संपादकीय

गुनान गोठ : पाठक बन के जिए म मजा हे

एक जमाना रहिस जब मैं छत्तीसगढ़ी के साहित्यकार मन ल ऊंखर रचना ले जानव। फेर धीरे-धीरे साहित्यकार मन से व्यक्तिगत… Read More

7 years ago

छत्‍तीसगढ़ी, छत्‍तीसगढ़ी चिल्‍लाने वाले भी छत्‍तीसगढ़ी पढ़ना नहीं चाहते

फेसबुक में छत्तीसगढ़ी, छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर हम आत्ममुग्ध हुए जा रहे हैं। इन शब्दों के… Read More

7 years ago

मोर डांड तो छोटे तभे होही संगी, जब आप बड़का डांड खींचहू

संगवारी हो, आपमन जानत हवव के हमर भाषा के व्याकरण हिन्दी भाषा के व्याकरण ले आघू लिखा गए रहिस। ये… Read More

9 years ago

संपादकीय: टमड़ ले पहिली अपनेच कान

पाछू पंद्रही ले छत्तीसगढ़ म अफवाह फइले हवय के गांव गांव म लईका चोर मन के दल के दल आये… Read More

9 years ago

संपादकीय : करिया तसमा म आंखी के उतियईल अउ उल्टा लटके के डर ले मुक्ति

करिया तस्मा पहिर के प्रधानमंत्री के सुवागत करई के किस्सा चार दिन मीडिया म छाईस। अपन डहर ले बुद्धिजीवी मन… Read More

9 years ago

संपादकीय : का तैं मोला मोहनी डार दिये

संगी हो देखते देखत हमर साहित्य के भण्डार बाढ़त जावत हे। हमर सियान अउ हमर भाखा के परेमी गुनीक मन… Read More

9 years ago

मेकराजाला म बाढ़य हमर भाखा के साहित्य : राजभाषा आयोग देवय पंदोली

संगी हो हमर धान के खेत लहलहावत हावय अउ हमर मिहनत के फल अब हमर कोठार तहॉं ले कोठी म… Read More

11 years ago

रचना भेजईया मन बर गोठ

गुरतुर गोठ म प्रकाशन करे खातिर हर किसम के छत्तीसगढ़ी रचना मन के स्वागत हावय. अपन अउ अपन रचनाकार संगी… Read More

11 years ago

मेकराजाला म चार बरिस के गुरतुर गोठ : दू आखर

आजे के दिन गांधी बबा के सुरता म सन् 2008 ले चालू हमर ये मेकराजाला के गुरतुर गोठ ह आज… Read More

12 years ago

दू आखर

मयारू संगी, हमर गुरतुर गोठ ह आज गांधी बबा अउ सास्‍त्री जी के जयंती के दिन अपन एक बरछ पूरा… Read More

15 years ago