आवा बचावव लोक कला ल : डॉ. सोमनाथ यादव

बिलासा कला मंच के संस्थापक अउ राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्‍मानित डॉ. सोमनाथ यादव कला अउ कलाकार मन ल बढ़ावा देहे बर जाने जाथे। मंच ह कला के संरक्‍छन के दिसा मं काम करे के संग अइसे रचनाकार मन के किताब ल छापे हवै, जउन ल कोनो नई जानयं। उनखर काम ल देख के शासन हं डॉ. यादव ल छत्‍तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य बनाए रहिस। डा. यादव तिर अनुपम सिंह के गोठ.  भास्‍कर : बिलासा कला मंच ल बने २२ बरस हो गे हवै। अतेक साल मं छत्तीसगढ़ी…

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काम दहन के आय परब- होली

छत्तीसगढ़ आदिकाल ले बूढ़ादेव के रूप म भगवान शिव अउ वोकर परिवार ले जुड़े संस्कृति ल जीथे, एकरे सेती इहां के जतका मूल परब अउ तिहार हे सबो ह सिव या सिव परिवार ले जुड़े हावय। उही किसम होली जेला इहां के भाखा म होली कहे जाते। इहू हर भगवान भोलेनाथ द्वारा कामदेव ल भसम करे के परब आय। छ त्तीसगढ़ म हमन जेन होली के परब मनाथन वो हर असल म काम दहन के परब आय। बाहिर ले आए मनखे मन इहां के सांस्कृतिक स्वरूप अउ इतिहास ल अब्बड़…

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नंदावत हे लोककला, चेत करइया नई हे…

गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिहा से खास बात ‘देवार डेरा’, ‘चंदैनी गोंदा’, कारी बर लिखे गीत अऊ कवि सम्मेलन मा सोझेच अपन मन के बात कहइया गीतकार कवि लक्ष्मण मस्तुरिहा के कहना हे कि नवा राज बने नौ बछर बीतगे फेर छत्तीसगढ़ के लोककला के चिन्हारी करइया नई मिलीस। जतका बड़का आयोजन होइस ओमा दिल्ली, बम्बई के कलाकार ला नेवता देइन, इहां के कलाकार के पूछारी नई हे। इही हाल रईही त हमर लोककला नंदावत देरी नई लागय। कतका उछाह उमंग नवा राज बनिस त मन मा रहिस फेर मन के साध…

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दारू बंदी के रद्दा अब चातर होवत हे

 हमर प्रदेस मा चारो मुड़ा कारखाना उपर कारखाना लगत हावय, धान के कटोरा छत्‍तीसगढ़ मा किसानी जोंत के रकबा दिनो-दिन घटत जावत हावय। सहर ले लगे गांव-खेत मन ला बिल्डिंग हा लीलत हावय अउ जंगल-ड़ोंगरी के जमीन मन ला कारखाना हा लीलत हावय। बांचे खोंचे किसानी के जमीन हा कारखाना के चिमनी ले उड़ात करिया राखड़ अउ प्रदूसन ले पटर्रा भांठा होवत जावत हे। कारखाना वाले मन पइसा के बल मा सइघो नदिया अउ बांधा जईसे ला बिसा के पानी के प्राकृतिक संसाधन ला सिरवात हावंय। कारखाना बर सरकार अउ…

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मन के लाड़ू

रोज बिगड़ई म परिसान होके बिदही तीस हजार म मेटाडोर ल बेच दीस। घर म न चांउर रहीस न दार, उई पइसा ल सब उड़ात गिस। सब पइसा सिरागे त बिदही रोजी-रोटी कमाय जाय लगिस।’समारू ल गांव के सब छोटे बड़े मन बढ़िया मान गौन करयं। समारू हर तको अपन ले बड़े के गोड़ छू के पांव परथे। समारू हर गांव म ककरो घर पर लर जाथे जिहा दंऊड़ के आ जाथे। अपने सब काम ल छोड़ के। ककरो घर चांउर-दार नई रहय त समारू हर चाउर-दार, लकड़ी-फाटा सब दे…

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माँ-छत्तीसगढ़ के महत्व

जेन ह जिनगी भर लइका ल देते रहिथे। तभे तो प्रसाद जी कहे हे अतेक सुग्घर के मन म वोला गुनगुनाते रहाय तइसे लागथे इस अर्पण में कुछ और नहीं, केवल उत्सर्ग छलकता है। मैं दे दूं और न फिर कुछ लूं, इतना ही सरल झलकता है। व्यास जी कहे हे- ‘गुनी लइका ह दाई अऊ ददा दूनू ल एक संग देखय त पहिली दाई ल परनाम करय पीछू ददा ल।’सुग्घर समाज म पढ़े-लिखे लइका मन जहां अपन पांव म खड़ा हो जाथे तहां अपन जनम देवइया महतारी ल अपन…

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लींग परीक्छन के परिनाम

आज कई परिवार एक या दू लड़की ले संतुस्ट हावय अउ अपन लड़की ल इंजीनियर डाक्टर बनाये के सोचत हे। पिछड़ा समाज घलो ये विचार ल स्वीकारत अपन बेटी मन ल पढ़ावत हावय।आज के जुग ह बिज्ञान के जुग आय। आज बिज्ञान के सहारा ले मनखे ह कहां ले कहां पहुंच गे हे। जम्मो जिनिस के बिमारी ल जाने बर कतको किसम के नवां-नवां उपकरन के ईजाद होय हे। मनखे ह मंगल अऊ चंद्र ग्रह म जाके बिज्ञान के महत्व ल उजागर करत हे। कंपुटर अऊ मोबाईल युग ह कतको…

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छत्तीसगढ़ गीत म सिंगार रस

छत्तीसगढ़ी भाखा ल भले भारत सरकार ह भासा के मान्यता नइ देये फेर येमा जम्मो रस के गीत अउ गोठ समाय हे। तभे तो गीत म ये भाखा सही कोनो मीठ अउ धीरलगहा भाखा नइए केहे हे। मोर भाखा संग दया-मया के, सुग्घर हावय मिलाप रे। अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा, ककरो संग झन नाप रे॥ ये भाखा के मिठास अतेक हे ते ककरो संग तुलना नइ करे जा सकय। सिंगार रस म छत्तीसगढ़ी के कतको गीत हे जेला रेडियो अउ पोंगा रेडियो म सुने ल मिलथे जइसे टूरा अपन पिरोहील ल…

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आम जनता के गणतंत्र

तीन कोरी एक आगर बरिस पहिली हमर देस के संविधान ला लागू करत खानी जउन किरिया हम अउ हमर जम्‍मो भारत के मनखे मन खाये रहेन वो किरिया हा कतका सुफल होए हे तउन ला आज के दिन बिचार करे के बात हे। वो समे अउ हमर गणतंत्र के अभी के हाल ला सोंचे बिना झंडा फहरई अउ गण‍तंत्र दिवस अमर रहे के नारा लगई अबिरथा हे। हमर देस के चकाचक बिकास ला देखके इतरई के संगें संग अभी के हालत बर सोंच-बिचार करना भी जरूरी हे। सहर के बड़का-बड़का…

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किसान मन के अन्नदान परब छेरछेरा पुन्नी

किसान उपजाए धान ले मिंजके कोठार म रास बनाके अन्नपूरना ”लक्ष्मी देवी” के रूप म नरियर अउ हूम-धूप ले पूजा करथे ओखर बाद कोठी म भंडारन करे खातिर ले जाथे। स्कंद पुरान म दान के महत्ता दरसाय गे हवय, ओखर मुताबिक कमाय धन के दसवां भाग दान करना आदमी के करतब है। ये ही सब ल आधार मानके छत्तीसगढ़ी समाज के पूरा सदस्य मन सकभर निभाय के उदीम म लगे रहिथे। येही दानशीलता के सबसे बड़े परब अउ निसानी के रूप में अन्नदान पर्व छेरछेरा तिहार छत्तीसगढ़ म देखे बर…

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