पुजारी बनौं मैं अपन देस के। अहं जात भाँखा सबे लेस के। करौं बंदना नित करौं आरती। बसे मोर मन मा सदा भारती। पसर मा धरे फूल अउ हार मा। दरस बर खड़े मैं हवौं द्वार मा। बँधाये मया मीत डोरी रहे। सबो खूँट बगरे अँजोरी रहे। बसे बस मया हा जिया भीतरी। रहौं तेल बनके दिया भीतरी। इहाँ हे सबे झन अलग भेस के। तभो हे घरो घर बिना बेंस के। चुनर ला करौं रंग धानी सहीं। सजाके बनावौं ग रानी सहीं। किसानी करौं अउ सियानी करौं। अपन देस…
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गँवई गाँव : शक्ति छंद
बहारे बटोरे गली खोर ला। रखे बड़ सजाके सबो छोर ला। बरे जोत अँगना दुवारी सबे। दिखे बस खुसी दुख रहे जी दबे। गरू गाय घर मा बढ़ाये मया। उड़े लाल कुधरिल गढ़ाये मया। मिठाये नवा धान के भात जी। कटे रात दिन गीत ला गात जी। बियारी करे मिल सबे सँग चले। रहे बाँस के बेंस थेभा भले। ठिहा घर ठिकाना सरग कस लगे। ददा दाइ के पाँव मा जस जगे। बरे बूड़ बाती दिया भीतरी। भरे जस मया बड़ जिया भीतरी। बढ़ाले मया तैं बढ़ा मीत जी। हरे…
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