व्यंग्य

रासन कारड

ऊंखर जउंहर होय, मुरदा निकले, खटिया रेंगे, चरचर ले अंगुरी फोरत बखानत रहय। का होगे या भऊजी, काकर आरती उतारत… Read More

5 years ago

कोउ नृप होउ, हमहि …

हमर राम राजा बनही, ये सपना हा आज के नोहे , तइहा तइहा के आए! त्रेताजुग म, जम्मो तियारी कर… Read More

5 years ago

चरनदास चोर

चरनदास चोर ला कोन नी जानय। ओकर इमानदारी अऊ सेवा भावना के चरचा सरग तक म रहय। अभू तक कन्हो… Read More

5 years ago

अग्यातवास

अपन हक ले बंचित, पांडो मन के भाग म लिखाये अग्यातवास हा, कलजुग म घला पीछू नि छोरत रहय। अग्यातवास… Read More

5 years ago

माफी के किम्मत

भकाड़ू अऊ बुधारू के बीच म, घेरी बेरी पेपर म छपत माफी मांगे के दुरघटना के उप्पर चरचा चलत रहय।… Read More

5 years ago

कब बबा मरही ….. कब बरा खाबो

मोर राज आवन दव, तहन तुंहर गांव के संगे संग, तुंहरो भाग जाग जही। एक बेर मोला जितावव तो सही… Read More

5 years ago

चुनावी व्‍यंग्‍य : योग्यता

चुनाव के समे लकठियागे रहय। अपन अपन पारटी ले टिकिस झोंके बर, कार्यकरता मनके लइन लगे रहय। पारटी के छोटे… Read More

5 years ago

चुनावी व्‍यंग्‍य : बूता के अपग्रेडेसन

सांझ कुन के बेरा म गुड़ाखू घंसरत, दू झिन मनखे मन तरियापार म बइठके, दुख सुख गोठियावत रहय। एक झिन… Read More

5 years ago

चुनावी कथा : कंठ म जहर

समुनदर मनथन म, चऊदह परकार के रतन निकलीस। सबले पहिली, कालकूट जहर निकलीस। ओकर ताप ले, जम्मो थर्राये लगीन। भगवान… Read More

5 years ago

बरतिया बर पतरी निही, बजनिया बर थारी

सत्ता सुनदरी के स्वयमबर के तियारी जोरसोर से चलत रहय। जगा जगा के मनखे मन, रंग बिरंग के पहिर ओढ़… Read More

6 years ago