मनखे रूप म बंदनीय हावय इकर कोमल भाव मातृत्व म सागर के हिलोर हे, त कर्तव्य म हिमालय परबत के समान हावय एक दुसर के पुरक हावय, नारी के अंर्तमन के थाह नई हावय ईसवर के देहे बरदान हे नारी, ऐमा सिरजन के अदभुत छमता होथे, पीरा, व्यथा संघर्स विलछनता, सहनसीलता, परिवार बर समरपन सब्बो ल एकजुट करके चलना, हर बिपरीत परीस्थिती म चट्टान के जइसे अडिग रहना, नारी के जनमजात गुन हावय नारी यदि ईसवरीय रूप म पुजित हे त मनखे रूप म बंदनीय हावय इकर कोमल भाव मातृत्व…
Read MoreCategory: गोठ बात
कहां नंदा गे सब्बो जुन्ना खेलवारी मन
पहिली चारों मुड़ा लइका मन के कोलाहल सुनात रहै संझा के बेरा घर ले बाहिर निकलते तहां जगा-जगा झुण्ड के झुण्ड लइका खेलत दिख जावै। अब तो लइका मन बाहिर खेले सफा भुला गिन अउ कहूं थोर बहुत खेले बर बाहिर जाहीं बेट बाल धर के किरकेट खेले बर। आजकल ठंडा के दिन कोनो-कोनो मेर बेडमिंटन खेलत घलो दिख जाथें। घर भीतरी खेले बर आजकल लुडो, केरम, सांप सीढ़ी, जइसे साधन हावय फेर ओला खेलय कोनो नहीं। आजकाल के लइका मन दिनभर टीवी, कम्प्यूटर, मोबाइल जइसे जिनिस भुलाय रथें। स्कूल-कॉलेज…
Read Moreदूर के सोचथे महामानव
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावय। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! मनखे ला हमेसा दूर के सोचना चाही रे। फेर संगवारी हो हमन नइ मानन। हमन हर अतका स्वारथी हो गै हावन के हमन हमेसा आज के बारे अउ अभी के बारे सोचथन अउ कहिथन के मनखे ला जियत भर जिनगी के जतका मजा लूटना हे लूट लेना चाही मरे के बाद कोन जनी का होही? हमर गोठ हर जबर सोचे के हावय। संगवारी हो हमर गोठ अउ तइहा के सियान मन के गोठ जबर फरक…
Read Moreहमर चिन्हारी ‘छत्तीसगढ़ी’ इस्थापित होही कभू ?
छत्तीसगढ़ी-मेला के रंग-ढंग बदलगे, नवा रूप-रंग के कुम्भ-मेला इस्थापित होगे -नंदकिसोर सुकुल खेलत-खात, हांसत-रोवत, पुदका-पुदकी करत चउदा बछर बीत गे नवा राज ‘छत्तीसगढ़’ बने। फेर, आजो तक ले छत्तीसगढ़ के ‘चिन्हारी’ इस्थापित नइ हो सके हे। छिदरे-बिदिर हे। आखिर ओकर चिन्हारी का हे? का हे ओकर चेहरा? चेहरेच्च ले तो काखरो चिन्हारी होंथे न। चारों कोती अइसे चरचा चलाए गे हे जानो-मानो एखर कोनो चेहरेच्च नइ हे। चेहरा-बिहीन, जेला अंगरेजी थंबमसमेेस कइथें। तव का छत्तीसगढ़ के कोनो चिन्हारीच्च नइये? त, जऊंनमन छत्तीसगढ़ ऊपर सासन करत हें, जऊंनमन छत्तीसगढ़ के सोसन…
Read Moreगुरतुर बोली बोलव
बोली बरदान आय। अगर मइनखे मन बरदान नई मिले रहितिस पूरा दुनिया मुक्का रहितिस। बोली ले ही मइनखे मन अपन गोठ बात ल, अपन सुख-दुख ल, अपन बिचार एक दूसर लगन बाटथे। मइनखे के चिन्हारी ओकर गोठ बात ले हाेथे कि कऊन मइनखे कतेक समझदार हे, कतेक बिद्वान हे कि कतेक सभ्य हे बात ओकर गोठ ले ही पता चलथे। एक दूसर लगन आपसी व्यवहार के सुरूवात गोठ बात ले ही होथे। कतको झन मइनखे मन अइसन होथे जऊन मन बिना बिचारे जइसे पाथे ओइसनहे बोल देथे लेकिन समझदार मइनखे…
Read Moreचार बेटा राम के कौडी के ना काम के
छोहीहा नरवा के दुनो कोती दु ठन पारा नरवरगढ़ के । बुड़ती म जुन्ना पारा अउ उत्ती मा नवा पारा । जुन्नापारा मा गांव के जुन्ना बासिंदा मन के डेरा अऊ नवापारा मा पर गांव ले आये नवा मनखे मन के कुरिया । गांव के दुनो कोती मंदिर देवालय के ष्संख घंटा के सुघ्घर ध्वनि संझा बिहनिया मन ला सुकुन देवय । गांव के चारो कोती हरीयर हरीयर रूख राई, भरे भरे तरीया अउ लहलावत धनहा डोली, जिहां छेड़े ददरिया निंदत धान संगी अउ जहुरिया । जम्मो प्राणी अपन अपन…
Read Moreचमत्कारी हवय अशोक के रूख
शास्त्र म लिखे गे हवय कि अशोक के रूख हर अड़बड़ चमत्कारी हवय। अगर अशोक के रूख घर म लगे हवय त कोनो समस्या अउ दुख तकलीफ तीर-तखार म नई फटकय। अशोक वृक्ष से कई प्रकार के धन-संपत्ति अउ कई ठन समस्या ल दूर करे जा सकत हवय। अशोक के पत्ता ल घर के दरवाजा म वंदनवार के रूप म लगाये जाथे। एखर से घर म नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव नई पड़य। एखर पत्ता के उपयोग धार्मिक कार्य म होते रहिथे। अषोक के रूख हर सदाबहार हवय। ये हर हर…
Read Moreग़ज़ल : सुकवि बुधराम यादव
सुर म तो सोरिया सुघर – सब लोग मन जुरिया जहंय तैं डगर म रेंग भर तो – लोग मन ओरिया जहंय का खड़े हस ताड़ जइसन – बर पीपर कस छितर जा तोर छइंहा घाम घाले – बर जमो ठोरिया जहंय एक – दू मछरी करत हें – तरिया भर ल मतलहा आचरन के जाल फेंकव – तौ कहुं फरिया जहय झन निठल्ला बइठ अइसन – माड़ी कोहनी जोर के तोर उद्दीम के करे – बंजर घलव हरिया जहय देस अऊ का राज कइठन – जात अऊ जम्मो धरम सुमत अऊ बिसवास के बिन –…
Read Moreनकाब वाले मनखे
अभीन के समे हॅ बड़ उटपटॉग किसम के समे हे। जेन मनखे ल देख तेन हॅ अपन आप ल उॅच अउ महान देखाए के चक्कर म उॅट उपर टॉग ल रखके उटपटॉग उदीम करे मा मगन हे। ंअइसन मनखे के उॅट हॅ कभू पहाड़ के नीचे आबेच नइ करय। आवस्कता अविस्कार के महतारी होथे ए कथनी ल मथानी म मथके अइसन मनखे मन लेवना निकाले बर गजब किसम किसम के उदीम करत रहिथे। मिहनत करइया मन के कभू हार नइ होवय सही बात घलो ए। इन मन हॅ आजकल अहसनेच…
Read Moreदाई अऊ बेटी
आज वोहा रयपुर के एक ठन परायवेट अस्पताल मा भरती हे। अपन सवास्थ ल ठीक करत हे। वो दिन मेहा अपन घरवाली के संग ओला देखे बर गे रेहेंव। वो हा हम दूनों ल देख के बड़ खुस होगे। आज वोकर अपरेसन होए छ दिन बीत गे हावय। हमन वोला पूछेन अउ कतका दिन ए अस्पताल म तोला राखिहीं। नई जानव। मोला कतका दिन ए अस्पताल म राखहीं। हेमा हा रोवत रोवत गोठियावत रिहिस, मेहा अपन टुरी बेटी ल अतका दिन होगे नइ देखे हंव। मोला अपन कांही संसो-फिकर नइए।…
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