व्यंग्य

व्यंग्य : गिनती करोड़ के

पान ठेला म घनश्याम बाबू ल जईसे बईठे देखिस ,परस धकर लकर साइकिल ल टेका के ओकर तीर म बईठगे।… Read More

6 years ago

मन के बात

इतवार के दिन बिहाने बेरा गांव पहुंचे रहय साहेब हा। गांव भर म हाँका परगे रहय के लीम चौरा म… Read More

6 years ago

अस्पताल के गोठ

जादा दिन के घटना नोहय।बस!पाख भर पाछू के बात आय।जेठौनी तिहार मनावत रेहेन।बरदिहा मन दोहा पारत गांव के किसान ल… Read More

6 years ago

खतरनाक गेम

सरकार हा, ब्लू व्हेल कस, खतरनाक गेम ले होवत मऊत के सेती, बड़ फिकर म बुड़े रहय। अइसन मऊत बर… Read More

6 years ago

पथरा के मोल

पथरा मन, जम्मो देस ले, उदुप ले नंदाये बर धर लीस। घर बनाये बर पथरा खोजत, बड़ हलाकान होवत रेहेंव।… Read More

6 years ago

व्यंग्य : सरकारी तिहार

भारत देस तिहार अउ परब के देस हरे।अउ हमर छत्तीसगढ़ म तो बरमस्सी परब रथे।आनी-बानी के तिहार मनाथन हमन इंहा।पहिली… Read More

7 years ago

व्यंग्य : बछरू के साध अउ गोल्लर के लात

चरवाहा मन के मुखिया ह अतराप भर के चरवाहा मन के अर्जेन्ट मीटिंग लेवत समझावत रहय कि ऊप्पर ले आदेष… Read More

7 years ago

पोल खोल

पोल खोल देबो के नारा जगा जगा बुलंद रहय फेर पोल खुलत नी रहय। गांव के निचट अड़हा मनखे मंगलू… Read More

7 years ago

छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य : सेल्फी कथा

जब ले हमर देस म मुबाईल सुरू होय हे तब ले मनखे उही म रमे हे।पहिली जमाना म मुबाईल ल… Read More

7 years ago

बोनस के फर

जबले बोनस नाव के पेड़ पिरथी म जनम धरे हे तबले, इंहा के मनखे मन, उहीच पेंड़ ला भगवान कस… Read More

7 years ago