व्यंग्य

व्‍यंग्‍य : जनता गाय

सरग म, पिरथी के गाय मन ला, दोरदिर ले निंगत देखिस त, बरम्हाजी नराज होगे। चित्रगुप्त ला, कारन पूछिस। चित्रगुप्त… Read More

6 years ago

मोर गांव म कब आबे लोकतंत्र

अंगना दुवार लीप बोहार के, डेरौठी म दिया बार के - अगोरय वोहा हरेक बछर।  नाती पूछय – कोन ल… Read More

6 years ago

परजातंत्र

परजातंत्र उपर, लइकामन म बहेस चलत रहय। बुधारू किथे - जनता के, जनता मन बर, जनता दुआरा सासन ल, परजातंत्र… Read More

6 years ago

इहां… मना हावय

हमर देस मा तुंह जिहां भी कोनो सार्वजनिक जगह, सरकारी जगह मा जाहा तव उहां के भिथियां म कुछु न… Read More

6 years ago

कागज के महल

अमबेडकर के मुरती के आघू म, डेंहक डेंहक के रोवत रहय। तिर म गेंव, ओकर खांद म हाथ मढ़हा के, कारन… Read More

6 years ago

व्यंग्य : बटन

जब ले छुए वाला (टच स्क्रीन) मोबईल के चलन होय हे बटन वाला के कोनो किरवार करईया नइ दिखय। साहेब,… Read More

6 years ago

चुनाव आयोग म भगवान : व्‍यंग्‍य

नावा बछर के पहिली बिहाने, भगवान के दरसन करके, बूता सुरू करे के इकछा म, चार झिन मनखे मन, अपन… Read More

6 years ago

कलजुग केवल नाम अधारा : व्‍यंग्‍य

परन दिन के बात हरे जीराखन कका ह बडे बिहाने ले उठ के मोर कना आइस अउ पूछिस-कस रे बाबू!… Read More

6 years ago

बेंदरा बिनास

चार पहर रतिया पहाईस ताहने सूरुज नरायण ललाहूं अंजोर बगरावत निकलगे। ठाकुरदिया के नीम अउ कोसुम के टीप डंगाली म… Read More

6 years ago

चुनाव के बेरा आवत हे

अवईया बछर मा चुनाव होवईया हे, त राजनीतिक दाँव-पेच अउ चुनाव के जम्मों डहर गोठ-बात अभी ले चालू होगे हे।… Read More

6 years ago