राजनांदगांव ले सात किलोमीटर दूरिहा रवेली गांव हे। रवेली गांव के दाउ बाड़ा के बड़का अंगना म बड़े पेट वाला नान्हे लईका दुलार खेलत रहय, उही समे मा लइका ने नाना सगा के रूप म आइस। नाना ह देखिस बाड़ा के अंगना म तुलसी चौंरा म माढ़े उडगुड़हा पथरा के मद्रासी भगवान कस अंगना म खेलत पेटला लइका हर दिखत हे। त ओ बबा ह नाती ला मजाक म ‘मद्रासी’ कहि दीस। लइका दुलारसिंह ला घर के मन मजाक म मद्रासी कहे लागिन। गांव म मद्रासी सब्द ह बिगड़त बिगड़त…
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गम्मतिहा : मदन निषाद
छत्तीसगढ़ के नाचा के मान ला देस बिदेस म फैलइया कलाकार मन म रवेली अउ रिंगनी साज के कलाकार मन के बड़ नाम हे। दाउ मदराजी के पंदोली अउ हबीब तनवीर के संगत म हमर पारंपरिक खढ़े साज नाचा के कलाकार मन अपन अभिनय के बल म हमर धरोहर लोक नाट्य नाचा के प्रसिद्धी ला चारो मूड़ा बगराईन हे। हमर कलाकार मन के अभिनय ल देख के बड़का बड़का नाट्य निदेसक मन ह चकरा जावय अउ छत्तीसगढ़ के गोदरी के लाल मन के बारंबार बड़ई करय। हमर पारंपरिक नाचा के…
Read Moreनाचा के पहिली महिला कलाकार : फिदाबाई मरकाम
फिदा बाई छत्तीसगढ़ के नाच-गान म पारंगत देवार जात के बेटी रहिस। देवार डेरा म जनम के खातिर फिदा बाई बचपन ले अपन डेरा संग गांव-गांव घूम-घूम के नचई अउ गवइ करय, ओखर संग ड़ेरा के बड़े महिला मन तको नाचय-गावंय। देवार डेरा के पुरूष मन बाजा बजावंय अउ महिला मन नाचय, दाउ-गौंटिया अउ बड़े किसान के घर म नाच-गा के इनाम मांगय। फिदा बाई अपन डेरा म सबले सुन्दर अउ कोइली जइसे कंठ वाली रहिस ओखर सोर चारो मूड़ा बगरे लागे रहिस। इही समे मा नाचा के पुरोधा दाउ…
Read Moreमहान आदिवासी जननेता महाराज परवीरचंदर भंजदेव जी
परवीरचंदर भंजदेव के महतारी परफुल्ल कुमारी देवी के जनम 1910 म होए रहिस। परफुल्ल कुमारी बस्तर के महाराज रूद्र प्रतापदेव के अकलौती (अकेला) संतान रहिन, एकर सेती पिता के इंतकाल होए के बाद 11 बछर के उमर म महारानी बन गइन। परफुल्ल कुमारी के बिहाव मयूर गंज के राजा के बेटा युवराज परफुल्ल चंदर भंजदेव के संग 25 फरवरी 1927 मं हाए रहिस। परफुल्ल चदर के दू बेटा होइस- परवीर चंदर अउ विजय चंद। दू झन बेटी राजकुमारी कमलादेवी अउ गीतादेवी होइस। बड़े बेटा परवीर चंदर के जनम 13 जून…
Read Moreछत्तीसगढ़ के बेटी कौसिल्या
हमर छत्तीसगढ़ के इतिहास कतका प्राचीन हे तेला माता कौसिल्या के कथा ले जाने जा सकथे। भगवान राम ह त्रेतायुग म माता कौसल्या के गर्भ ले अवतरे रिहिस। माता कौसिल्या के नाव ले ही छत्तीसगढ़ के प्राचीनता के परमान मिलथे। छत्तीसगढ़ ल वो जमाना म कौसल देस काहय। कौसल देस के रतनपुर म हैहयवंसी राजा भानुमान के राज रिहिस। इही भानुमान के बेटी रिहिस भानुमती जेन बाद म कौसिल्या नाव ले परसिध्द होइस। बाल्मीकि रामायेन के मुताबिक अयोध्या म युवराज दसरथ के अभिसेक के नेवता कौसल देस के राजा भानुमान…
Read Moreछत्तीसगढ़ के रफी : केदार यादव
सुरता : एक जमाना रहिस जब सत्तर – अस्सी के दसक म आकासवाणी ले छत्तीसगढ़ी के लोकप्रिय गीत ‘बैरी-बैरी मन मितान होगे रे, हमर देस मा बिहान होगे रे’ जब बाजय त सुनईया जम्मा छत्तीसगढ़िया मन ये गीत के संगे-संग गुनगुनाये लागंय। ये गीत के गायक के भरावदार गला अउ सुमधुर कोरस के संग पारंपरिक संगीत ला सुनके रद्दा रेंगईया मन गीत सुने बर बिलम जावंय। अइसन आवाज के धनी गायक अउ संगीतकार के नाम रहिस, केदार यादव, जउन ला छत्तीसगढ़ी के मोहम्मद रफी कहे जाथे। केदार यादव के संगीत…
Read Moreसत के अमरित धार बोहवईया : देवदास बंजारे
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पंथी के बारे म जब-जब बात होही, देवदास बंजारे के नाव ला कभू भुलाए नइ जा सकय। गुरू बाबा घसीदास के अमर संदेसा ला जन-जन मेर पहुचईया अउ पूरा दुनिया म फैइलईया देवदास बंजारे हमर देश के बड़का लोक कलाकार रहिस। हमर प्रदेश के पारंपरिक लोकनृत्य अउ गीत पंथी ल देवदास जी ह न केवल सहरी लोक मंच मन म आघू लाइन भलुक ओला सात समुदर पार देस-बिदेस तक म बगरा दीन। पंथी के महमहई बगरईया देवदास जी के जनम एक जनवरी 1947 म धमतरी के जिला…
Read More31 मार्च सुरता : शांति दाई
अपन दाई के सुमिरन कर अपन मन म कतको परसन मन ला सोचत हे। दाई के जाय के पाछू जम्मो परिवार का छितिर-बितर हो जाथे। ओला पोटारे बर अब कोन हे जेन हा ओ मन ला संभालत राहय, अपन मया के अंचरा मा गठिया के रखय, ते हा अब कहां है कोन कोती चले गे, काबर गिस, का फेर लहुट के आही। आज अशोक हा बिन दाई के लइका होगे हे। ओकर संगे संग ओकर जम्मो दू भाई अउ दू बहिनी मन हा घलो बिन दाई के होगे। बड़ दु:ख…
Read Moreसुरता : पद्मश्री डॉ. मुकुटधर पाण्डेय
30 सितम्बर 1895 के दिन, 113 बरिस पहिली हमर छत्तीसगढ के गंगा, महानदी के तीर बालापुर गांव म एक अइसे बालक के जनम होइस जउन हा बारा बरिस ले अपन गियान के पताका फहरावत पूरा भारत देस के हिन्दी परेमी पाठक मन के हिरदे मा छा गे । ये बालक के नाम रहिस मुकुटधर । बालक मुकुटधर अपन गांवें म संस्कृत, हिन्दी, बंगाली, उडिया संग अंग्रेजी भाखा के पढई करिस अउ आगे पढे बर प्रयाग महाविद्यालय चल दिस । फेर वोला सहराती जिनगी नइ भाइस अउ अपन गांव बालापुर म…
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