दोहा : गरमी अऊ पानी

गरमी आवत देख के, तोता बोले बात। पाना नइहे पेड़ मा, कइसे कटही रात।। झरगे हावय फूल फर, कइसे भरबो पेट। भूख मरत लइका सबो, जुच्छा हावय प्लेट।। नदियाँ नरवा सूख गे, तरिया घलव अटाय। सुक्खा होगे बोर हा, कइसे प्यास बुझाय।। पानी खातिर होत हे, लड़ई झगरा रोज। मार काट होवत हवय, थाना जावत सोज।। टपकत हावय माथ मा , पसीना चूचवाय। गरम गरम हावा चलत, अब्बड़ घाम जनाय।। कइसे बांचे जीव हा , चिन्ता सबो सताय। पानी नइहे बूंद भर, मोला रोना आय।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा…

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प्रेम रंग

प्रेम रंग में अइसे रंगाहु तोला प्रेम रंग में। कभू झन निकले गोरी। मोर मया के रंग ह वो।। मया बढ़ाये रइबे। झन छूटे संग ह वो।। एसो के होली म गोरी। रंग गजब लागहु वो।। आके तोर पारा म गोरी। रंग तोला लागहु वो।। झन छूटे मया ह गोरी। एसो के होली म वो।। संगी साथी संग म आहु। खेले बर होली वो।। लाल हरा पिला गोरी। रंग गुलाल उड़ा बोन वो।। जलईया ल जलन दे। मजा दोनों उड़ा बोन वो।। युवराज वर्मा ग्राम -बरगड़ा(साजा) जिला-बेमेतरा(छःग) मो.9131340315 [responsivevoice_button voice=”Hindi…

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रंग डोरी होली

रंग डोरी-डार ले गोरी, मया पिरीत के संग म, आगे हे फागुन मोर नवा-नवा रंग म। झूमे हे कान्हा-राधा के संग म, मोर संग झुम ले तै, रंग के उमंग म। रंग ले भरे गोरी, तोर लाल-लाल गाल हे, होरी म माते, तोर रंग के कमाल हे। फ़ाग गए फगुनिया, जियरा बेहाल हे, रात भर बाजे नंगाडा, सुर अउ ताल हे। रंग म तै मात ले गोरी, रंग के तिहार हे, हरियर अउ लाल, तोर म दिखथे बवाल हे। रंग के तिहार, होली रंग के तिहार हे, नवा-नवा रंग म,…

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धीर लगहा तैं चल रे जिनगी

धीर लगहा तैं चल रे जिनगी, इहाँ काँटा ले सजे बजार हवय। तन हा मोरो झँवागे करम घाम मा, देख पानी बिन नदिया कछार हवय।। मया पीरित खोजत पहाथे उमर, अऊ दुख मा जरईया संसार हवय।। कतको गिंजरत हे माला पहिर फूल के, मोर गर मा तो हँसिया के धार हवय।। सच के अब तो कोनों पुछईया नहीं, झूठ लबारी के जम्मो लगवार हवय।। पईसा मा बिकथे, मया अउ नता, सिरतोन बस दाई के दुलार हवय।। राम कुमार साहू सिल्हाटी, कबीरधाम मो नं 9340434893

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पइधे गाय कछारे जाय

पइधे गाय कछारे जाय भेजेन करके, गजब भरोसा। पतरी परही, तीन परोसा। खरतरिहा जब कुरसी पाइन, जनता ल ठेंगवा चंटवाइन। हाना नोहे, सिरतोन आय, पइधे गाय, कछारे जाय ॥ ऊप्पर ले, बड़ दिखथे सिधवा, अंतस ले घघोले बघवा। निचट निझमहा, बेरा पाके, मुंहूं पोंछथें, चुकता खा के। तइहा ले टकरहा आय, पइधे गाय कछारे जाय ॥ गर म टेम्पा, घंटी बांधव, चेतलग रहि के बखरी राखव। रूंधना टोरिस हरहा गरूवा, घर के घला, बना दिस हरूवा। हरही संग, कपिला बउराय। हाना नोहे, सिरतोन आय, पइधे गाय, कछारे जाय ॥ –गजानंद…

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महतारी भासा

मातृभासा म बेवहार ह बसथे, इही तो हमर संसकार ल गढथे। मइनखे के बानी के संगेसंग, सिक्छा म वोकर अलख ह जगथे। लईकोरी के जब लईका रोथे, इही भाखा के बोल ह फबथे। आगू आगू ले सरकथे काम, महतारी के घलो मान ह बड़थे। समाज के होथे असल चिन्हारी, भासा म जब हमर संसकिरती ह रचथे। सकलाइन एके ठऊर म त, एकजुटता के भावों ह पनप थे। नवा पीढ़ी के मइनखे मन, घरघुन्दिया असन मिन्झारत हे। अंतस म बसे भाखा के मया ल, हंसी ठिठोरी करत बेंझावत हे। महतारी भासा…

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कइसे उदुप ले डोकरा होगे

कइसे उदुप ले डोकरा होगे जंगल के बघवा तेंहा, कइसे चऊंर–चाबे बोकरा होगे। एक कोरी म छै बछर कम, कइसे उदुप ले, डोकरा होगे।। जौन आथे तौन, बखरी ला उजारथे। पेट ला हमर काट के, देखावटी सुलारथे। छत्तीसगढ़ ल चरागन भुंइया बना लीन, चोरहा मन चौरस्ता म कोतवाल ल ललकारथे। मिठलबरा मन के डिपरा पेट, हमर बीता भर खोदरा होगे। तोर रग रग म, पैरी महानदी उछलथे, तोर बहां म सिहावा कांदा डोंगर उचकथे। सुरूज कस जोत तोर आंखी बरथे। तोर भाखा गरू, बादर असन गरजथे ॥ अपन आप ल…

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मोर भारत देश के माटी

चंदन के समान हे, जेकर पावन कोरा मे जनमे देवता कस बेटा किसान हे, इही माटी मे जनम धरेंव ये बात के मोला अभीमान हे। कोनो हिन्दु हे कोनो मुस्लिम, कोनो सिख ईसाई हे, मया पिरीत के डोरी बंधाहे, जम्मो झन ह भाई ये, रमायन, गीता, बाईबल कोनो मेर, कहुँ गुरू ग्रंथ अऊ कुरान हे, इही माटी मे जनम धरेंव ये बात के मोला अभीमान हे। हर मनखे के नस नस मे, जिहा दया मया ह बोहाथे, जिंहा कोयली बरोबर किसम किसम के, बोली भाखा सुहाथे, जिहा बखत परे मे…

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बसंती हवा

लाल लाल फूले हे, परसा के फूल। बांधे हे पेड़ मा, झूलना ला झूल। पिंयर पिंयर दिखत हे, सरसों के खेत। गाय गरु चरत हे, करले थोकिन चेत। टप टप टपकत हावय, मऊहा के फर। बीन बीन के टूरी तैं, झंऊहा मा धर। आये हे बसंत रितु, चलत हे बयार। मेला घूमे ला जाबोन, रहिबे तइयार। आवत हे होली अऊ, गाबोन जी फाग। मय गाहूं गाना अऊ, तैं झोंकबे राग। मटक मटक रेंगत हे, मोटियारी टूरी। खन खन बजावत हे, हाथ के चूरी। फुरुर फुरुर चलत हे, बसंती हवा। मटकावत…

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14 फरवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस खास…

तुहर मया खेलय कूदय रेहेव ननपन म, तोर मया के छाँव म। शहर म नइये अइसने सुख, जे मिलथे हमर गाँव म।। छलकत रहिथे ओ दाई, अब्बड़ मया हा तोर। कभु कभु तुहर मया म, टपकथे आँखी ले झोर।। नी सिरावय जइसने, चँदा सुरुज के अंजोर। वइसने अजर अमर हे दाई, तोर मया के डोर।। बुता करत हे ददा घलो, पानी बादर मंझनिया। लिखाय पढ़ाय बर हमन ल, कमाथे संझा बिहनिया।। रहिथो भले रईपुर म मैहा, पुछत रहिथो तुहर सोर। बने-बने हाबे ना, दाई ददा ह मोर।। डोकरी दई, बबा…

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