फिर माटी के सोंधी खुशबू,फिर झिंगुरा के मिठ बानी। मानसून मा रद रद रद रद,बादर बरसाही पानी। छेना लकड़ी चाउँर आटा,चउमासा बर जतनाही। छाता खुमरी टायच पनही,रैन कोट सुरता आही। नवा आसरा धरे किसानन,जाग बिहनहा हरषाहीं। बीज-भात ला जाँच परख के,नाँगर बइला सम्हराहीं। गोठ किसानी के चलही जी,टपराही परवा छानी। मानसून मा रद रद रद […]
Category: छंद
छत्तीसगढ़ी गद्य में छंद प्रयोग
बन्द हवे इस्कूल,जुरे सब लइका मन जी। बाढ़य कतको घाम,तभो घूमै बनबन जी। मजा उड़ावै घूम,खार बखरी अउ बारी। खेले खाये खूब,पटे सबके बड़ तारी। किंजरे धरके खाँध,सबो साथी अउ संगी। लगे जेठ बइसाख,मजा लेवय सतरंगी। पासा कभू ढुलाय,कभू राजा अउ रानी। मिलके खेले खेल,कहे मधुरस कस बानी। लउठी पथरा फेक,गिरावै अमली मिलके। अमरे आमा […]
समर्पन धमधा के हेडमास्टर पं. भीषमलाल जी मिसिर महराज के सेवा मा :- लवनी तुहंला है भूलभुलैया नींचट प्यारा। लेवा महराजा येला अब स्वीकारा।। भगवान भगत के पूजा फूल के साही। भीलनी भील के कंद मूल के साही।। निरधनी सुदामा के ओ चाउर साही। सबरी के पक्का 2 बोइर साही।। कुछ उना गुना झन हाथ […]
जेठ महीना दसमी जनमे, आल्हा देवल पूत कहाय। बन जसराज ददा गा सेउक, गढ़ चँदेल के हुकुम बजाय।~9 ददा लड़त जब सरग सिधारे,आल्हा होगे एक अनाथ। दाई देवल परे अकेल्ला, राजा रानी देवँय साथ।~10 तीन महीना पाछू जनमे, बाप जुद्ध में जान गवाँय। बीर बड़े छुट भाई आल्हा,ऊधम ऊदल नाँव धराय।~11 राजा परमल पोसय पालय, […]
घर के बोरिंग बोर सुखागे, घर मा नइ हे पानी। टंकर कतका दिन सँग दीही, पूछत हे जिनगानी। नदिया तरिया बोरिंग मन तो, कब के हवैं सुखाये। कहूँ कहूँ के बोर चलत हे, हिचक हिचक उथराये। सौ मीटर ले लइन लगे हे, सरलग माढ़े डब्बा। पानी बर झींका तानी हे, करलाई हे रब्बा। चार खेप […]
माता देवी शारदा, मँय निरधन लाचार। तोर चरन में आय हँव, सुन दाई गोहार।। माता तोरे रूप के, करहूँ दरशन आज। पाहूँ मँय आशीष ला, बनही बिगड़े काज।। हे जग जननी जानले, मोरो मन के आस। पाँव परत हँव तोर ओ, झन टूटै बिसवास।। दुनिया होगे देखले, स्वारथ के इंसान। भाई भाई के मया, होंगे […]
महतारी महिमा भारी हे, ममता मया महान। हाँथ जोर मैं बंदव दाई, जग बर तैं बरदान।1 जगजननी तैं सब दुखहरनी, कोरा सरग समान। दाई देवी सँउहें हावच, कतका करँव बखान।2 दया धरम के चिन्हा दाई, जप-तप के पहिचान। दुख पीरा मा रेंगत दाई, लाथच नवा बिहान।3 लछमी दुरगा देवी दाई, सारद के अवतार। समता सुमता […]
जेठ अँजोरी मई महीना,नाचै गावै गा मेवाड़। बज्र शरीर म बालक जन्मे,काया दिखे माँस ना हाड़। उगे उदयसिंह के घर सूरज,जागे जयवंता के भाग। राजपाठ के बने पुजारी,बैरी मन बर बिखहर नाग। अरावली पर्वत सँग खेले,उसने काया पाय विसाल। हे हजार हाथी के ताकत,धरे हाथ मा भारी भाल। सूरज सहीं खुदे हे राजा,अउ संगी हेआगी […]
महतारी ममता मया, महिमा मरम अपार। दाई देवी देवता, बंदव चरन पखार। महतारी सुभकामना, तन मन के बिसवास। कोंवर कोरा हा लगै, धरती कभू अगास। बिन माँगे देथे सबो, अंतस अगम अभास। ए दुनिया हे मतलबी, तोर असल हे आस। महतारी आदर सहित, पायलगी सौ बार।।1 महतारी ममता मया, महिमा मरम अपार। मीठ कलेवा मोटरा, […]
गरमी हा आ गे हवय,परत हवय अब घाम। छइँहा खोजे नइ मिलय,जरत हवय जी चाम।। जरत हवय जी चाम हा,छाँव घलो नइ पाय। निसदिन काटे पेंड़ ला,अब काबर पछताय।। अब काबर पछताय तै,झेल घाम ला यार। पेंड़ लगाते तैं कहूँ,नइ परतिस जी मार।। नइ परतिस जी मार हा,मौसम होतिस कूल। हरियाली दिखतिस बने,सुग्घर झरतिस फूल।। […]