पाछू 29 जनवरी के दिन छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग अउ स्वामी स्वरूपानंद शिक्षा महाविद्यालय, भिलाई के संघरा उजोग ले ‘कामकाजी छत्तीसगढ़ी के स्वरूप अउ संभावना’ विषय म गोष्ठी के आयोजन होए रहिसे। ये कार्यक्रम म छत्तीसगढ़ी के जम्मो माई सियान मन सकलाए रहिन हावय। संगोष्ठी म सब मन अपन अपन बिचार रखिन अउ संभावना के उप्पर गोठ बात ला आघू बढ़ाईन। ये संगोष्ठी म कामकाजी छत्तीसगढ़ी का आय तेखर उप्पर घलो प्रकास डाले गीस, कइ झन झोंकिस त कइ झिन टोंडा हन दिन। मोर संगें संग कई झिन संगवारी मन ये…
Read MoreCategory: गोठ बात
छत्तीसगढ़ के बिहाव संस्कार-सर्व सामाजिक दायित्व बोध
छत्तीसगढ़ के तीज-तिहार, संस्कार अउ परंपरा म चारो मुड़ा भाव के प्रधानता दिखथे। हर परंपरा म कुछु न कुछु भाव समाय होथे। जब ये परंपरा मन ल ख्रगाहाल के देखथन तब हम अचरज म पड़ जाथन कि हमर पुरखा मन के मन म अतका सुग्घर भाव कहाँ अउ कइसे आइस होही। परंपरा म भाव ल समोना अपन आप म बड़का बात हे। ये सब परंपरा म परेम, स्नेह, श्रध्दा अउ समन्वय के भाव दिखथे। मनखे ल मनखे के मतलब बताथे। एक दूसर के सुख-दुख म भागीदारी होना ही मनखे होय…
Read Moreछत्तीसगढ़ के चिन्हारी गोदना
भारत के उत्तर-परब क्षेत्र मं असम, मध्यभारत, दक्छिन भारत, अंडमान निकोबार- द्वीपसमूह अउ छत्तीसगढ़ मं जुन्ना समय ले गोदना, गोदवाए के चलन रहे हे, फेर छत्तीसगढ़ के गोदना ह पूरा दुनिया मं ”छत्तीसगढ़ के चिन्हारी” बनगे हावय। छत्तीसगढ़ मं अइसे तो सबो जात के मनखे-मन गोदना गोदवात रहिन, लेकिन सबले जादा आदिवासी भाई-बहिनी मन सबे कोनों गोदना गोदवात रहिन। अब तो गोदना ह नवा फेसन के चिन्हारी बनत जावथे। गोदना ल केवल सुघ्घरता बर गोदवात रहिन, अइसे बात नइ रहिस, बल्कि सरीर बने मजबूत रहय, कोनो बेमारी झन होवय, ये…
Read Moreमहतारी के मया
मातृत्व दिवस के बात आइस त मोला बचपन म देखे एकठन नाचा के गम्मत हर सुरता आगे। ओ गम्मत के भाव रहिस कि माँ हर बेटा ल अड़बड़ माया करय। माँ के लालन-पालन, मया-दुलार म बेटा हर सज्ञान होगे। सज्ञान बेटा ल एक झन लड़की ले पियार होगे त ओ बेटा हर ओ लड़की ले बिहाव करना चाहिस। लड़की कहिस- मँय तोर संग तभे बिहाव करहूँ जब तँय तोर महतारी के करेजा ल लाके मोला देबे। पियार म पागल लड़का अपन माँ ल मारके जब ओकर करेजा ल लेगत रहिस…
Read Moreप्रशासनिक शब्दकोश बनइया मन ल आदर दव, हिनव झन
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग दुवारा छपवाय हिन्दी-छत्तीसगढ़ी प्रशासनिक शब्दकोश भाग एक के बारे में कुछ लेखक मन के बिचार पढ़े के मउका लगिस। खुसी होइस के छत्तीसगढ़ी भाषा खातिर जागरिति हवय। दू चार बात मोरो मन म उठिस, तोन ल बताना जरूरी समझत हँव। ए शब्दकोश ल राजभाषा आयोग ह नइ बनाय हे। विधानसभा सचिवालय ह साहित्यकार मन के कार्यशाला लगा के ऐला तइयार करिस अउ राजभाषा ल छापे बर भेज दिस। आयोग ह बहुत झन साहित्यकार अउ भाषा विशेषज्ञ मन ले एला जँचवाइस अउ उँकर सहमति होय के बाद छपवाइस।…
Read Moreलोक रंजनी लोक नाट्य : नाचा
कोनो भी प्रदेश के लोक नाट्य म हमर बीच के बोली अउ अपन बीच के कलाकार संग सिंगार के सहजता अउ सामाजिक संदेस होथे, जेखर भीतरी गीत-संगीत, नाच अउ अभिनय होथे। लोक नाट्य बर कोनो पोथी पतरा, किताब सिताब के नित-नियम के बंधेज नई रहय काबर कि लोकनाट्य ह हमर पुरखा मन मेर ले पीढ़ी उप्पर पीढ़ी होवत आघू बढ़थे। लोक नाट्य ह हमर जम्मो समाज के उमंग उछाह के संघरा रूप होथे। लोकनाट्य अपन-अपन जघा म अलग-अलग होथे अलग-अलग प्रदेस म अलग अलग नाम के लोकनाट्य प्रचलित हावय। बिहार…
Read Moreमंगल कामना के दिन आय अक्ती
ठाकुर देवता के देरौठी म तो धान बोय के पूरा प्रक्रिया चलथे। ये दिन परसा पाना के महत्व बाढ़ जथे। परसा पाना के दोना बना के वोमा माई कोठी के धान ल ठाकुर देव म चढ़ाय जाथे। संग म मऊहा ल घला समर्पित करथें। धान छितथे अउ दू झन मनखे ल बइला बना के नागर बख्खर चलाय जाथे। नवा करसा कलौरी ले तरिया के पानी लान के देवता म चढ़ाथें।छत्तीसगढ़ तिहार के गढ़ आय। इहां अब्बड अकन परब तिहार अउ संस्कार म मनखे मन अइसे सना जथे जइसे भगवान के…
Read Moreहमर छत्तीसगढ़
हमर सोझिया छत्तीसगढिया मजदूर मन, मजदूरी करे दूसर राज जाथे अउ अपन सबे कुछ लुटा के लहुटथें, ए विसय म इस्थायी समाधान होना चाही। अपराध अउ भ्रस्टाचार दिनों-दिन बाढ़त जात हे। गरीब ह अऊ गरीब होवत जात हे, पूरा बेवस्था ह बिगड़े हे, अइसनहा नइ होना चाही। छत्तीसगढ़िया सबो जात म दुस्मनी के जहर बोए जात हे, सबो जात म समरसता अउ सद्भावना बढ़ाए के बेरा आए हे, एकर रस्ता बनाना चाही। ऊंच-नीच के भाव मिटना चाही। हम सब ल छत्तीसगढ़-महतारी के सपूत बनना चाही।ह मर भारत देस के 26…
Read Moreमइया पांचो रंगा
सा धक मन बर नवरात्रि परब घातेच बढ़िया माने गे हे। हिन्दू मन के ये तिहार छत्तीसगढ़ में बच्छर म दू बार चैइत अउ कुंवार महिना में मनाए जाथे। कुंवार नवरात्रि में माता दुर्गा के मूर्ति इस्थापना करे जाथे। तब चैइत नवरात्रि म जंवारा बोथें। नव दिन म मया, उच्छाह, भक्तिभाव अउ व्रत, उपास के शक्ति देखे बर मिलथे। छत्तीसगढ़ शक्ति पीठ के गढ़ आय। इहां के भुइयां में अब्बड़ अकन जघा म देवी मां विराजमान होके जम्मो भगत ऊपर किरपा बरसावत हे। येमा रतनपुर महामाया, धमतरी बिलई माता, गंगरेल…
Read Moreमया करे ले होही भाषा के विकास : अनुपम सिंह के जयप्रकाश मानस संग गोठ बात
‘सृजनगाथा’ के संपाद· जयप्रकाश मानस ओडिय़ा होय के बाद भी छत्तीसगढ़ी बर समर्पित हवय। साहित्य के सबो विद्या के जानकार होय के संग सामाजिक सरोकार के लेखनी बर अपन पहिचान रखथे। उनखर लिखे ‘दोपहर में गांव’ पुरस्कृत रचना हवयं। श्री मानस ह तभी होती है सुबह, होना ही चाहिए आंगन, छत्तीसगढ़ी व्यंग्य कलादास के कलाकारी, छत्तीसगढ़ी: दो करोड़ लोगों की भासा सहित दू कोरी ले जादा किताब लिखे अउ संपादन करे हवय। माध्यमिक शिक्षा मंडल म अधिकारी मानसजी तिर अनुपम सिंह के गोठ: अनुपम : मनखे समाज के बीच में छत्तीसगढिय़ा बोले म लजाथे। का…
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