छत्तीसगढ़िया मन कहां हें ?

छत्तीसगढ़ राज सोनहा भुईयां हिरा बरोबर चमकत हे ! मयारू मैना के बासई ह मन ल हर लेथे , देखते-देखत म गोंदा, मोंगरा अऊ दौना के रंग अऊ महकई हर अंगना-दुआर ल पबरित कर देथे ! गांव-गांव गली-गली म लोक कला के घुंघरू,मांदर अईसे बाजथे के हिरदे ल हुंक्कार के मुह म गीत के राजा ददरिया सऊंहात आ जाथे तिहां छत्तीसगढ़ के मया-मरम , सुख-दुख के कहानी ल एकक ठन पढ़-पढ़ के ओरिया देथे ! आज छत्तीसगढ़ ल अलग राज बने 16 बछर होगे हे 17 बछर होवईया हे !…

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नवा बछर के आवभगत

अघ्घन अउ पूस के पाख चलत हे जेला सरमेट के अंगरेजी कलेंडर म दिसम्बर महिना कहे जाथे ! जब तक सुरुज निटोरही नही सहर भर जाड़ बरसत रइथे ! जाड़ के मारे ए मेर ल ओ मेर के मनखे मन सब गरम ओढ़ना मं दिखथैं ! गाड़ी-मोटर मन रात-बिकाल अउ बिहनहे के झुलझुलहा होत ले सरपट-सरपट दउँड़त रइथे ! गाड़ी मोटर तो बड़ बाय होगे हे हारन ल अतका बजाथें के कान के परदा घलो हर फुट जाही सड़क तीर के मन कइसे बसर करथें ओही मन जानहीं ! हमर…

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स्कूल म ओडिसी .. पंथी, करमा काबर नहीं …?

छत्तीसगढ के जम्मो सरकारी स्कूल म पहली ले पाँचवी कक्षा तक पढईया लईका मन ला अब भाषा,गणित विज्ञान के अलावा ओडिसी नृत्य के घलो शिक्षा ले बर परही । ये नवा तुगलकी फरमान एन सी आर टी ह जारी करे हवय । ओकर कहना हवय के नृत्य के शिक्षा ले से लइका मन नृत्य के भाव भंगिमा के जरिया ठीक से खडे होना,सांस लेना अउ रीढ के हड्डी ल सीधा राख के चले के तरीका सिखाय जाही । शिक्षा विभाग के दावा हवय के ये नवा कोर्स ले लइका मन के…

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नवा पीढ़ी़ अउ छत्तीसगढ़ी़

हमर छत्तीसगढ़़ म अभी जउन नवा पीढी के लइकामन पढ-लिख के तियार होवत हें तेन मन ह छत्तीसगढी़ भासा ले दूर भागत हें। वोमन छत्तीसगढी म बोले बर नई चाहंय। छत्तीसगढी भासा जउन ह हमर मातृ भासा ए, तेमा बोले बर लजाथें। घर म ददा-दाई, बबा, कका दाई मन लइकामन के संग छत्तीसगढी म कुछू पूछथें त वोमन वोकर जुवाब हिन्दी म देथें। येहा बड दु:ख के बात आय। हमर देस के दूसर राज के लइकामन अपन ‘मातृभाषा’ बात करइ ल अपन सान समझथें। ऐकर ले उलट हमर छत्तीसगढ के…

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पुरखा मन के दूत होथे कउवा

चालीस-पचास बछर पाछू के बात आय। ममा गांव जावंव त पीतर पाख म ममा दाई ह बरा- सोहारी बनाय अउ तरोई के पाना म ओला रख के मोहाटी म मडा देवय। तहान ले जोर-जोर से कहाय- ‘कउंवा आबे हमर मोहाटी, कउंवा आबे हमर मोहाटी।’ ममा दाई के कहत देर नइ लागय अउ कांव-कांव करत अब्बड अकन कठउंवा  ह आवय अउ बरा-सोहरी ल  चोंच म दबा के उडा जावय। तब ममा दाई काहय – ‘कउंवा मन खाथे, तेला पुरखा मन पाथे।’ नानपन के ए बात ह अब सपना कस लागथे। काबर…

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साहित्य म भ्रस्टाचार

हमर देस म कोनो छेत्र नइ बांचे हे जिंहा भ्रस्टाचार नइये। राजनीति म भ्रस्टाचार ह तो काजर के कोठी कस होगे हे। जेन राजनीति म जाथे वोकर उप्पर करिया दाग लगथेच। भ्रस्टाचार के पांव ह दूसर छेत्र म घलो पड गे हे। साहित्य छेत्र जिंहा अब तक मनीसी, चिंतक, साधु-संत जइसन मन के बोलबाला रिहिस आज उहां नकलची अउ भ्रस्ट लोगनमन के दबंगई चलत हे। दूसरमन के किताब ल अपन नांव ले छपवइया मन के घलो कमी नइये। छत्तीसगढ के साहित्य जगत म घलो अइसन होवत हे। पंडित मुकुटधर पांडेय,…

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हेलमेट के भूत

हमर मइके रइपुर म नवा रहपुर बन गे हे, तेन ल तो तेहां जानत हस। टूरा के दाई ह अपन अउ अपन मइके के बढई सुनके खुस होगे। भला कोन माइलोगिन खुस नई होही। लडियावत कहिस- नवा रपुर बने ले कहां एको गे हंव मइके। मेहा कहेंव- ले ना ये बखत तोर पूजभजित मन के बिहाव के नेवता आही तक चल देबे। टूरा के दाई ह मगन होके कहिथे- अई ह, नवा रदपुर के रोड मन तो अब अब्बड चौंक-चाकर हावय कहिथें। जुन्ना रइपुर म मोटर गाडी के पीं-पों, मेला…

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छत्‍तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पांचवा प्रान्‍तीय सम्‍मेलन

नेवता छत्‍तीसगढ़ राजभाषा आयोग पांचवा प्रान्‍तीय सम्‍मेलन ‘भगवान राजीव लोचन’ के दुवार राजिम म आयोजित (स्‍व.संत कवि पवन दीवान जी ल समरपित 28 अउ 29 जनवरी, 2017) प्रणम्‍य/मयारूक साहित्‍यकार भाई/बहिनी छत्‍तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पांचवां प्रान्‍तीय सम्‍मेलन दिनांक 28 अउ 29 जनवरी, 2017 के राजिम म होही। कार्यक्रम के जम्‍मो नेवताए सगा मन के सानिध्‍य म हमर सम्‍मेलन के उछाह बाढ़ही। लिखये बेरा म खच्चित पहुंचिहा। तुंहर आये ले जुराव के फभित बाढ़ जाही। दिन – 28 जनवरी, 2017 बेरा – बिहनिया 11.00 बजे ले ठउर – पं.राम बिशाल पाण्‍डेय शास.उ.मा.शाला, राजिम, जिला – गरियाबंद…

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परशुराम

प्रकृति संभव हे, असंभव नइ हो सके, ओ ह सनातन रूप म ले चलत आवत हे अपनेच बनाए नियम रीत ले। फेर रिसीमुनी मन ओही म देवता ल खोजथे। ऋतु के देवता वरूण, मेघ के बरखा के देवता इन्र्न, ओखद (औशधि के अश्विनीकुमार, अग्निदेव इनकर बर प्रकृति के हरेक सक्ति म देवता के वास हे, अउ खुस होके सोचथे कि स्तुति करे ले देवता प्रकृति के नियम ल बदल डालही। फेर अइसन होतिस त जम्मो जग्यकरता विश्णु, ब्रह्मा, जम, सुरूज, वरूण अउ अग्नि असन जब्बर सक्तिवान हो जातिन अउ सबले…

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अभी के समें अउ साहितकार

हमर देस ह संचार माध्यम के अतका बिकास करे ह हे जेकर बखान करना मुसकुल हे। संचार माध्यम म बिकास होय ले नुकसान जादा अउ फायदा कम दिखथे। मोबाइल अउ टीवी चैनल ह मनखे के जिनगी के रफ्तार ल बढादीस। मोबाइल आय ले चिट्ठी-पतरी लिखे बर मनखे भुलागे। इहां तक हमर साहित्य के छेत्र ह दिनोंदिन कमतियावत हे। आज के लइकामन मन साहित्य ले दूरिहावत हें। मोबाइल अड टीवी म अतेक भुलावय हावय के साहित्य लिखे-पढे छोड्त हें। चार दिन के जिनगी म मनखे ल थोरबहुत चैन से जिनगी जीना चाही।…

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