन’ के मनमाने सफलता ल देख के मोर मन म एक ठिन सपना आत हे ,हमर सरकार ल अवईया नवा बछर ले ‘मंद छोड़ो अभियान’ शुरू कर देना चाही।उदघाटन घलो उंकरे ले होय त अउ बढ़िया। कम से कम यहू तो पता चलही कोन कोन सियान मन मंद मतवारी करत रिहीन। फेर का करबे सपना त सपना आय रे भई! पाछु तीन चार बछर ले देखत आत रेहेन गांव गांव म रोजिना छापा मरई ,कोचिया बिल्कुलेच नइ होना।दू बोतल तीन बोतल एकाध गिलास देंवता धामी म तरपे बर…
Read Moreदेवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी 04 नवंबर
हमर हिन्दू धरम मा देवी-देवता के इस्थान हा सबले ऊँच हावय। देवी-देवता मन बर हमर आस्था अउ बिसवास के नाँव हरय ए तीज-तिहार, परब अउ उत्सव हा। अइसने एक ठन परब कारतिक पुन्नी हा हरय जेमा अपन देवी-देवता मन के प्रति आस्था ला देखाय के सोनहा मौका मिलथे। हमर हिन्दू धरम मा पुन्नी परब के बड़ महत्तम हावय। हर बच्छर मा पंदरा पुन्नी परब होथे। ए सबो मा कारतिक पुन्नी सबले सरेस्ठ अउ शुभ माने जाथे । कारतिक पुन्नी के दिन भगवान शंकर हा तिरपुरासुर नाँव के महाभयंकर राक्छस ला…
Read Moreछोटे देवारी के खुशी भारी : देवउठनी एकादशी 31 अक्टूबर
हमर पुरखा मन के बनाय परमपरा हा आज तिहार बहार के नाँव धरागे हे। अइसन तीज-तिहार हा हमर जिनगी मा खुशी के रिंगी-चिंगी रंग ला भरथे। तिहार-बहार समाज मा एकता अउ भाईचारा के गुरतुर चासनी घोरथे।अइसन गुरतुर चसनी ले बंधाय एकता हा कभू छरियाय नहीं। हमर गवँई गाँव मा तिहार के अलगेच रंग-ढ़ंग हा दिखथे। सिधवा मनखे के जिनगी जीये के रंग-ढ़ंग घलाव सिधवा सोज बाय रथे। ए बात के प्रमान हमर गवँई-गाँव मा सोज्झे दिख जाथे। सुमता के एकठन अइसनहे तिहार हरय “जेठउनी तिहार” जउन हा धार्मिक अउ समाजिक…
Read Moreदेवउठनी एकादशी अऊ तुलसी बिहाव
मास में कातिक मास, देवता में भगवान विष्णु अऊ तीरथ में नारायण तीरथ बद्रीकाश्रम ये तीनो ल श्रेष्ठ माने गे हे। वेद पुरान में बताय गेहे की कातिक मास के समान कोनो मास नइ हे। ए मास ह धर्म ,अर्थ, काम अऊ मोक्ष के देने वाला हरे। ए मास में इसनान, दान अऊ तुलसी के पूजा करें से बहुत ही पुन्य के पराप्ती होथे। कातिक मास में दीपदान करें से सब पाप ह दूर हो जाथें, अइसे बताय गेहे। असाढ़ महिना के अंजोरी पाख के एकादशी के दिन से देवता…
Read Moreमया के अंजोर
तोर मोर मया के अँजोर संगी, निक लागय महकय अँगना खोर I नाचय पतंगा आरा पारा, चिरैया चहकय डारा डारा I बांधे कईसन तै बंधना के डोर, तोर बर मोर मया सजोर I तोर मोर मया के अँजोर संगी I2I पुन्नी के जईसे चमके चंदा, सावन मा बरसे रिमझिम बरखा I झर झर झरे मोती मया के, जुरागे पीरा करके सुरता I तोर मोर मया के अँजोर संगी I2I हिरदे के अईना मा बसे हस मोर, झुलत रहिथे चेहरा ह तोर I पाखी बांधे जईसे जीव उड़ाथे, तोर बिना कुछु…
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