आज येदे चार महीना पुर गे हमर गुरतुर गोठ म गोठियावत । हम हर हाल म येला सरलग राखे के कोसिस करबोन । संगी हमर सबले बढे समस्या हे रचना मन ला टाईप करे के, हमन अपन काम धाम म अतका बिपतियाये रहिथन कि येखर बर टेम नई निकाल पावन । गुरतुर गोठ के कोनों पाठक यदि हमला रचना मन के टाईपिंग म बिलकुल निस्वार्थ सहायता कर सकत होवंय त हमला मेल करंय । थोरे थोर सहजोग ले हमर भाखा के उपस्थिति इंटरनेट म बने रहिही । रचना भेजईया रचनाकार…
Read MoreCategory: संपादकीय
दू आखर
बेरा हा कईसे ढरकत जाथे पता नई चलय, देखते देखते हमर ये गुरतुर गोठ के दू महीना पुर गे । ये बीच म हम आपमन बर हमर भाखा के कबिता, कहनी अउ साहित्य के थोकुन सुवाद आपमन बर परसेन । आपो मन अपन टिप्पणी ले हमला बल देहेव आपके ये मया हा हमला सरलग रहे बर पंदोली के काम करिस । आपमन के परेम बने रहिही त हम आप मन बर अइसनेहे धीरे बांधे रचना परसतुत करत रहिबोन । हमर प्रदेस म पाछू महीना चुनाव तिहार के बडा जोर रहिस…
Read Moreदू आखर …..
……………………….ये दे दू नवम्बर २००८ के “गुरतुर गोठ” ला मेकराजाला में अरझे ठाउका एक महीना पूर गय. सत अउ अहिंसा के संसार मे आज अलख जगाये के जबर जरुरत हवय. काबर के चारो कती हलाहल होथे. कहे तुलसी के दोहा के ..” तुलसी मीठे वचन ते सुख उपजत चहुँ और ” .. गजब सारथक हवय. बैर भाव, इरसा, जलन, डाह जमो के अगिन जुडवाय बर जनव जुड पानी कस काम करथे मीठ बोली हा. “गुरतुर गोठ” के जनम अउ उदगार बस ये ही भाव ला हिरदे में धरके होये हवय…
Read Moreदू आखर…. : (सम्पादकीय) बुधराम यादव जी
साहित्य कउनो भाखा , कउनो बोली अउ कउनो आखर मा लिखे जाये . जब ओला समाज के “दरपन” कहे जाथे तब सिरिफ ओकर चेहरा देखाए भर बर नोहय , समाज के रंग रूप ल सँवारे के, कुछ सुधारें के, सोर अउ संदेस घलव साहित्य ले मिले चाही . साहित्य ला अबड़ जतन ले सकेले अउ सहेजे गियान के खजाना घलव कथें . समे के पारखी छलनी मा एकर छनावब हा तभो जरुरी च हो जाथे . छनाये के बाद बांचे-खोंचे सार जिनिस हा देस अउ दुनिया के आगू मा समे…
Read Moreगुरतुर गोठ : छत्तीसगढी
छत्तीसगढ हा राज बनगे अउ हमर भाखा ला घलव मान मिलगे संगे संग हमर राज सरकार ह हमर भाखा के बढोतरी खातिर राज भाखा आयोग बना के बइठा दिस अउ हमर भाखा के उन्नति बर नवां रद्दा खोल दिस । अब आघू हमर भाखा हा विकास करही, येखर खातिर हम सब मन ला जुर मिल के प्रयास करे ल परही । भाखा के विकास से हमर छत्तीसगढी साहित्य, संस्कृति अउ लोककला के गियान ह बढही अउ सबे के मन म ‘अपन चेतना’ के जागरन होही । हमला ये बारे म…
Read Moreगुरतुर गोठ : छत्तीसगढी
छत्तीसगढ हा राज बनगे अउ हमर भाखा ला घलव मान मिलगे संगे संग हमर राज सरकार ह हमर भाखा के बढोतरी खातिर राज भाखा आयोग बना के बइठा दिस अउ हमर भाखा के उन्नति बर नवां रद्दा खोल दिस । अब आघू हमर भाखा हा विकास करही, येखर खातिर हम सब मन ला जुर मिल के प्रयास करे ल परही । भाखा के विकास से हमर छत्तीसगढी साहित्य, संस्कृति अउ लोककला के गियान ह बढही अउ सबे के मन म ‘अपन चेतना’ के जागरन होही । हमला ये बारे म…
Read More