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गोठ बात

प्रशासनिक शब्‍दकोश बनइया मन ल आदर दव, हिनव झन

छत्‍तीसगढ़ राजभाषा आयोग दुवारा छपवाय हिन्‍दी-छत्‍तीसगढ़ी प्रशासनिक शब्‍दकोश भाग एक के बारे में कुछ लेखक मन के बिचार पढ़े के मउका लगिस। खुसी होइस के छत्‍तीसगढ़ी भाषा खातिर जागरिति हवय। दू चार बात मोरो मन म उठिस, तोन ल बताना जरूरी समझत हँव। ए शब्‍दकोश ल राजभाषा आयोग ह नइ बनाय हे। विधानसभा सचिवालय ह […]

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लोक रंजनी लोक नाट्य : नाचा

कोनो भी प्रदेश के लोक नाट्य म हमर बीच के बोली अउ अपन बीच के कलाकार संग सिंगार के सहजता अउ सामाजिक संदेस होथे, जेखर भीतरी गीत-संगीत, नाच अउ अभिनय होथे। लोक नाट्य बर कोनो पोथी पतरा, किताब सिताब के नित-नियम के बंधेज नई रहय काबर कि लोकनाट्य ह हमर पुरखा मन मेर ले पीढ़ी […]

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मंगल कामना के दिन आय अक्ती

ठाकुर देवता के देरौठी म तो धान बोय के पूरा प्रक्रिया चलथे। ये दिन परसा पाना के महत्व बाढ़ जथे। परसा पाना के दोना बना के वोमा माई कोठी के धान ल ठाकुर देव म चढ़ाय जाथे। संग म मऊहा ल घला समर्पित करथें। धान छितथे अउ दू झन मनखे ल बइला बना के नागर […]

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हमर छत्तीसगढ़

हमर सोझिया छत्तीसगढिया मजदूर मन, मजदूरी करे दूसर राज जाथे अउ अपन सबे कुछ लुटा के लहुटथें, ए विसय म इस्थायी समाधान होना चाही। अपराध अउ भ्रस्टाचार दिनों-दिन बाढ़त जात हे। गरीब ह अऊ गरीब होवत जात हे, पूरा बेवस्था ह बिगड़े हे, अइसनहा नइ होना चाही। छत्तीसगढ़िया सबो जात म दुस्मनी के जहर बोए […]

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मइया पांचो रंगा

सा धक मन बर नवरात्रि परब घातेच बढ़िया माने गे हे। हिन्दू मन के ये तिहार छत्तीसगढ़ में बच्छर म दू बार चैइत अउ कुंवार महिना में मनाए जाथे। कुंवार नवरात्रि में माता दुर्गा के मूर्ति इस्थापना करे जाथे। तब चैइत नवरात्रि म जंवारा बोथें। नव दिन म मया, उच्छाह, भक्तिभाव अउ व्रत, उपास के […]

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मया करे ले होही भाषा के विकास : अनुपम सिंह के जयप्रकाश मानस संग गोठ बात

‘सृजनगाथा’ के संपाद· जयप्रकाश मानस ओडिय़ा होय के बाद भी छत्‍तीसगढ़ी बर समर्पित हवय। साहित्य के सबो विद्या के जानकार होय के संग सामाजिक सरोकार के लेखनी बर अपन पहिचान रखथे। उनखर लिखे ‘दोपहर में गांव’ पुरस्‍कृत रचना हवयं। श्री मानस ह तभी होती है सुबह, होना ही चाहिए आंगन, छत्‍तीसगढ़ी व्यंग्य कलादास के कलाकारी, छत्‍तीसगढ़ी: दो करोड़ […]

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छत्तीसगढ़ी बोले बर लाज काबर

आज हिन्दी जनइया मन हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी जनइया मन ल छत्तीसगढ़ी बोले म तकलीफ होथे। ये मन अंगरेजी अउ हिन्दी भासा के परयोग करथे। अपन भासा ल पढ़े-लिखे म सरम आथे, काबर? अपन भासा के प्रति हीनता इंखर बीमारी आय। जेन ह सिर्फ परचार ले अउ ननपन ले अपन भासा के प्रति परेम ले दूर […]

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यहू नारी ये

यहू नारी ये फेर येकर समाज म कोनो सुनाई होवे। कोन जांच कराही की येकर कोख कइसे हरियागे। नारी सही दिखत ये पगली संग कोन अपन तन के गरमी जुड़ाइस। हादसा होही या बरपेली। का समझौता घलो हो सकथे? मन म सवाल ऊपर सवाल उठत हे। फेर जवाब के अभाव म ओ सवाल के कोनो […]

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मन लागा मेरो यार फकीरी में – अनुपम सिंह के गोठ

कबीर के संवेदना ल फकीरी अउ सुफियाना सइली के अपन गीत मं प्रस्तुत करइया भारती बंधु मन कोनो परिचय के मोहताज नई हवय। भारती बंधु कला के क्षेत्र म छत्तीसगढ़ के पहिचान के रूप म जाने जाथे। डा. नामवर सिंह एक पइत भारती बंधु ल संगीत के नवा खोज कहे रहिन। भारती बंधु दल के […]

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संगी मन संग अपन गोठ-बात

संगी मन ला जोहार, जब हम अपन नेट संगी मन मेर सुनता-सलाह करके 2 अक्‍टूबर 2008 ले गुरतुर गोठ के बाना उंचाए रहेन त हमर सोंच रहिस हावय के येला पतरिका के रूप देबोन, चाहे त सरलग नहीं त एक-दू दिन के आड़ म, अलग-अलग विधा के माला गूंथत। …. फेर बेरा के कमी अउ […]