व्‍यंग्‍य : जनता गाय

सरग म, पिरथी के गाय मन ला, दोरदिर ले निंगत देखिस त, बरम्हाजी नराज होगे। चित्रगुप्त ला, कारन पूछिस। चित्रगुप्त किथे – मरे के पाछू, गाय कस परानी मन अऊ कतिहां जाही भगवान, तिहीं बता भलुक ? बरम्हाजी पूछिस – अतेक अकन, एके संघरा मरिस तेमा ? चित्रगुप्त किथे – भाग म, जतका दिन जिये के हे, तेकर ले जादा, कन्हो ला जियन देहस का तेमा …..? रिहिस बात कारन के ….., कन्हो किथे, भूख ले मरे हे, कन्हो किथे, जाड़ म मरे हे …काकर ला पतियांवव। गाय ला भेजत…

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मोर गांव म कब आबे लोकतंत्र

अंगना दुवार लीप बोहार के, डेरौठी म दिया बार के – अगोरय वोहा हरेक बछर।  नाती पूछय – कोन ल अगोरथस दाई तेंहा। डोकरी दई बतइस – ते नि जानस रे, अजादी आये के बखत हमर बड़े –बड़े नेता मन केहे रिहीन, जब हमर देस अजाद हो जही, त हमर देस म लोकतंत्र आही। उही ल अगोरत हंव बाबू। नाती पूछिस – ओकर ले का होही दाई ? डोकरी दई किथे – लोकतंत्र आही न बेटा, त हमर राज होही, हमर गांव के बिकास होही। मनखे मनखे में भेद नि…

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परजातंत्र

परजातंत्र उपर, लइकामन म बहेस चलत रहय। बुधारू किथे – जनता के, जनता मन बर, जनता दुआरा सासन ल, परजातंत्र कहिथें अऊ एमा कोई सक निये। भकाड़ू पूछीस – कते देस म अइसन सासन हे ? मंगलू किथे – हमर देस म ……, इहां के सासन बेवस्था, पिरथी म मिसाल आय। भकाड़ू किथे – तोर मिसाल कहूं डहर जाय, हमर देस म का सहींच म परजातंत्र सासन हे ? अरे हव रे …..के घांव बताहूं, इही परजातंत्र के जनम दिन म, हरेक बछर छब्बीस जनवरी के उतसव मनाथन – मंगलू…

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इहां… मना हावय

हमर देस मा तुंह जिहां भी कोनो सार्वजनिक जगह, सरकारी जगह मा जाहा तव उहां के भिथियां म कुछु न कुछु बोर्ड मा लिखाय सूचना पाहा। जइसे के “जइसन किसिम-किसिम के सूचना भिथिया म टंगाय रहिथे। फेर हमर देस के मनखे मन के कुछु आने च काम चलथे। इहां मनखे मन जिहां लिखाय देखहिं के “इहां थूकना मना हावय” के बोर्ड ल देखके मनखे के मन मा थूंके के इक्छा कुलबुलाय लगथे अउ तुरते उन पच्च के दे थे। तहां ले उहां ले तुरते निकले लेथे के कोनो देखय झन।…

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कागज के महल

अमबेडकर के मुरती के आघू म, डेंहक डेंहक के रोवत रहय। तिर म गेंव, ओकर खांद म हाथ मढ़हा के, कारन पुछत चुप कराहूं सोंचेंव फेर, हिम्मत नी होइस, को जनी रोवइया, महिला आय के पुरूस ……? एकदमेच तोप ढांक के बइठे रहय, का चिनतेंव जी ……। चुप कराये खातिर, जइसे गोठियाये बर धरेंव, ओहा महेला कस अवाज म, चिचिया चिचिया के, गारी बखाना करे लगिस। मोला थोकिन अच्छा नी लगिस। ओकर तिर जाके, गारी बखाना ले बरजे बर, ओकर खांद म, जइसे अपन हाथ मढ़हाये बर धरेंव, ओला को जनी मोर इसपर्स के का…

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व्यंग्य : बटन

जब ले छुए वाला (टच स्क्रीन) मोबईल के चलन होय हे बटन वाला के कोनो किरवार करईया नइ दिखय। साहेब, सेठ ले लेके मास्टर चपरासी ल का कबे छेरी चरईया मन घलो बिना बटन के मोबईल म अंगरी ल एति ले ओति नचात रहिथें। अउ काकरो हाथ म बटन वाला मोबईल देख परही त वो ल अइसे हिकारत भरे नजर ले देखथे जानोमानो बड़ भारी पाप कर डारे होय। फेर ये बटन नाम के जिनिस हमर जिनगी म कइसन कइसन रुप लेके समाय हे, सब जानथे। हमर दिन के शुरवात…

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चुनाव आयोग म भगवान : व्‍यंग्‍य

नावा बछर के पहिली बिहाने, भगवान के दरसन करके, बूता सुरू करे के इकछा म, चार झिन मनखे मन, अपन अपन भगवान के दरसन करे के सोंचिन। चारों मनखे अलग अलग जात धरम के रिहीन। भलुक चारों झिन म बिलकुलेच नी पटय फेर, जम्मो झिन म इही समानता रहय के, चाहे कन्हो अच्छा बूता होय या खराब बूता, ओला सुरू करे के पहिली, अपन देवता ला जरूर सुमिरय। बिहिनिया ले तियार होके निकलीन। मनदीर ले भगवान गायब रहय, मसजिद ले अल्लाह कती मसक दे रहय, चर्च ले ईसा गायब त,…

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कलजुग केवल नाम अधारा : व्‍यंग्‍य

परन दिन के बात हरे जीराखन कका ह बडे बिहाने ले उठ के मोर कना आइस अउ पूछिस-कस रे बाबू! अब अधार बिना हमर जिनगी निराधार होगे का? में ह पूछेंव-का होगे कका? काबर राम-राम के बेरा ले बिगडाहा पंखा बरोबर बाजत हस गा? फेर कनो परसानी आगे का? मोर गोठ ल सुनके वोहा बताइस-हलाकानी ह तो हमर हांथ के रेख म लिखाय हे बेटा! हमन किसनहा हरन न।फेर अभी हम सरकार के आनी-बानी नियम के मारे थर्रा गेहन जी। काली के बात हरे बेटा!, तोर काकी के तबियत थोरकिन…

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बेंदरा बिनास

चार पहर रतिया पहाईस ताहने सूरुज नरायण ललाहूं अंजोर बगरावत निकलगे। ठाकुरदिया के नीम अउ कोसुम के टीप डंगाली म जइसे रउनिया बगरिस रात भर के जड़ाय बेंदरा मन सकलागे । मिटींग बरोबर बइठे लागिस ,उंहे बुचरवा मन ए डारा वो पाना डांहके लागिस । मोठ डांट असन ह बने सबो झिन के बिचवाड़ा म बइठगे। जरूर उंकर दल के सरपंच होही वो ढुलबेंदरा ह। जाड़ के मारे घर ले निकले के मन नइ होत रिहीस हे फेर निकल गेंव ,कोनो जड़जुड़हा झन काहय कहिके। बिना आधार नंबर लिंक करे…

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चुनाव के बेरा आवत हे

अवईया बछर मा चुनाव होवईया हे, त राजनीतिक दाँव-पेच अउ चुनाव के जम्मों डहर गोठ-बात अभी ले चालू होगे हे। अउ होही काबर नही, हर बखत चुनाव हा परे-डरे मनखे ला हीरो बना देथे अउ जबर साख-धाख वाला मनखे ला भुइयाँ मा पटक देखे। फेर कतको नेता हा बर रुख सरीख अपन जर ला लमा के कई पीढ़ी ले एके जगा ठाड़े हे। अउ कतको छुटभईया नेता मन पेपर मा फोटू छपवा-छपवा के बड़े नेता बने के उदीम करथे। फेर चुनाव हा लोकतंत्र के अइसन तिहार आय जेमा लोगन ला…

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