लोक गायक महादेव हिरवानी के सांस्कृतिक संस्था “धरोहर” ह लोक संगीत के पुरोधा खुमानलाल साव अउ गीत के पुरोधा लक्ष्मण मस्तुरिया के सुरता म कन्हारपुरी, राजनाँदगाँव म “श्रद्धा-सुमन” के आयोजन करिस जेमा छत्तीसगढ़ के पचास ले आगर लोक मंच अउ उँकर कलाकार मन गीत अउ संगीत द्वारा अपन श्रद्धा सुमन प्रस्तुत करिन। कार्यक्रम के शुरुवात […]
Category: गोठ बात
हमर देस राज म साहित्य बैदिक काल ले आज तलक समरिध हावय चाहे वो जब हिंदी भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान साकुंतलम होवय। ओखर बाद जब हिंदी भाखा अवतरित होईस त ओमा घलो एक से बढ़के एक साहित्यकार, कवि हावय। […]
दुसर के दुख ला देख : सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा ! दुसर के दुख ला देख रे! फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। काबर उमन कहय के दुसर के दुख ला देख। संगवारी हो ये दुनिया में भांति-भांति के मनखे हे। […]
हिन्दी साहित्य के अकास म आज ले लगभग सवा छै सौ साल पहिली एक अइसे नक्षत्र के उदय होय रिहिस जेला हमन कबीरदास के नाँव ले जानथन। कबीरदास जी कवि ले बढ़के एक समाज सुधारक रिहिन। जउन सोझ-सोझ अउ खर भाखा म बात केहे के बावजूद हिन्दू अउ मुसलमान दुनो के बीच समान रूप म […]
सुरता मा जुन्ना कुरिया
पच्चीस बच्छर बीत गे हावय। हमर आठ खोली के घर के नक्सा नइ बदलिस। चारो मुड़ा खोली अउ बीच मा द्वार। एक खोली ले बाड़ी डहर जाय के रद्दा। पच्चीस बच्छर पहिली कुवाँर कातिक मा ये नवा घर ला नत्ता गोत्ता संग मिलके सिरजाय रहिन। संगे संग मोर बिहाव करेबर टूरी खोजेबर बात चलात रहिन। […]
लमसेना प्रथा चालू करव
आज मँय एक ठन अलकरहा गोठ करेबर जात हँव। आजकल हमर देस, प्रांत सबो डहर एकेच गोठ सुनेबर मिलथँय कि बहूमन अपन सास ससुर ला अबड़ तपथँय दुख देथँय। एहा समाजिक समस्या बनत जावत हावय। सास ससुर मन सियान होय के पाछू जब कुछु कमाय नइ सकय पइसा कउड़ी के आवक बंद हो जाथय, तब […]
आमा खाव मजा पाव
गरमी के मौसम आते साठ सब झन ला आमा के सुरता आथे।लइका मन ह सरी मंझनिया आमा टोरे ला जाथे , अऊ घर में आ के नून – मिरचा संग खाथे।लइका मन ला आमा चोरा के खाय बर बहुत मजा आथे।मंझनिया होथे तहान आमा बगीचा मा आमा चोराय ला जाथे। आमा एक प्रकार के रसीला […]
अक्ती तिहार
छत्तीसगढ़ म हर तिहार ल हमन सुघ्घर रूप ले मनाथन। तिहार ह हमर घर, परिवार, समाज अउ संसकिरिती म रचे-बसे हावय जेखर कारन येखर हमर जीनगी म अब्बडेच़ महत्तम हे। तिहार ह हमर खुसी उत्साह के परतीक हावय जेला हमन सबो झन जुर-मिर के मनाथन। तिहार से हमन ल एक नवा उरजा मिलथे जेखर ले […]
पुण्य सकेले के दिन आय अक्ती
हमर देस मा तिहार मनाय के परंपरा आदिकाल से चले आवत हे। भगवान ले मनौती करेबर, अशीस पायबर अउ मनौती पूरा होय के धन्यवाद देयबर तिहार मनाय जाथे। अइसने एक समिलहा तिहार बइसाख महिना के तीज के दिन मनाय जाथे जौन ला अक्ती तिहार कहे जाथे। अक्ती तिहार के छत्तीसगढ़ मा घलाव अबड़ मानता हे। […]
हिन्दू धर्म में बहुत अकन तिहार मनाये जाथे । ये तिहार हा मनखे मे नवा जोश अउ उमंग पैदा करथे । आदमी तो रोज काम बुता करत रहिथे फेर काम ह कभू नइ सिराय । येकर सेती हमर पूर्वज मन ह कुछ विशेष तिथि ल तिहार के रुप में मनाय के संदेश दे हे । […]