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गोठ बात

‘छत्तीसगढ़ के कलंक आय लोककला बिगड़इया कलाकार’

अनाप शनाप एलबम के सीडी म रोक लगना चाही: प्रतिमा पंडवानी गायिका प्रतिमा बारले संग विजय मिश्रा ‘अमित’ के गोठ बात छत्तीसगढ़ म लोककथा अउ लोकगाथा के भरमार हांवय। घर परिवार के डोकरी-डोकरा अउ सियान मन लइका मन ल लोककथा ल सुनावत-सुनावत बने-बने गुन के बीजा ल नोनी बाबू मन के दिल दिमाक म बों […]

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14 वां वार्षिक साहित्य सम्मेलन 2010

ये दिन हा कतका धन्य हे के 14 फरवरी 2010 दिन इतवार म महावर धरमसाला धमतरी के बडक़ा ठउर म छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर (छत्तीसगढ़) के सवजन ले 14वां वार्षिक साहित्य सम्मेलन 2010 के आयोजन करे गिस। ये सम्मेलन के रद्दा सबो साहित्यकार जुन्ना अउ नवा सन देखत रहिथे। एक बछर पाछू अइसन समागम बने […]

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विकास के कीमत तो चुकाय ल परही

ये तथ्य ल सबो जानथे के धरती के इतिहास कतक पुराना हे। अउ अभी तक के ज्ञात इतिहास में धरती कतका परिवर्तन झेल चुके हे। जउन भी परिवर्तन होय हे फटाक ले नी हो गे हे। ओ परिवर्तन में हजारों-लाखों साल लगे हे। केहे के मतलब परिवर्तन बहुत धीरे-धीरे होथे। अभी कुछ दसक ले हमर […]

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नदिया के पीरा

जल, जल माने पानी, ह प्राकृतिक संसाधन म सब ले ऊपर आय। येखर बीना परानी जगत के कल्पना घला नइ करे जा सके। नंदिया ह मानव ताल आदिकाल ले महतारी असन दुलार करथे। कोनों भी क्षेत्र के बाढ़े अऊ विकास करे म नंदिया के अड़बड़ महातमा हे। ऐखरे सेती नंदिया ल देस के जीवन रेखा […]

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अपन घर के देवता ल मनइबो

जैतखाम ल सतनाम धरम के अनुयायी आस्था के चिन्हा मानथे अऊ येकर पूजा पाठ करत रथे। खाम के ऊपर मं सादा झंडा लगाय जाथे। इही ल शांति के प्रतीक माने गेहे। छग संत महात्मा, महापुरुष मन के भूमि हरे। पांव-पांव मं देवी-देवता के जुन्ना सुरता, स्मारक, पथरा मं पारे चिन्हा अऊ कथा कहिनी मन अपन […]

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आज जरूरत हे सत के

कोनो भी चीज के जब अति होथे त ओह फुट जाथे। कर्मकांड, पाखंड के अति ह, जनम दिस सत ल। येला बगराय बर, सतबर जागरिति लाय बर कबीर ह अलख जगइस। उही कड़ी म निर्गुण ब्रह्म के सुग्घर ममहाती हवा के झोंका अइस। ये हवा ल पठोवत रहिन गुरु घासीदास सत्यनाम या फेर सतनाम के […]

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छत्तीसगढ़ी भासा : उपेक्छा अउ अपेक्छा (एक कालजयी आलेख)

    हमर ये समय ल, जेमा हम जीयत हन जमों ला भुला जाय (स्मृति भंग) के समय कहे जा रहे हे। ए समय के मझ म बइठ के मैं सोचत हॅव के भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अपन आज ल हमर काल बर सौंपे के बात कहत रहिन तउन ह छत्तीसगढ़ के तात्कालीन साहित्यकार मन […]

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छत्‍तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा

एतवारी बजार के दिन । जाने चिन्हें गंवई के मोर संगवारी सिदार जी असड़िहा घाम म किचकिचात पसीना, म लरबटाये, हकहकात, सायकिल ले उतर के, कोलकी के पाखा म साइकिल ल ओधा के, हमर घर बिहनिया नवबजिहा आइन । कथें मोला- “हजी, चला बजार जाबो । थोड़कन हाट कर दिहा।” जाय के मन तो एकरच […]

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छत्‍तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा

एतवारी बजार के दिन । जाने चिन्हें गंवई के मोर संगवारी सिदार जी असड़िहा घाम म किचकिचात पसीना, म लरबटाये, हकहकात, सायकिल ले उतर के, कोलकी के पाखा म साइकिल ल ओधा के, हमर घर बिहनिया नवबजिहा आइन । कथें मोला- “हजी, चला बजार जाबो । थोड़कन हाट कर दिहा।” जाय के मन तो एकरच […]

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कइसे होही छत्तीसगढ़िहा सबले बढ़िहा?

    ”सतरूहन या सतरोहन नाव त इसकूल म गुरुजी ह सुधार के शत्रुघन या शत्रुहन लिख देथे। अउ एक ठन छत्तीसगढ़ी नाव के राम नाम सत्त कर देथे। आज तक कोनो अइसना नाव लिखइया मनखे छत्तीसगढ़ म नई हे। भावना के छोड़ कोनो दूसर बात नो हे।”   छत्तीसगढिहा ल भाखा के रूप म […]