बेटी हावय मोर, जगत मा अब्बड़ प्यारी। करथे बूता काम, सबो के हवय दुलारी। कहिथे मोला रोज, पुलिस बन सेवा करहूँ। मिटही अत्याचार, देश बर मँय हा लड़हूँ। अबला झन तैं जान, भुजा मा ताकत हावय, बैरी कोनों आज, भाग के नइ तो जावय। बेटा येला मान, कभू अब नइहे पाछू। करथे रौशन नाम, सबो मा हावय आघू। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा) छत्तीसगढ़ #रोला_छन्द
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गर्मी छुट्टी (रोला छंद)
बन्द हवे इस्कूल,जुरे सब लइका मन जी। बाढ़य कतको घाम,तभो घूमै बनबन जी। मजा उड़ावै घूम,खार बखरी अउ बारी। खेले खाये खूब,पटे सबके बड़ तारी। किंजरे धरके खाँध,सबो साथी अउ संगी। लगे जेठ बइसाख,मजा लेवय सतरंगी। पासा कभू ढुलाय,कभू राजा अउ रानी। मिलके खेले खेल,कहे मधुरस कस बानी। लउठी पथरा फेक,गिरावै अमली मिलके। अमरे आमा जाम,अँकोसी मा कमचिल के। धरके डॅगनी हाथ,चढ़े सब बिरवा मा जी। कोसा लासा हेर ,खाय रँग रँग के खाजी। घूमय खारे खार,नहावय नँदिया नरवा। तँउरे ताल मतंग,जरे जब जब जी तरवा। आमाअमली तोड़,खाय जी नून…
Read Moreमजबूर मैं मजदूर
करहूँ का धन जोड़,मोर तो धन जाँगर ए। गैंती रापा संग , मोर साथी नाँगर ए। मोर गढ़े मीनार,देख लमरे बादर ला। मिहीं धरे हौं नेंव,पूछ लेना हर घर ला। भुँइयाँ ला मैं कोड़, ओगथँव पानी जी। जाँगर रोजे पेर,धरा करथौं धानी जी। बाँधे हवौं समुंद,कुँआ नदियाँ अउ नाला। बूता ले दिन रात,हाथ उबके हे छाला। सच मा हौं मजबूर,रोज महिनत कर करके। बिगड़े हे तकदीर,ठिकाना नइ हे घर के। थोरिक सुख आ जाय,बिधाता मोरो आँगन। महूँ पेट भर खाँव, पड़े हावँव बस लाँघन। घाम जाड़ आसाड़, कभू नइ सुरतावँव…
Read Moreछन्द के छ : रोला छन्द
मतवार पछतावै मतवार , पुनस्तर होवै ढिल्ला भुगतै घर परिवार , सँगेसँग माई-पिल्ला पइसा खइता होय, मिलै दुख झउहा-झउहाँ किरिया खा के आज , छोड़ दे दारू-मउहाँ रोला छन्द डाँड़ (पद) – ४, ,चरन – ८ तुकांत के नियम – दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा, १ बड़कू या २ नान्हें आवै. हर डाँड़ मा कुल मातरा – २४ , यति / बाधा – बिसम चरन मा ११ मातरा के बाद अउ सम चरन मा १३ मातरा के बाद यति सबले बढ़िया माने जाथे, रोला के डाँड़…
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