छतीसगढ़ी भाखा

जागव जी जवान, जागव जी किसान। छत्तीसगढ़ी भाखा ल, अपन मानव जी सियान। माटी के मया ल माटी बर बोहाव, छत्तीसगढ़ी भाखा ल, अपन करेजा म जनाव। महतारी के भुइँया, अपन छत्तीसगढ़ ल जानव आघु बढ़ा के येला,येखर मया ल पाव। जागव जी जवान, जागव जी किसान। अपन महतारी भाखा ल गोठियाव जी सियान। छत्तीसगढ़ीं दाई के कोरा म, मया अब्बड़ पाव। साँझ-बिहनिया दाई के सेवा म अपन जिनगी ल बनाव। अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़। प्रशिक्षण अधिकारी आई टी आई मगरलोड धमतरी। मो.न.-7722906664,7987766416

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बइरी जमाना के गोठ

काला बताववं संगी मैं बैरी जमाना के गोठ ल, जेती देखबे तेती सब पूछत रहिथे नोट ल, कहूँ नई देबे नोट ल, त खाय बर परथे चोट ल, काला बताववं संगी मैं बैरी जमाना के गोठ ल। जमाना कागज के हे, इहिमा होथे जम्मो काम ग, कही बनवाय बर गेस अधिकारी मन मेर, त पहिली लेथे नोट के नांव ग, अलग अलग फारम संगी सबके फिक्स रहिथे दाम ग, अउ एक बात तो तय हे, जभे देबे नोट तभे होही तोर काम ग, ऊपर ले नीचे खवाय बर परथे, लिखरी…

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जेठ के कुहर

जेठ के महीना आगे, कुहर अब्बड़ जनावत हे। घाम के मारे मझनिया कून, पसीना बड़ चूचवावत हे। सुरूज नरायन अब्बड़ टेड़े, रुख राई घलों सुखावत हे, येसो के कूहर में संगी, जीव ताला बेली होवत हे। सरसर सरसर हवा चलत हे, उमस के अबड़ बड़हत हे। तरिया नरूआ सुख्खा परगे, चिरई चिरगुन ह ढलगत हे। कुआ बावली के पानी अटागे, पानी पिए बर तरसत हे। सुरुज देवता के मुहू ले घाम, आगी असन बरसत हे। धरती दाई के कोरा ह, तेल असन डबकत हे। इहा रहइया परानी मन, कुहर उमस…

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ढोंगी बाबा

गाँव शहर मा घूमत हावय , कतको बाबा जोगी । कइसे जानबे तँहीं बता, कोन सहीं कोन ढोंगी ? बड़े बड़े गोटारन माला, घेंच मा पहिने रहिथे । मोर से बढ़के कोनों नइहे, अपन आप ला कहिथे । फँस जाथे ओकर जाल मा , गाँव के कतको रोगी । कइसे जानबे तँही बता, कोन सही कोन ढोंगी ? जगा जगा आश्रम खोल के, कतको चेला बनाथे । पढ़े लिखे चाहे अनपढ़ हो , सबला वोहा फंसाथे । आलीशान बंगला मा रहिके, सबला बुद्धू बनाथे । माया मोह ला छोड़ो कहिके,…

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आमा के चटनी

आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे, दू कंऊरा भात ह जादा खवाथे । कांचा कांचा आमा ल लोढहा म कुचरथे, लसुन धनिया डार के मिरचा ल बुरकथे। चटनी ल देख के लार ह चुचवाथे, आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । बोरे बासी संग में चाट चाट के खाथे, बासी ल खा के हिरदय ह जुड़ाथे, खाथे जे बासी चटनी अब्बड़ मजा पाथे, आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे। बगीचा में फरे हे लट लट ले आमा, टूरा मन देखत हे धरों कामा कामा । छुप छुप के चोराय बर…

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अकती के तिहार आगे

अकती के तिहार आगे। लगन धर के बिहाव आगे। मड़वा गड़गे हरियर-हरियर पुतरा-पुतरी दिखता हे सुग्‍घर। मनटोरा के पुतरी, जसोदा के पुतरा तेल हरदी चघ गे, दाई दे दे अचरा। जसोदा के पुतरा के बरात आगे बरा सोहारी बराती मन खावथे। तिहारू ह मांदर मंजीरा बजावतथे। मनटोरा के पुतरी के होवथे बिदई कलप-कलप के रोवत हे दाई। नवा बहुरिया संग उछाह आगे अकती के तिहार आगे घर-घर लगन माड़गे। – डॉ.शैल चंद्रा रावणभाठा, नगरी, जिला धमतरी

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अकती तिहार

चलव दीदी चलव भईया, अकती तिहार मनबोन ग। पुतरी पुतरा के बिहाव करबो, मड़वा ल गडीयाबोन ग। कोनो लाबो डारा पाना, कोनो तोरन बनाबोन ग। चलव लीपव अंगना परछी, अकती तिहार मनाबोन ग। चलव सजाबो दूल्हा दुल्हीन, सुरघर महेंदी लगाबोन ग। दुदुंग दुदूंग बजही बाजा, दूल्हा दुल्हीन ल नचवाबोन ग। अकती के दिन सबले बढ़िया, चलव सुरघर टिकावन टिकबोन ग। अकती दिन महुरत लगे न सहुरत, चलव बर बिहाव ल करबोन ग। युवराज वर्मा बरगड़ा (साजा) जिला बेमेतरा

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जब बेंदरा बिनास होही

वो दिन दुरिहा नई हे, जब बेंदरा बिनास होही, एक एक दाना बर तरसही मनखे, बूंद बूंद पानी बर रोही, आज जनम देवैया दाई-ददा के आँखी ले आँसू बोहावत हे, लछमी दाई कस गउ माता ह, जघा जघा म कटावत हे, हरहर कटकट आज मनखे, पाप ल कमावत हे, नई हे ठिकाना ये कलजुग में, महतारी के अचरा सनावत हे, मानुष तन में चढ़े पाप के रंग ल, लहू लहू में धोही, वो दिन दुरिहा नई हे, जब बेंदरा बिनास होही। भूकम्प, सुनामी अंकाल, जम्मो संघरा आवत हे, आगी बरोबर…

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छत्तीसगढ़ी बोलबो

मया के मधुरस करेजा म घोलबो, गुरतुर बोली छत्तीसगढ़ी ल बोलबो। भाखा हे मोर बड़ सुघ्घर-सुघ्घर। सारी जिनगी मिल-जुल के लिखबो, बोली हे हमर बढ़िया भाखा हे, गोठियाये के मन म बड़ अभिलासा हे। सारी जगहा अपन बोली-भाखा ल, बगराबो छत्तीसगढ़ी भाखा गोठियाबो। जुन्ना-नवा परंपरा ल अपनाबो, छत्तीसगढ़ी संस्कृरिति ल सब्बो ल जनाबो। संगी-जहुरिया संग छत्तीसगढ़ी गोठियाबो। अपन बोली भाखा ल अपनाबो। जोहार छत्तीसगढ़ के नारा सब्बो जगहा लगाबो, छत्तीसगढ़ी गोठियाबो, छत्तीसगढ़ी गोठियाबो। अनिल कुमार पाली, ‘जुगनी’ तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़। प्रशिक्षण अधिकारी आई टी आई मगरलोड धमतारी मो.न.-7722906664,7987766416 ईमेल:- anilpali635@gmail.com

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जब ले बिहाव के लगन होगे

संगी, जब ले बिहाव के लगन होगे बदल गे जिंनगी,मन मगन होगे। सात भांवर, सात बचन, सात जनम के बंधन होगे। एक गाड़ी के दू चक्का जस, दू तन एक मन होगे। सांटी के खुनुर- खुनुर, अहा! सरग जस आंगन होगे। भसम होगे छल-कपट सब, बंधना पबरित अगन होगे। नाहक गे तन्हाई के पतझड़, जिंनगी तो अब चमन होगे। समे गुजरगे तेन गुजर गे भले अइसने, अब ले एक-दूसर के जीवन होगे। मोर जीवन साथी सबले सुघ्घर, देखके ये भाव, सब ल जलन होगे। एक ले भले दू कहिथें, दूनों…

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