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छंद दोहा

जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया” के दोहा : ज्ञान

ज्ञान रहे ले साथ मा, बाढ़य जग मा शान। माथ ऊँचा हरदम रहे, मिले बने सम्मान। बोह भले सिर ज्ञान ला, माया मोह उतार। आघू मा जी ज्ञान के, धन बल जाथे हार। लोभ मोह बर फोकटे, झन कर जादा हाय। बड़े बड़े धनवान मन, खोजत फिरथे राय। ज्ञान मिले सत के बने, जिनगी तब […]

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छंद दोहा

जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया” के दोहा : नसा

दूध पियइया बेटवा, ढोंके आज शराब। बोरे तनमन ला अपन, सब बर बने खराब। सुनता बाँट तिहार मा, झन पी गाँजा मंद। जादा लाहो लेव झन, जिनगी हावय चंद। नसा करइया हे अबड़, बढ़ गेहे अपराध। छोड़व मउहा मंद ला, झनकर एखर साध। दरुहा गँजहा मंदहा, का का नइ कहिलाय। पी खाके उंडे परे, कोनो […]

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छंद दोहा

योग के दोहा

महिमा भारी योग के,करे रोग सब दूर। जेहर थोरिक ध्यान दे,नफा पाय भरपूर। थोरिक समय निकाल के,बइठव आँखी मूंद। योग ध्यान तन बर हवे,सँच मा अमरित बूंद। योग हरे जी साधना,साधे फल बड़ पाय। कतको दरद विकार ला,तन ले दूर भगाय। बइठव पलथी मार के,लेवव छोंड़व स्वॉस। राखव मन ला बाँध के,नवा जगावव आस। सबले […]

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चौपाई छंद दोहा

दानलीला कवितांश

जतका दूध दही अउ लेवना। जोर जोर के दुध हा जेवना।। मोलहा खोपला चुकिया राखिन। तउन ला जोरिन हैं सबझिन।। दुहना टुकना बीच मढ़ाइन। घर घर ले निकलिन रौताइन।। एक जंवरिहा रहिन सबे ठिक। दौरी में फांदे के लाइक।। कोनो ढेंगी कोनो बुटरी। चकरेट्ठी दीख जइसे पुतरी।। एन जवानी उठती सबके। पंद्रा सोला बीस बरिसि […]

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चौपाई छंद दोहा

उत्तर कांड के एक अंश छत्तीसगढी म

अब तो करम के रहिस एक दिन बाकी कब देखन पाबों राम लला के झांकी हे भाल पांच में परिन सबेच नर नारी देहे दुबवराइस राम विरह मा भारी दोहा – सगुन होय सुन्दर सकल सबके मन आनंद। पुर सोभा जइसे कहे, आवत रघुकुल चंद।। महतारी मन ला लगे, अब पूरिस मन काम कोनो अव […]

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कविता दोहा

पद्मश्री डॉ॰ मुकुटधर पाण्डेय के कविता

प्रशस्ति सरगूजा के रामगिरी हे मस्तक मुकुट सँवारै, महानदी ह निर्मल जल मा जेकर चरन पखारै। राजिम औ सिवरीनारायण छेत्र जहां छबि पावै, ओ छत्तिसगढ़ के महिमा ला भला कवन कवि गावै। है हयवंसी राजा मन के रतनपूर रजधानी, गाइस कवि गेपाल राम परताप सुअमरित बानी। जहाँ वीर गोपालराय काकरो करै नइ संका, जेकर नाम […]

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किताब कोठी दोहा

दोहा के रंग : दोहा संग्रह

छत्तीसगढ़ मा छन्द-जागरण ये जान के मन परसन होईस कि नवागढ़ (बेमेतरा) के कवि रमेश कुमार सिंह चौहान, दोहा छन्द ऊपर “दोहा के रंग” नाम के एक किताब छपवात हे। एखर पहिली रमेश चौहान जी के किताब “सुरता” जेमा छत्तीसगढ़ी कविता, गीत के अलावा कई बहुत अकन छंद के संग्रह हे, छप चुके हे. कुछ […]

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दोहा

छन्द के छ : दोहा छन्द

बिनती बन्दौं गनपति सरसती, माँगौं किरपा छाँव ग्यान अकल बुध दान दौ, मँय अड़हा कवि आँव | जुगत करौ अइसन कुछू, हे गनपति गनराज सत् सहित मा बूड़ के , सज्जन बने समाज रुनझुन बीना हाथ मा, बाहन हवे मँजूर जे सुमिरै माँ सारदा, ग्यान मिलै भरपूर लाडू मोतीचूर के , खावौ हे गनराज सबद […]

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दोहा

दोहा

सुकवि श्री बुधराम यादव जी के नवा  छत्तीसगढ़ी सतसई दोहा संग्रह “चकमक चिनगारी भरे “ से साभार – ——————————————————————————————————– पहुना  कस बेटी भले – मइके बर दिन चार । पर मइके ससुरार के – मरजादा रखवार ॥  सिरतो  बेटी सिरज के  – रोथे  सिरजनहार । मया पुतरिया के कदर  – बिसरत हे संसार ॥ जेकर हिरदे नित […]

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दोहा

देवारी तिहार के बधई

[bscolumns class=”one_half”] अँधियारी हारय सदा , राज करय उजियार देवारी मा तयँ दिया, मया-पिरित के बार || नान नान नोनी मनन, तरि नरि नाना गायँ सुआ-गीत मा नाच के, सबके मन हरसायँ || जुगुर-बुगुर दियना जरिस,सुटुर-सुटुर दिन रेंग जग्गू घर-मा फड़ जमिस, आज जुआ के नेंग || अरुण कुमार निगम http://mitanigoth.blogspot.in [/bscolumns][bscolumns class=”one_half_last_clear”](देवारी=दीवाली,तयँ=तुम,पिरित=प्रीत,नान नान=छोटी छोटी,नोनी=लड़कियाँ, […]