सांपसांप! तोला सऊर अभी ले नई आईससहर म बसे के तौर नई आईसपूछत हंव एक ठन बात-जवाब देबे?त कइसे सीखे डसे बर-जहर कहां पाये? पुलजोन मन पुल बनाहींवो मन सिरतौन पाछू रहिं जाहींनहक डारही सेनारावन ह मरही जीत जाही राम हजोन मन बनईया रहिनवो मन बेन्दरा कहाहीं। बिहनिया जागेंव त…बिहनिया जागेंव त घाम बगर गे रिहिसअऊ एक ठन चिरई ह अभीच्चे गीत गावत रिहिस।मेंहा घाम ले कहेंव, मोला थोरिक गरमी देबे का उधार?चिरई ले केहेंव तोर गुरतुर बानी थोरिक उधार देबे का?कांदी के हरियर पाती ले पूछेंव- थोरिक हरियर सुघरई…
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अनुवाद : तीसर सर्ग : सरद ऋतु
कालिदास कृत ऋतुसंहारम् के छत्तीसगढ़ी अनुवाद- अओ मयारुककांसी फूल केओन्हा पहिरे,फूले कमल कसहाँसत सुघ्घर मुंहरनमदमातेहंसा के बोली असछमकत पैजनियां वालीपाके धान के पिंवरी लेसुघ्घर येकसरी देंह केमोहनी रूपनवा बहुरिया कससीत रितु ह आगे। सीतरितुआय ले कांसी फूल ले धरतीचंदा अंजोर म रतिहाहंसा मन लेपानी नदिया के कुई ले तरियाफूल म लहसे छतवन ले बन अउमालती ले बाग बगइचा हरचारों खूंट हो गेहे उज्जर फर-फर। ये बेरा म तुलमुलही, मन भावननान-नान मछरी के करधन चारों खूंटअंडा लर के उज्जरमाली पहिरेचाकर पाट कसकनिहावालीबिन सउर केमोटियारिन कसधीरे-धीरे रेंगत हेनदिया। चांदी, संख अउ कमल कसउज्जरपानी…
Read Moreअनुवाद : बारह आने
(मोरेश्वर तपस्वी ”अथक” द्वारा लिखित ”बारह आने” का अनुदित अंश) वो ह मोर हाथ ल धरलिस अउ एक ठन छोटकन पुड़िया दे के मोर मुठा ल बंद कर दिस अउ कहिस- बाबू जी, आज मोर मंसा ह पूरा होगे। मैं तुम्हीं ल खोजत रहेंव। आज मिलगेव। ये पुड़िया म तुंहर बारा आना ह हावय। बाबूजी, मैं गरीब हंव फेर काकरो उपकार ल रखना नइ चाहवं। दू महीना बनी करके मैं ये बारा आना ल बचाय हांवव। संझा के बेरा रहिस। अगास करिया-करिया बादर छाय रहिस। बादर ल चीर के सुरुज…
Read Moreमिट्ठू मदरसा : रविन्द्रनाथ टैगोर के कहिनी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद
एक ठिक मिट्ठू राहय। पटभोकवा, गावय मं बने राहय। फेर बेद नई पढ़य। डांहकय, कूदय, उड़ियाय, फेर कायदा-कानहून का होथे, नई जानय। राजा कथे ‘अइसने मिट्ठू का काम के’ कोनो फायदा तो नी हे, घाटा जरूर हे। जंगल के जमें फर मन ला थोथम डारथे। ताहन राजा-मंडी म फर फरहरी के तंगी हो जाथे। मंतरी ला बलाके किहिस- ये मिट्ठू ला गियान बिदिया सिखोवव- ‘राजा के भांचा ला सिखोय-पढ़ोय के ठेका देय गीस। गुनी धियानी मन के बइसका होइस। बिचार करिन मिट्ठू म अबुजहापना काके सेती हावे। बनेच गंसियाहा भंजाय…
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