छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन 2009

पाछू 23 फरवरी 2009 महाशिवरात्रि के दिन कवर्धा (कबीरधाम) में प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर अउ जिला छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति कवर्धा डहर ले तेरहवां छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन के आयोजन कन्या उमा शाला में करे गिस। ये सम्मेलन के माई पहुना छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष श्यामलाल चतुर्वेदी रहिन। सम्मेलन के सभापति के रूप मा नगर पालिका कवर्धा के अध्यक्ष संतोष गुप्ता जी पधारे रहिन। ”छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन 2009” के उद्धाटन माई पहुना श्यामलाल चतुर्वेदी जी हा माता सरस्वती के चित्र मा पूजा, अरचना करके करिस। सम्मेलन के मुख्य विषय रहिस…

Read More

लोरिकायन – लाईट एण्ड साउंड (जुगुर-जागर रपट) : संजीव तिवारी

27 सितम्बसर के दिन छत्तीसगढ के लोक दरसन ला जगर-मगर चमकावत क्षितिज रंग सिबिर के लाईट एण्ड साउंड के जोरदरहा परसतुती ‘लोरिकायन’ हा दुरूग मा जब होईस त बईगा पारा के मिनी स्टेडियम म छत्तीसगढ के मनखे मन के खलक उजर गे, घमघम ले माई पिल्ला सकला गे अउ हमर लोक गाथा – लोरिक चंदा के मंच परसतुति ‘लोरिकायन’ मा अपन तइहा, गांव-गंवई, अपन महर-महर करत लोकगीत के परमपरा ला भव्य रूप मा आखीं के आघू पा के गदगद होगे । छत्तीसगढ मा लोकगाथा के परमपरा गजब जुन्नां आय, अहीर…

Read More

कल 2 अक्‍टूबर अहिंसा के पुजारी के पुण्‍यस्‍मरण के साथ ‘गुरतुर गोठ’ का प्रवेशांक

मेकराजाला म छत्‍तीसगढी भाखा के हमर ये पतरा म कुंआर महीना के अंक म हम आपमन बर लाए हन छंटुआ, कबिता, कहिनी, बियंग अउ बेरा-बेरा के बात । हम काली बडे फजर ले हमर संपादक सुकवि बुधराम यादव जी के दू आखर ला परसतुत करबो तेखर बाद ले सरलग येमा एक दिन म दू ठन रचना दस दिन ले परकासित होवत रहिही । आघू धरम के महीना, कातिक महीना म हम थोरकिन अउ जादा रचना के संग आपमन के आघू आबोन । हमर गुरतुर गोठ बर अब धीरे धीरे रचना…

Read More

कल 2 अक्‍टूबर अहिंसा के पुजारी के पुण्‍यस्‍मरण के साथ ‘गुरतुर गोठ’ का प्रवेशांक

मेकराजाला म छत्‍तीसगढी भाखा के हमर ये पतरा म कुंआर महीना के अंक म हम आपमन बर लाए हन छंटुआ, कबिता, कहिनी, बियंग अउ बेरा-बेरा के बात । हम काली बडे फजर ले हमर संपादक सुकवि बुधराम यादव जी के दू आखर ला परसतुत करबो तेखर बाद ले सरलग येमा एक दिन म दू ठन रचना दस दिन ले परकासित होवत रहिही । आघू धरम के महीना, कातिक महीना म हम थोरकिन अउ जादा रचना के संग आपमन के आघू आबोन । हमर गुरतुर गोठ बर अब धीरे धीरे रचना…

Read More