देवारी राज करय उजियार, अँधियारी हारय सदा मया-पिरित के बार, देवारी मा तँय दिया, || तरि नरि नाना गाँय , नान नान नोनी मनन, सबके मन हरसाँय , सुआ-गीत मा नाच के || . सुटुर-सुटुर दिन रेंग, जुगुर-बुगुर दियना जरिस, आज जुआ के नेंग , जग्गू घर-मा फड़ जमिस || सोरठा छन्द डाँड़ (पद) – २, ,चरन – ४ तुकांत के नियम – बिसम-बिसम चरन मा, बड़कू,नान्हें (२,१) हर डाँड़ मा कुल मातरा – २४ , बिसम चरन मा मातरा – ११, सम चरन मा मातरा- १३ यति / बाधा…
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