छत्तीसगढ़ म मेला ह हमर समाज संसकिरिती म रचे-बसे हावय जेखर कारन येखर हमर जीनगी म अब्बडेच़ महत्तम रखथे। माघी पून्नी ले जम्मों छत्तीसगढ़ म मेला भराये के सुरू हो जाथे। चाहे वोह राजीम के मेला हो, चाहे शिवरीनारायन के मेला, चाहे कोरबा के कंनकी मेला, चाहे कौड़िया (सीपत) के मेला, चाहे पीथमपुर (चांपा), चाहे सिवनी (नैला) जांजगीर के संतोषी मेला होवय। मेला के मतलब मोर अनुसार मेला-मिलाप एक माध्यम हावय। काबर के मेला बर गांव के छोटे से छोटे किसान से ले के बड़का किसान मन तक अपन बेटी…
Read MoreCategory: गोठ बात
हिसार म गरमी
चालू होवत हवय गरमी, जम्मो लगावय डरमी कूल। लागथे सूरज ममा हमन ल, बनावत हे अप्रिल फूल।। दिन म जरे घाम अऊ, रतिहा म लागथे जाड़। एईसन तो हवय संगी, हरियाणा म हिसार।। कोन जनी का हवय, सूरज ममा के इच्छा। जाड़ अऊ गरमी देके, लेवय जम्मो के परीक्क्षा।। मोटर अऊ इंजन के खोलई, होवत हवे आरी-पारी। पना-पेंचिस के बुता म, मजा आवत हवय भारी।। टूरा ता टूरा इहाँ, नोनी मन घला मजा उठावत हे। अऊ जादा होवत हवय, ताहन मुहुँ ल फुलावत हे।। इंजन के पढ़ई म, अजय सर…
Read Moreदिनेश चौहान के छत्तीसगढ़ी आलेख- सेना, युद्ध अउ सान्ति
हमर देस के जम्मू कास्मीर राज के पुलवामा जिला म 42 ले जादा जवान के शहीद होय के बाद पूरा देस म सेना अउ युद्ध के चर्चा छिड़े हे। पूरा देस जानथे के भारत म होने वाला जम्मो आतंकवादी हमला म पाकिस्तान के हाथ हे। पाकिस्तान हमर वो पड़ोसी देस हरे जउन आजादी के पहिली भारत के हिस्सा रिहिस। अंगरेज मन हरदम फूट डाल के राज करिन अउ जावत-जावत देस के दू टुकड़ा कर दिन। ये बँटवारा धरम के नाँव ले के करे गिस। बँटवारा के बाद दुसमनी खतम हो…
Read Moreशिवरात्री मनाबो – महादेव में पानी चढाबो
शंकर भगवान ल औघड़ दानी कहे गेहे। काबर पूजा पाठ करे के सबले सरल विधि एकरे हे। अऊ बहुत जल्दी खुस होके वरदान भी देथे। शंकर भगवान ल भोला कहिथे त सीरतोन में भोलेच भंडारी हरे। शिवरातरी के दिन एकर बिसेस पूजा पाठ करे जाथे। फागुन महीना में अंधियारी पांख के चौदस के दिन शिवरात्री ल मनाय जाथे। कहे जाथे की इही दिन शिव जी ह तांडव करके अपन तीसरा आंखी ल खोले रिहिसे अऊ पूरा ब्रमहांड ल समाप्त कर दे रिहिसे। एकरे पाय ए दिन ल महाशिवरात्री या कालरात्री…
Read Moreउम्मीद म खरा उतरे बर आज के बुद्धिजीवीमन ल सामने आना चाही : खुमान लाल साव
खुमान लाल साव जी से कुबेर अउ पद्मलोचन के गोठ बात, श्रुत लेखन – कुबेर आज (25 फरवरी 2019) मंझनिया पाछू भाई पद्मलोचन शर्मा ’मुँहफट’ के फोन आइस। जय-जोहार के बाद वो ह पूछिस – ’’कुबेर, अभी तंय ह कहाँ हस? खुमान सर से मिले बर जाना हे। बहुत दिन होगे, जाना नइ होवत हे, अब परीक्षा शुरू हो जाही तहाँ फेर दू महीना समय नइ मिल पाही।’’ खुमान सर के अस्वस्थ होय के अउ अस्वस्थता ले उबरे के बाद महू हर वोकर से मिल नइ पाय हंव। मंय ह…
Read Moreदादा मुन्ना दास समाज ल दिखाईस नावा रसदा
रायगढ़ जिला के सारंगढ़ विकास खंड के पश्चिम दिसा म सारंगढ़ ल 16 किलोमीटर धुरिया म गांव कोसीर बसे आय। जिन्हा मां कुशलाई दाई के पुरखा के मंदिर हावे अंचल म ग्राम्य देवी के रूप म पूजे जाथे। इंहा के जतको गुन गान करी कम आय। समाज म अलग अलग धरम जाति पांति के लोगन मन के निवास होथे अउ अपन अपन धरम करम ले पहिचाने जाथे फेर कोनो महान हो जाथे त कोनो ग्यानी – धयानि अउ दानी इसनेहे एक नाम कोसीर गांव के हावय जेखर नाम ल आज…
Read Moreमानस मा प्रयाग
तीर्थराज प्रयाग मा कुंभ मेला चलत हावय।एक महिना तक ये मेला चलथे। छत्तीसगढ़ मा एक पाख के पुन्नी मेला होथय। ये बखत यहू हा प्रयाग हो जाथय। तुलसीदास बाबा हा तीर्थराज प्रयाग के महत्तम ला रामचरित मानस मा बने परिहाके बताय हे।मानस के रचना करत शुरुआत मा जब बाबा तुलसी वंदना करधँय तब साधु संत के वंदना अउ उँखर गुनगान करथँय।संत मन के समाज हा कल्याणकारी असीस देवइया अउ आनंद देवइया होथँय।संसार मा जौन जगा साधु संत सकलाथँय उही जगा मा सक्षात् तीर्थराज प्रयागराज हा खुदे आ जाथय। इही ला…
Read Moreचिन्हारी- नरवा-गरूवा-घुरवा-बारी
देस होय चाहे राज्य ओखर पहिचान उहां के संसकरिति ले होथे। सुंदर अउ सुघ्घर संसकरिति ले ही उहां के पहिचान दूरिहा दूरिहा मा बगरथे। अइसने हमर छत्तीसगढ़ राज के संसकरिति के परभाव हा घलो हमर देस म अलगे हे। इहां के आदिवासी संसकरिति के साथ-साथ इहां के जीवन यापन, लोकगीत संगीत हा इहां के परमुख विसेसता आय। फेर ऐखर अलावा भुंइया ले जुरे संसकरिति के रूप म गांव अंचल के दैनिक जीवन के सब्बों क्रियाकलाप घलो जमीनी संसकरिति आय। जेला आज बचाय के जरूरत हे। काबर ए हा समय के…
Read Moreछत्तीसगढ़ के वेलेंटाईन : झिटकू-मिटकी
लोक कथा म कहूँ प्रेमी-प्रेमिका मन के बरनन नइ होही त वो कथा नीरस माने जाथे। छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाका मन म जहां लोरिक-चंदा के कथा प्रचलित हे, वइसनहे बस्तर म झिटकू-मिटकी के प्रेम कथा कई बछर ले ग्रामीण परवेश म रचे-बसे हे। पीढ़ी दर पीढ़ी इंकर कथा बस्तर के वादी म गूंजत रहे हे। बस्तरवासी इनला ल धन के देवी-देवता के रूप म कई बछर ले पूजत आवत हें। इंकर मूर्ति मन ल गांव वाले मन अपन देव गुड़ी म बइठारथें, उन्हें इहां अवइया सैलानी मन झिटकू-मिटकी के प्रतिमा…
Read Moreबसंत पंचमी के तिहार
बसंत रितु ल सब रितु के राजा कहे जाथे। काबर के बसंत रितु के मौसम बहुत सुहाना होथे। ए समय न जादा जाड़ राहे न जादा गरमी। ए रितु में बाग बगीचा सब डाहर आनी बानी के फूल फूले रहिथे अउ महर महर ममहावत रहिथे। खेत में सरसों के फूल ह सोना कस चमकत रहिथे। गेहूं के बाली ह लहरावत रहिथे। आमा के पेड़ में मउर ह निकल जथे। चारों डाहर तितली मन उड़ावत रहिथे। कोयल ह कुहू कुहू बोलत रहिथे। नर नारी के मन ह डोलत रहिथे। ए सब…
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