डॉ. विमल कुमार पाठक सिरिफ एक साहित्यकार नइ रहिन। उमन अपन जिंदगी म आकाशवाणी म उद्घोषक, मजदूर नेता, कॉलेज म प्रोफेसर, भिलाई स्टील प्लांट म कर्मचारी, पत्रकार अउ कला मर्मज्ञ संग बहुत अकन जवाबदारी निभाईन। आकाशवाणी रायपुर के शुरुआती दौर म उंखर पहिचान सुगंधी भैया के रूप म रहिस अउम केसरी प्रसाद बाजपेई उर्फ बरसाती भैया के संग मिलके किसान भाइ मन बर चौपाल कार्यक्रम देवत रहिन। एखर ले हटके एक किस्सा उमन बताए रहिन -27 मई 1964 के दिन आकाशवाणी रायपुर म वोमन ड्यूटी म रहिन अउ श्रोता मन…
Read MoreCategory: जीवन परिचय
श्रद्धांजलि – गीत संत: डॉ. विमल कुमार पाठक
हमर जइसे कबके उबजे कोलिहा का जाने खलिहान मन के सामरथ म डॉ. विमल कुमार पाठक के व्यक्तित्व अउ कृतित्व के उपर बोलना आसान नइ हे. तभो ले हम बोले के उदीम करत हन आप मन असीस देहू. एक मनखे के व्यक्तित्व के महत्व अउ ओखर चिन्हारी अलग अलग लोगन मन बर अलग अलग होथे. इही अलग अलग मिंझरा चिन्हारी ह ओखर असल व्यक्तित्व के चित्र खींचथे. जइसे हमर मन बर ‘राम‘ ह भगवान रहिस त केवटराज बर ‘पथरा ला मानुस बनईया चमत्कारी मनखे‘, परसराम बर धनुस ला टोरईया लईका..…
Read Moreकिताब कोठी : अंतस म माता मिनी
अंतस म माता मिनी छत्तीसगढी राज भासा आयोग के आर्थिक सहयोग ले परकाशित प्रकाशक वैभव प्रकाशन अमीनपारा चौक, पुरानी बस्ती रायपुर ( छत्तीसगढ) दूरभाष : 0771-4038958, मो. 94253-58748 ISBN-81-89244-27-2 आवरण सज्जा : कन्हैया प्रथम संस्करण : 2016 मूल्य : 100.00 रुपये कॉपी राइट : लेखकाधीन अंतस म माता मिनी ( जीवनी) “दु:ख हरनी सुख बंटोइया, आरूग मया छलकैया बनी मंदरस, फरी अंतस, मरजादा धन बतइया माथ म चंदन, चंदा बरन, सेत बसन चिन्हारी नाव व धराये मिनीमाता, छत्तीसगढ के महतारी” अनिल जाँगडे ग्राम- कुकुरदी, पो-जिला बलौदा बाजार-भाटापारा (छ.ग. )पिन 493332 मो.…
Read Moreछत्तीसगढ़ के जुझारू पूत अउ महतारी भाखा के मयारुक साहित्यकार पं. सुंदर लाल शर्मा
छत्तीसगढ़ के प्रयाग राजिम के तिर म नदिया के पार म एक ठी गांव हे चमसुर। इहें जनम धरे रिहिन छत्तीसगढ़ महतारी के जुझारू बेटा पं. सुंदर लाल शर्मा। उंखर जनम 21 दिसम्बर 1881 के होय रिहिस। उंखर जिनगी के साल ल गिनबे तो उन जादा लंबा उमर नइ पाय रिहिन। सिरिफ 59 साल । अउ ये 59 साल म उंखर काम अइसे रिहिस के उंखर नांव जुग-जुग बर अमर होगे। उंखर राजनीति, समाज सेवा अउ साहित सेवा अतका ऊंचा दरजा के रिहिस के उन छत्तीसगढ़ के अगास म सुरज…
Read Moreगरीबों का सहारा है, वही ठाकुर हमारा है : ठाकुर प्यारेलाल सिंह
ठाकुर प्यारेलाल सिंह छत्तीसगढ़ म मजदूर मन के अधिकार खातिर आंदोलन के बाना उचईया पहिली मनखे रहिन। इंकर जनम 21 दिसम्बर 1891 को राजनांदगांव जिलाा के दैहान गांव म होए रहिस। इंखर पिताजी के नाम दीनदयाल सिंह अउ माताजी के नाम नर्मदा देवी रहिस। इंखर पढ़ई-लिखई राजनांदगांव अउ रायपुर म होईस। नागपुर अउ जबलपुर म इमन कालेत के पढ़ई करके 1916 म वकालत के परीक्षा पास करिन। लईकई ले ही आप अड़बड़ होसियार रहेव अउ राष्ट्रीय विचारधारा ले ओत-प्रोत रहेव। 1906 म बंगाल के क्रांतिकारी मन के संपर्क म आके…
Read Moreछत्तीसगढ़ी काव्य चितेरे : बाबू प्यारेलाल गुप्त
छत्तीसगढ़ के भुइंया मं कतको रतन मनखे मन जनम लइन। जेखर काम ले छत्तीसगढ़ के नांव हर बड़ उजराइस हवे। अइसन हे हरियर भुइंया मं 17 अगस्त, 1891 के दिन बाबू प्यारेलाल गुप्त के जनम होए रहिस। गुप्तजी हर गद्य तथा पद्य दूनो म अपन कलम चलाइन अउ कतको उपन्यास, कविता, संग्रह तथा इतिहास के किताब लिखिन। उन हिन्दी म तो लिखबेच करीन, ठेठ छत्तीसगढ़िया म भी खूब लिखिन। धरम-करम में भी उंखर मन लागय। रतनपुर के प्रख्यात विष्णु महायज्ञ ल सफल करे बर बड़ मिहनत करीन अउ ओखर स्मारिका…
Read Moreछत्तीसगढ़ी भासा के महाकाव्यकार
महाकवि कपिलनाथ कस्यप महा कवि कपिलनाथ कस्यप हमर देस के आजाद होय के पहली जनम लेइन अउ बरिस 1985, 2 मार्च के देहावसान होइस, बीसवीं सदी के उन एक साधारण अचरचित साहित्यकार रहिन उन समाचार पत्र-पत्रिका म अपन नाम छपय एकर ले परहेज करत रहिन जबि उन राष्ट्रीय कवि मैथिलीसरन गुप्त के समकालिन कवि रहिन। छत्तीसगढ़ी भासा ल एक मानकरूप म लाये म उन तीन ठन महाकाव्य ‘श्री राम कथा’, ‘श्री कृस्नकथा’, ‘महाभारत’ अउ ‘श्रीमद् भागवत गीता’ (छत्तीसगढ़ी भावानुवाद) के रचना कर अपन प्रतिभा ला बताईन -छत्तीसगढ़ के महाकवि कहाइन…
Read Moreनाचा के सियान : भुलवाराम यादव
भुलवाराम दुर्ग के तीर रिंगनी गांव के अहीर रहिस। भुलवाराम लइकई ले अपन गांव म मालगुजार, गौंटिया मन के गरूवा चरइ अउ गोबर-कोठा के काम करय। जब लइका भुलवा गरूवा चराये बर निकलय त बंसरी संग करमा-ददरिया के गीत गावय अउ सिम-साम देखके बिधुन होके नाचय। भुलवा के नचई अउ गवइ ला देख के नामी पंडवानी गायक पूनाराम निषाद के पिताजी लक्ष्मण निषाद अउ नामी गम्मतिहा ठाकुरराम के पिताजी गोविन्दराम मन ओला खड़े साज नाचा म परी बना के नचवाये लागिन। ओ समय भुलवा के उमर आठ साल के रहिस।…
Read Moreसुराजी वीर अनंतराम बर्छिहा
सत् मारग म कदम बढ़ाके, देश-धरम बर करीन हें काम। वीर सुराजी वो हमर गरब आय, नांव जेकर हे अनंतराम।। देश ल सुराज देवाय खातिर जे मन अपन जम्मो जिनिस ल अरपन कर देइन, वोमन म अनंतराम जी बर्छिहा के नांव आगू के डांड़ म गिनाथे। वो मन सुराज के लड़ाई म जतका योगदान देइन, वतकेच ऊँच-नीच, छुआ-छूत, दान-दहेज आदि के निवारण खातिर घलोक देइन, एकरे सेती एक बेरा अइसे घलोक आइस के अनंतराम जी ल अपन जाति-समाज ले अलग घलोक रहे बर लागिस। अछूतोद्धार के कारज खातिर गाँधी जी…
Read Moreछत्तीसगढ़ी नाचा के जनक : दाउ दुलारसिंह मंदराजी
राजनांदगांव ले सात किलोमीटर दूरिहा रवेली गांव हे। रवेली गांव के दाउ बाड़ा के बड़का अंगना म बड़े पेट वाला नान्हे लईका दुलार खेलत रहय, उही समे मा लइका ने नाना सगा के रूप म आइस। नाना ह देखिस बाड़ा के अंगना म तुलसी चौंरा म माढ़े उडगुड़हा पथरा के मद्रासी भगवान कस अंगना म खेलत पेटला लइका हर दिखत हे। त ओ बबा ह नाती ला मजाक म ‘मद्रासी’ कहि दीस। लइका दुलारसिंह ला घर के मन मजाक म मद्रासी कहे लागिन। गांव म मद्रासी सब्द ह बिगड़त बिगड़त…
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