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गोठ बात

मोर छइंहा भुइहां छत्तीसगढ़ी रंगीन फिलिम के बोहनी

मैं सोचथंव के उनला अपन फिलिम म खराब फूहड़ दिरिस्य अउ गीत के निर्माण करके छत्तीसगढ़िया मन के आदत बिगाड़े के प्रयास करना एक सवाल खड़ा करथे। बने फिलिम अउ गीत हमेशा सफल होय हे। ये बात ल सुरता राखना एक फिलिमकार बर बड़ जरूरी हे। कोनो भी काम ल शुरुआत करे बर कोनो न […]

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गोठ बात

धरोहर ले निकले अनमोल रतन छत्तीसगढ़ी वियाकरन

छत्तीसगढ़ राज बनिस, तब बाहिर के मन ‘छत्तीसगढ़ी’ बोली आय के भासा एखर ऊपर प्रस्न खड़ा कर दिन। हल्ला होय ले लगगे के ‘वियाकरन कहां हे?’ कुछ सिक्छाविद् अउ साहित्यकार मन ये बात ल सामने लइन के बियाकरन के रचना तो हीरालाल काव्योपाध्याय ह 1885 म करे रहिन हे। ये वियाकरन के अंग्रेजी अनुवाद मि. […]

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गोठ बात

अक्षय तृतीया

(बैसाख अंजोरी पाख तीज) भविष्य पुराण म लिखे हे के आज के दिन त्रेतायुग प्रारंभ होय रहिस हे। आजे के दिन भगवान परसुराम के घला अवतार होय रहिस हे। तेखरे सेती अक्ति के दिन ल अबूझ मुहुरत माने गे हे अउ एमा बर बिहाव मंगल कारज ल बिन मुहुरूत देखे करथें। बैसाख अंजोरी पाख के […]

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गोठ बात

अक्ती परब सीता ल बिहावय राजा राम – परब तिहार

हमर छत्तीसगढ़ के हर परब-तिहार के अलगे महत्तम हे। इहां के जम्मो मनखे मन म भारतीयता के संस्कार ह कूट-कूट ले भराय हे। वइसे तो साल भर के भीतर रंग-रंग के परब अउ तिहार ल मानथन हमन ह, फेर ये तिहार ह हमर छत्तीसगढ़िया किसान मन बर अलगेच महत्तम राखथे। गांव के छोटकुन लइका मन […]

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गोठ बात

जइसे खाय अन्न वइसे बनही मन

अहार के मनसे के जिनगी म परभाव परथे। ईमानदारी ले कमई करके बिसाय धन ले बनाय खाय के अलगे असर परथे। ये असर हमला दिखय नहीं, फेर जेखर जिनगी तप के परभाव ले सुग्घर हो गे हे उंकर म एक परभाव तुरते दिखथे। एला समझे खातिर वृन्दावन के एक ठन किस्सा बतावत हंव बिचार करिहा। […]

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गोठ बात

जइसे खाय अन्न वइसे बनही मन

अहार के मनसे के जिनगी म परभाव परथे। ईमानदारी ले कमई करके बिसाय धन ले बनाय खाय के अलगे असर परथे। ये असर हमला दिखय नहीं, फेर जेखर जिनगी तप के परभाव ले सुग्घर हो गे हे उंकर म एक परभाव तुरते दिखथे। एला समझे खातिर वृन्दावन के एक ठन किस्सा बतावत हंव बिचार करिहा। […]

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गोठ बात

बित्ता भर भुइयां

मे ह एक बीता भुइयां बर मरत हावव का, मे ह काबर अइसे करवाहूं भई जावा उही ल पूछ मे हा तो काही नइ केहे अवं। कइसे के विष्णु तोर मालिक ह काय काहत हे, सुनत हावच न, अरे ददा हो। मालिक के केहे बिना मेहा कइसे कर देहूं गा। विष्णु तोला मेहा कब दर्रा […]

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गुड़ी के गोठ गोठ बात

संस्कृति बिन अधूरा हे भाखा के रद्दा

भाखा के मापदण्ड म राज गठन के प्रक्रिया चालू होए के साथ सन् 1956 ले चालू होय छत्तीसगढ़ी भाखा ल संविधान के आठवीं अनुसूची म शामिल करे के मांग आज तक सिरिफ मांग बनके रहिगे हवय। अउ लगथे के ए हर तब तक सिरिफ मांगेच बने रइही, जब तक राजनीतिक सत्ता म सवार दल वाला […]

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गुड़ी के गोठ गोठ बात

कोंदा मनके भजन महोत्सव – गुड़ी के गोठ

अब बड़े-बड़े जलसा अउ सभा समारोह ले देवई संदेश ह अनभरोसी कस होवत जात हे, अउ एकर असल कारन हे अपात्र मनखे मनला वो आयोजन के अतिथि बना के वोकर मन के माध्यम ले संदेश देना। राजनीतिक मंच मन म तो एहर पहिली ले चले आवत हे, फेर अब एला साहित्यिक सांस्कृतिक मंच मन म […]

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गोठ बात

मै मै के चारों डाहर घूमत साहित्यकार – सुधा वर्मा

एक कार्यकरम म कुछ साहित्यकार मन संग भेंट होईस। एक लेखक जेन कवि घलो आय आके पांव छुईस अउ बइठगे। थोरिक बेरा मा कुछु-कुछु गोठियाय के बाद म कहिथे, मैं ह छत्तीसगढ़ के टॉप के बाल साहित्यकार आंव। अभी-अभी थोरिक दिन पहिली एक महिला साहित्यकार फोन कर-कर के कई झन ल कहिस के मैं ह […]