कलजुगी नारद

जुन्ना समे म काकरो बनत काम ल बिगाडे बर, ककरो बिगडे रद्दा ल बनाय बर, एक-दूसर ल झगरा-लडुई कराय बर नारद मुनि के परमुख बुता राहय। सतजुग, त्रेता, दुवापर जम्मो जुग म वोहा कोनो न कोनो जघा, बेरा-बखत म खचित उहां पहुंच जाय। अपन बुता ल नेते तभेच दूसर काम म मन लगाय। नारद मुनि ह न ककरो ले इरसा रखाय न कोकरो बिगाड करे के सोचय। वोहा जब देखय के ककरो उप्पर अलकर समे हे वो बात ह बता देवय अउ समसिया ल सुलझाय पर अचूक उदिम घलो समझा देवय। भले वोला जम्मोझन चुगलहा के नांव ले जानय, फेर वोहा घेरी-बेरी…

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छेरछेरा : समाजिक समरसता के तिहार

जिनगी मा दान दक्छिना के घातेच महत्तम हावय, असल सुख-सान्ती दान पुन मा समाय हावय। हमर देश अउ धरम मा दान अउ तियाग के सुग्घर परमपरा चले आवत हे, भले वो परमपरा मन के नाँव अलग-अलग रहय फेर असल भाव एकेच होथे- दान अउ पुन। अइसने एकठन दान पुन करे के सबले बङ़े लोक परब के नाँव हे छेरछेरा परब। लोक परब एकर सेती कहे जाथे के एहा जन-जन के जिनगी मा रचे बसे हे, समाय हे। हमर छत्तीसगढ के जीवन सइली मा तो छेरछेरा हा नस मा लहू रकत…

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छत्तीसगढ़ के दू साहसी लईका मन के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार खातिर चयन

प्रधानमंत्री श्री मोदी गणतंत्र दिवस समारोह म करहीं सम्मानित रायपुर, 09 जनवरी 2017! प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आगामी 26 जनवरी को नई दिल्ली म आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह म छत्तीसगढ़ के दू बहादुर लईका मन ल राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2016 ले सम्मानित करहीं। जेमा बेमेतरा जिला के ग्राम हरदी के श्री तुषार वर्मा अउ ग्राम मुजगहन, पोस्ट लोहरसी के कुमारी नीलम ध्रुव शामिल हें। ये लइका मन ल उंखर हिम्‍मती काम खातिर सम्मानित करे जाही। छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद कोति ले छत्तीसगढ़ के पांच लईका मन के प्रस्ताव राष्ट्रीय…

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पाठ्यक्रम म छत्तीसगढ़ी – आंदोलन के जरूरत …..

–अजय अमृतांशु प्राईमरी (कक्षा पहली ले पॉचवी) तक महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी म पढई काबर नइ होत हे? ये दाहकत सवाल हमर बीच हवय। येखर पीरा तो जम्मो छत्तीसढिया मन ल हवय फेर सब ले जादा पीरा साहितकार मन ल हवय। अउ होही काबर नहीं? साहितकार बुद्धिजीवी वर्ग आय, भाखा के संवर्धन अउ क्रियान्वयन के सब ले बडे जिम्मेदारी साहितकार मन के होथे। आखिर का वजह हे कि छत्तीसगढ़ी म पढई लिखई ल पाठ्यक्रम म लागू नइ करे जात हे? पाठ्यक्रम म लागू करना अउ नइ करना पूर्ण रूप ले राजनीतिक…

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छत्तीसगढ़ के तीज तिहार- मड़ई मेला

कोनो तीज तिहार होय, अंचल के रीत-रिवाज जहां के संस्कृति अऊ परम्परा ले जुड़े रथे। सबो तिहार म धार्मिक-सामाजिक संस्कार के संदेश हमला मिलथे। तिहार मनाय ले मनखे के मन म बहुते उमंग देखे जाथे। आज मनखे ला काम बूता के झमेला ले फुरसद नइ मिले। ओला तिहार के ओखी म एक-दू दिन काम-बूता ले उरिन होके घूमे-फिरे अऊ अपन हितु-पिरितु संग मिले भेंटे के मौका मिलथे। तिहार के ओखी घर-दुवार के साफ-सफाई लिपाई-पोताई हो जथे। गांव म डीह डोंगर के देवी देवता के ठऊर ल बने साफ करके लिपई…

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नवा बइला के नवा सिंग

सियान मन के सीख सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन एक ठन हाना पारय। कहय-बेटा! नवा बइला के नवा सिंग, चल रे बइला टिंगे-टिंग। फेर संगवारी हो हमन उॅखर हाना ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। जब नवा जिनिस के बात आथे तब हमर मन म अपने-आप नवा खुसी के लहरा समा जाथे। चाहे वो नवा बछर होय के नवा घर होय। नवा के नाव लेते हमर मन हरियर हो जाथे। संगवारी हो जब हमर मन म खुसी होथे…

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नवा बछर म देखावा झन करव तुमन

नवा बछर मं नवा बिचार अउ संकल्प के संग सबके भलई के काम करना हे सबले पहिली आप सबो ला नवा बछर के नंगत बधई अउ शुभकामना हावय। मोर अंतस के इही उद्गार हे के सरी संसार हा हांसत-गावत अउ मुसकावत नवा बछर के सुवागत करयं अउ पूरा बछर भर हा बिघन-बाधा के बिन बित जावय। कोनो हा पाछू साल के कोनो गलती ला कोनो गलती ले झन दोहरावय। नवा साल हा दगदग ले, रगरग ले सूरुज कस अंजोर हम सबके जिनगी मा बगरावय अउ अगियान के, गरब-गुमान के अंधियारी…

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मैं वसुधा अंव

सृष्टि के पहिली कुछु नइ रिहिस, ना तो अंतरिक्ष अउ ना अगास रिहिस, लुकाए रिहिस वो ह हिरण्यगर्भ गुफा म अनचिन्हार असन, जउन ल कौउनो नइ समझ सकिन अउ नइ कौउनो चिन्हे सकिन। वेद पुरान मन म सृष्टि के रच्इया ल ब्रम्‍हा कहे गे हे फेर इनकर सिरजन ल धरर्ईया वसुधा त महिंच अंव, महिंच वो वसुधा अंव, जेकर उपर म ब्रम्‍हा ले सिरजन,  विष्‍णु ले पालन अउ शिव ले संहार करे गए हे। मुण्डकोपनिषद् 2/1/3 म कहे गए हे कि “पृथ्वी विश्वसय धारिणी” मानें जम्मों विश्‍व ल धारन करने वाली…

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सत के मारग बतइया- गुरु घासीदास जी

छत्तीसगढ़ के पावन माटी में बहुत झन स़ंत महात्मा अऊ महापुरुष मन जनम लेहे। समय समय में ये मन ह हमन ल रसता देखाइस अऊ सत्य के रसता में चले बर बताइस। संत महात्मा मन के जनम ह जगत के कलियान खातिर होथे। ओइसने हमर छत्तीसगढ़ के माटी में 18 दिसंबर सन् 1756 में एक गरीब किसान परिवार के घर गांव गिरौदपुरी जिला रायपुर में एक महान पुरुस घासीदास जी के अवतरन होइस । घासीदास जी बचपन से ही गुनी अऊ होनहार लइका रिहिसे। वो समय जात पात अऊ छुवाछुत…

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देशज म छा गे चंदैनी गोंदा

14.12.2016, इटारसी म संगीत नाटक अकादमी कोति ले 5 दिन के ‘देशज’ कार्यक्रम के शुभारंभ मध्‍य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष सीता सरन शर्मा ह करिन। नगर पालिका इटारसी अउ संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के संघरा आयोजन म पांच दिनों तक कई प्रदेश के कलाकार मन अपन प्रस्तुती देहीं। 14 दिसम्‍बर के दिन पांच राज्य के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के दर्शन इटारसी म होईस। इटारसी के सांस्कृतिक इतिहास म येकर रंगारंग उदघाटन के संग गांधी मैदान के मुक्त आकाश म बने मंच म देश के पांच राज्य के लोक कलाकार…

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