छत्‍तीसगढ़ के पर्यटन संबंधी फोटो खींचव अउ इनाम पावव

छत्‍तीसगढ़ पर्यटन मण्‍डल कोति ले ट्विटर म जारी सूचना के अनुसार छत्‍तीसगढ़ के पर्यटन स्‍थल अउ पर्यटन के बारे म प्रतियोगिता म भाग लेवईया संगी मन के खींचे फोटू ल इनाम के रूप म मंडल के कलेंडर म छापे जाही। जानकारी अंग्रेजी भाषा म ये फोटू म हावय, त संगी लउहे फोटू खींचव अउ भेज दव, हमर छत्‍तीसगढि़या भाई मन मत पछुवावव. व्‍हाट्स एप नं. 9111009055 म व्‍हाट्स एप करके जानकारी ले सकत हव.

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अब बंद करव महतारी के अपमान

हमर भारत देश कई ठिन राज हवय जिहां नाना प्रकार के किस्सा कहिनी फूल कस महमहावत, मइनखे मन के गुन सब्बो कर्ता बगरावत रइथे…। यही कर्रा महाराष्ट्र के सिवाजी महराज के एक ठिन किस्सा आप मन बतावत हवंव। एक के गोठ हे सिवाजी के एक झन सेनापति हर कलियान के किला लरई जीत गिस। अतंक परकार के संपति ओखर हाथ आइस के वोहर कूल के कृपा होगे रहय। तइहा के बेरा जीते राजा सेनापति संपति अस्त्र शस्त्र के संगे संग उहां के रानी अउ दासी घला भेंट स्लरुप मिलय। सेनापति…

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कलाकार के सबले बड़े दुसमन गरब हर होथे

सुप्रसिध्द लोकगायिका कविता वासनिक संग गोठ बात गांव के चौपाल ले निकल के हमर छत्तीसगढ़ी गीत संगीत अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मा छागे हावय। मोला सुरता हे सन् 1982 में जब मोर गाय गीत ‘पता दे जा रे पता ले जा गाड़ीवाला…’ पहिली बार पॉलीडोर कम्पनी ले रिकार्ड बन के बाजार मा आय रिहिस अउ बीबीसी लंदन के रेडियो में बाजे रहिस त छत्तीसगढ़िया मन के छाती हर बड़े-बड़े सोंहारी कस फूल गे रिहिस। ये गीत हर राइपुर दूरदर्शन केन्द्र के उद्धाटन के बेरा म तको बाजे रहिस।’

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छन्द के छ : यहू ला गुनव ….

छन्द के बारे में जाने के पहिली थोरिक नान-नान बात के जानकारी होना जरूरी है जइसे अक्छर, बरन, यति, गति, मातरा, मातरा गिने के नियम , डाँड़ अउ चरन, सम चरन , बिसम चरन, गन . ये सबके बारे मा जानना घला जरूरी हे. त आवव ये बिसय मा थोरिक चर्चा करे जाये. आपमन जानत हौ कि छत्तीसगढ़ी भाखा हर पूरबी हिन्दी कहे जाथे. हिन्दी के लिपि देवनागरी आय अउ छत्तीसगढ़ी भाखा घला देवनागरी लिपि मा लिखे अउ पढ़े जाथे.जेखर बरनमाला मा स्वर अउ बियंजन रहिथे. ये बरन मन ला…

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छन्द के छ : दू आखर

सुग्घर कविता अउ गीत, चाहे हिन्दी के हो, चाहे छत्तीसगढ़ी के, सुन के मन के मँजूर मस्त होके नाचना सुरु कर देथे. इही मस्ती मा महूँ अलवा-जलवा कविता लिखे के उदीम कर डारेंव. नान्हेंपन ले साहित्यिक वातावरन मिलिस. कविता अउ गीत त जइसे जिनगी मा रच-बसगे. बाबूजी के ज्यादातर कविता छन्द मा लिखे गये हें ते पाय के मोरो रुझान छन्द बर होना सुभाविक हे. अलग-अलग छन्द के बारे मा जाने के, सीखे के अउ लिखे के बिचार करके दुरूग, भिलाई, रइपुर, बिलासपुर के किताब दुकान मन ला छान मारेंव…

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कती जाथन हमन

आज हमर देस म, जेती देखव तेती, चारो कोती अराजकता दिखथे। अपन ला बड़े अउ सही बता के दूसर ला छोटे अउ नीचा दिखाना अब मनखे के स्‍वभाव बनत जात हे। घर-परिवार, समाजअउ राजनीति सब मा उहीच हाल हे। राजनीति म कुर्सी ह तो अइसे होगे हे जइसे लोमड़ी (कोलिहा) के अंगूर, हमला नइ मिलिस तो खट्टा हे (बने नइ ऐ)। जनता ह चुनाव के बेरा मा थोरकन रूपया, कपड़ा अउ दारू बर अपन वोट ला बेच देथे अउ बाद मा अपने चुने नेता के करनी बर रोथे। वाह रे…

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नारी अउ सम्मान

नारी हा प्रेम अउ त्‍याग के रूप कहेगे हे, पुरान अउ इतिहास हा एकर गवाही देथे कि नारी के महिमा हा अपरमपार हे। नारी ला भगवान के दरजा घलो दे गे हे फेर अभी के स्थिति हा बदल गे हे। नारी ला शास्त्र अउ समाज मा अतका सम्मान मिले हे के ओखर बरनन ला दू-चार आखर मा नइ करे जा सकय, नारी ला ऐ मान सममान हा ओखर आचार, व्यवहार ओखर त्याग अउ धीरज के सेति मिले हे। नारी ला माॅं दुर्गा के रूप कहिथे, माता के नवो रूप हा…

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बेटी अंव, तेकरे पीरा ह बड़ जियानथे

अभिच के समे म देखले बेटी अऊ बेटा म लोगन मन फरक नई समझय,फेर तभो ले मोला लड़की आंव कईके मोर मन ह रहि रहि के जियानथे। मेंहा नानपन ले मोर महतारी के दुख अऊ तकलीफ ल देखत आवत हौ, हमर नानकुन परवार में मोर माँ,बाबू,तीन झन बहिनी अऊ चौथईया मा नानुक सबले छोटे भाई,माने तीन तीन बहिनी के बाद तको लड़का अवतरही कहिके फरक करईया वोकर सोच ल गुनथव त मोला अबड़ पीरा होथे। फेर काय करबे भाई के जनम के दू साल बाद मोर बाबु ह सरगवासी हो…

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तडफ़त छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढिय़ा

कौशिल्या दाई अउ सृंगी रिसि के पौरानिक भुंइया अउ सिरीराम के करमभुंइया रेहे छत्तीसगढ़ ह अपन बहिनी राज मध्यप्रदेस संग चौवालीस बछर संग रेहे के बाद एक नवम्बर सन् 2000 के देस के छब्बीसवां राज के रूप म अलग होइस। देस के खनिज के 38 प्रतिसत भाग, 4.14 प्रतिसत भुंइया अउ जंगल, नदिया, प्राकृतिक सम्पदा लेके धन, कला-संस्कीरति, धरम जम्मो म समृध हमर छत्तीसगढ़ ह जब अलग राज बनिस त छत्तीसगढिय़ा मन ल अड़बड़ आस रहीस। सबो आंखी म हजारों ठन सपना रहीस। नान-नान काम बर अब भोपाल के मुंह…

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