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गुड़ी के गोठ गोठ बात

आदि परब के अद्भुत रंग – सुशील भोले

गुड़ी के गोठ बसंत ऋतु संग बलदे मौसम के नजारा संग कला-जगत के घलो रंग बदलत देख के मन गदगद होगे। छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति के नांव म इने-गिने गीत-नृत्य मन के प्रस्तुति देख-देख के असकटाये आंखी ल आदि परब के रूप में मनमोहनी देखनी मिलगे। एला देखे के बाद मन म ए बात के प्रश्न घलोक […]

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छत्तीसगढ़ी लोक कला के धुरी ‘नाचा’

‘जुन्ना समय अउ अब के नाचा म अब्बड़ फरक होगे हे। जुन्ना नाचा कलाकार मन रुपिया-पइसा के जगह मान सम्मान बर नाचयं गावयं। गरीबी लाचारी के पीरा भुलाके कला साधना म लगे राहयं, कला के संग जिययं अऊ मरयं। आज काल में नाचा म दिखावा जादा होथे कला साधना कमतियागे। फिलिम के गाना संग भद्दापन […]

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प्रकृति के नवा सिंगार अउ नवा बछर

सुशील भोले भईया ला सुनव यूट्यूब मा –   विडियो साभार – http://www.youtube.com/user/webmediablog भारतीय नव वर्ष माने चैत महीना के अंजोरी पाख के पहिली तिथि। मोला लगथे हमर ऋषि-मुनि मन प्रकृति के नवा सिंगार ल आधार मानके ए तिथि ल जोंगिन होहीं तइसे लागथे। काबर ते इही बखत प्रकृति ह पतझड़ के बाद नवा सिंगार […]

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सुन्ना कपार – उतरगे सिंगार

”मास्टरिन के बात ल सुन के मैं ह खुस होगेंव के देखव तो अब इंकर मन म जागे के चिनगारी उठत हे। जेन माइलोगिन निंदा-चारी के परवाह नई करके समाज अउ परिवार संग जुझथे वो ह अवइया कतेक माइलोगिन मन बर रद्दा बना देथे। कतको सिक्छित माइलोगिन मन ल कपार ल जुच्छा नि राखंय अउ […]

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शिवरीनारायण के मेला

इहां एक शिवलिंग हावय। ऐसे कहे जाथे के ये शिवलिंग म सवा लाख छिद्र हावय। येमा सिक्का डाले ले सिक्का के आवाज तो आथे फेर वो हर कहां जाथे ये रहस्य हावे। इहां माघ पूर्णिमा ले महाशविरात्रि तक मेला भरथे। शिवरीनारायण नाम में ही भक्त अउ भगवान के मिलन के बात हे, त एखर पौराणिक […]

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जुन्ना सोच लहुटगे हमर रंग बहुरगे

सर्दी के मौसम के जाती अउ गरमी के आती के बेरा एक संधिकाल आय। ये संधिकाल के मौसम के ‘काय कहना?’ ठंड के सिकुड़े देह मौसम के गर्माहट म हाथ गोड़ फैलाए ले लग जथे। खेती के काम निपट जथे। चार महीना बरसात अउ चार महीना ठंड म असकटाए मनखे, खेती के काम ले थके […]

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जानबा

ये दिन हा कतका धन्य हे के 14 फरवरी 2010 दिन इतवार म महावर धरमसाला धमतरी के बडक़ा ठउर म छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर (छत्तीसगढ़) के सवजन ले 14वां वार्षिक साहित्य सम्मेलन 2010 के आयोजन करे गिस। ये सम्मेलन के रद्दा सबो साहित्यकार जुन्ना अउ नवा सन देखत रहिथे। एक बछर पाछू अइसन समागम बने […]

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नौ बछर के छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ राय जब तक गर्भ म रहिस हे तब तक ओ ह छटपटावत बहुत रहिस हे। कमजोर महतारी ह ओखर ऊपर, धियान कम दिस। छत्तीसगढ़ के हुकारू ह दिल्ली तक पहुंचीस, ओखर दु:ख पीरा ल सुनके दिल्ली ह ओखर इलाज करीस। सन् 2000 म छत्तीसगढ़ के जनम होईस। बहुत दु:ख पीरा के संग-संग घर के […]

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मया बर हर दिन ‘वेलेन्टाइन डे’ होथे

अपन मया ल देखाय बर एक तिहार मनाये जाथे। जेन ल ‘वेलेन्टाइन डे’ कहे जाथे। येला आज जम्मो दुनिया के मन मनाथे। आज मया खतम होगे हावय। तभे तो ओखर बर एक तिहार मनाये बर दिन निश्चित करे हावंय। 14 फरवरी के दिन वेलेन्टाइन नांव के संत पैदा होय रहिस हे। ओ ह परेम के […]

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बसंत ल देखे बर सिसिर लहुटगे

सिसिर रितु, पतझड़ ल न्यौता दिस ‘आ अब तैं आ मैं दूसर जगह के न्यौता म जात हावंव। तोला इंहा बसंत के आय के तइयारी करना हे। प्रकृति ल अइसे संवार दे के बसंत आके देखय त नाचे ले लग जाय।’ भौंरा, तितली, कोयली सब कान दे के सुनत रहिन हे। पतझड़ ह जझरंग ले […]