सरगुजा के दर्शनीय जल प्रपात परकिरती कर बदलाव ले भारतभर कर कला अउ संस्किरती कर संगे–संग इतिहास अउ पुरातत्व कर जरहोजात मन धरती कर भितरी हमाये जाथें। येमन कर जानकारी जुटाना काकरो बर अब्बड़ मेहनत कर बुता होथे। हमर सरगुजा हें कईअकठन धरम-करम, इतिहास पुरातत्व मधे कर देखे जोग जगहा हवें। इहां कर जुनहा बेंगरा, माड़ा, मंदिर, गढ़ी, किला, पखना कर मूरती, मनला देख के सरगुजा कर ढेरेच जूना, बकिन सबले जबरजस्स मूरती बनाये कर कला, सुघ्चर सभ्यता अठ धरम-करम हैं जमझन कर एकजुटता कर पता चलथे। इहां कर नदी…
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भोरमदेव – छत्तीसगढ़ के खजुराहो
हमर देश में छत्तीसगढ़ के अलग पहिचान हे। इंहा के संस्कृति, रिती रिवाज, भाखा बोली, मंदिर देवाला, तीरथ धाम, नदियां नरवा, जंगल पहाड़ सबके अलगे पहिचान हे। हमर छत्तीसगढ़ में कोनों चीज के कमी नइहे। फेर एकर सही उपयोग करे के जरुरत हे। इंहा के परयटन स्थल मन ल विकसित करे के जरुरत हे। बहुत अकन परयटन स्थल के विकास अभी भी नइ होहे। जब तक सरकार ह एकर ऊपर धियान नइ दिही तब तक एकर विकास नइ हो सके। कबीरधाम जिला में एक जगा हे भोरमदेव एला छत्तीसगढ़ के…
Read Moreभोलेनाथ के गुफा चैतुरगढ़़
गरमी के मउसम आते मन होथे चलव कहूं घूमे-फिरे, सैर-सपाटा बर। सुद्ध, सांत वातावरन अउ परदूसन मुक्त प्रकृति के तीर धर्मिक, ऐतिहासिक या सुघ्घर जगा म। आवव त आपमन ल परिवार समेत अइसने आनंदमयी, प्रकृति के धरोहर जगा म ले चलथन। फेर इहां जाय के पहिली एकठिन बात के खिलाय रखे बर परही भई। न कचरा-परदूसन फइलावन न कोनो ल फइलावन दन। समझ गेंव न, त फेर चलव। पौरानिक कथा – भस्मासुर राक्छस ह भगवान भोलेनाथ के अराधना करके, औघड दानी ल परसन्न करके बरदान म भस्म कंगन लेके तीनों लोग…
Read Moreपर्यटन : माण्डूक्य ऋषि के तपोभूमि ‘मदकू द्वीप’
शिवनाथ नदी के सुघ्घर धार ले घेराय बीचो-बीच लगभग आधा कि.मी. के दायरा म फइले मदकू द्वीप “श्री हरिहर क्षेत्र केदार मदकू द्वीप” के नाम से प्रसिद्ध हवय। पुरातात्वीय अवशेष अउ रमणीक पर्यटल स्थल ‘मदकू द्वीप’ के स्तर जमाव ले प्रागैतिहासिक कालीन विविध पाषाण उपकरण के श्रृंखला मिलथे। इंहाँ 11 वीं सदी के स्थापत्य कला के अवशेष अउ प्रतिमा मन विद्यमान हवय। पारिस्थितिकी जैव विविधता पुरातात्वीय अवशेष अउ पर्यटन के संभावना ले भरपूर मदकू द्वीप ह जल दुर्ग सरीक आभासित होथे। अपन प्राकृतिक सौंदर्य अउ धार्मिक मान्यता के कारण ‘मदकू…
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