पढ़ना लिखना छोड़ के, खेलत हे दिन रात । मोबाइल ला खोल के, करथे दिन भर बात ।। आजकाल के लोग मन , खोलय रहिथे नेट । एके झन मुसकात हे , करत हवय जी चेट ।। छेदावत हे कान ला , बाला ला लटकात । मटकत हावय खोर मा , नाक अपन कटवात ।। […]
Category: छंद
छत्तीसगढ़ी गद्य में छंद प्रयोग
माने ना दिन रात वो, मानुष काय कहाय। ओखर ले वो पशु बने, हात-हूत मा जाय।। भव ले होबे पार तँय, भज ले तँय हरि नाम। राम नाम के नाव मा, चढ़ तँय जाबे धाम।। झटकुन बिहना जाग के, नहा धोय तइयार। घूमव थोकन बाग में, बन जाहू हुशियार।। कहय बबा के रीत हा, काम […]
छंदमय गीत- तोर अगोरा मा
तोर अगोरा मा रात पहागे, देखत-देखत आँखी आ गे। काबर तँय नइ आए ओ जोही, आँखी आँसू मोर सुखागे।।1।। दिन-दिन बेरा ढरकत जावै, तोर सूध मा मन नइ माढ़े। गोड़ पिरागे रद्दा देखत, कुरिया तीर दुवारी ठाढ़े।।2।। सपना देखत रात पहावँव, गूनत-गूनत दिन बित जावै। चिन्ता मा महुँ डूबे रहिथौं, अन-पानी नइ घलो खवावै।।3।। दुनिया […]
जेवर ये छत्तीसगढ़ी, लिखथे अमित बखान। दिखथे चुकचुक ले बने, गहना गरब गुमान। नवा-नवा नौ दिन चलय, माढ़े गुठा खदान। चलथे चाँदी सोनहा, पुरखा के पहिचान।। पहिरे सजनी सुग्घर गहना, बइठे जोहत अपने सजना। घर के अँगना द्वार मुँहाटी, कोरे गाँथे पारे पाटी।~1 बेनी बाँधे लाली टोपा, खोंचे कीलिप डारे खोपा। फिता फूँदरा बक्कल फुँदरी, […]
नँदिया तरिया बावली, भुँइयाँ जग रखवार। माटी फुतका संग मा, धरती जगत अधार।। जल जमीन जंगल जतन, जुग-जुग जय जोहार। मनमानी अब झन करव, सुन भुँइयाँ गोहार।। पायलगी हे धरती मँइयाँ, अँचरा तोरे पबरित भुँइयाँ। संझा बिहना माथ नवावँव, जिनगी तोरे संग बितावँव।~1 छाहित ममता छलकै आगर, सिरतों तैं सम्मत सुख सागर। जीव जगत जन […]
खेत पार मा कुंदरा, चैतू रखे बनाय । चौबीसो घंटा अपन, वो हर इहें खपाय ।। हरियर हरियर चना ह गहिदे । जेमा गाँव के गरूवा पइधे हट-हट हइरे-हइरे हाँके । दउड़-दउड़ के चैतू बाँके गरूवा हाकत लहुटत देखय । दल के दल बेंदरा सरेखय आनी-बानी गारी देवय । अपने मुँह के लाहो लेवय हाँफत-हाँफत […]
काँटों से हो दोस्ती, फूलों से हो प्यार। इक दूजे के बिन नहीं, नहीं बना संसार।। काँटों से हो दोस्ती……………….. कठिन डगर है जिंदगी, हँस के इसे गुजार। दुनिया का रिश्ता यहीं, निभता जाये यार।। काँटों से हो दोस्ती……………….. दुख हो सुख हो काट लो, ये जीवन उपहार। राम नाम में जोड़ लो, साँसों का […]
पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा। पानी बिन मुसकुल हे जीना, पानी प्रान पियारा। जीव जगत जन जंगल जम्मो, जल बिन जर मर जाही। पाल पोस के पातर पनियर, पानी पार लगाही। ए जग मा जल हा सिरतो हे, सबके सबल सहारा। पानी जग जिनगानी मनवा, पानी अमरित धारा।1 तरिया नँदिया लहुटय परिया, धरती […]
भारत माँ के हीरा बेटी,ममतामयी मिनी माता। तै माँ हम संतान तोर ओ,बनगे हे पावन नाता। सुरता हे उन्नीस् सौ तेरा, मार्च माह तारिक तेरा। देवमती बाई के कुँख ले,जन्म भइस रतिहा बेरा। खुशी बगरगे चारो-कोती,सुख आइस हे दुख जाके। ददा संत बड़ नाचन लागे,बेटी ला कोरा पाके। सुख अँजोर धर आइस बेरा,कटगे अँधियारी राता। […]
भागजानी घर बेटी होथ, नोहय लबारी सच्ची गोठ I सुन वो तैं नोनी के दाई, बात काहते हौ जी पोठ I1I अड़हा कहिथे सबो मोला, बेटा के जी रद्दा अगोर I कुल के करही नाव ये तोर, जग जग ले करही अंजोर I2I कहिथव मैं अंधरा गे मनखे, बेटी बेटा म फरक करत I एके […]