दुलरवा रहिथन दई अऊ बबा के, जब तक रहिथन घर म। जिनगी चलथे कतका मेहनत म, समझथन आके सहर म।। चलाये बर अपन जिनगी ल, चपरासी तको बने बर परथे। का करबे संगी परवार चलाये बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।। इंजीनियरिंग, डॉक्टरी करथे सबो, गाड़ा-गाड़ा पईसा ल देके। पसीना के कमई लगाके ददा के, कागज के डिग्री ला लेथे।। जम्मो ठन डिग्री ल लेके तको, टपरी घलो खोले बर परथे। का करबे “राज” ल नौकरी बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।। लिख पढ़ के लईका मन ईहाॅ, बेरोजगारी म…
Read MoreCategory: कविता
सुन वो नोनी के दाई, आदमी
सुन वो नोनी के दाई, जाड़ मे होगे बड़ करलाई, छेना लकड़ ल अब तै सितावन झन दे, गोरसी के आगी ल बुतावन झन दे, सिरतोन कहात हस नोनी के ददा, जाड़ ह होगे बड़े जन सजा, जाड़ के मारे पोटा ठीठुरगे, डोकरी डोकरा मन जाड़ मे मरगे, कथरी चद्दर ल जाड़ मे अब मड़ावन झन दे गोरसी के आगी ल बुतावन झन दे, हु-हु करथे दाँत किटकीटागे, कतको झन के परान उड़ागें, स्वेटर चद्दर जम्मो ओढ़े, कमरा कथरी सबो सिरागे, जाड़ गजब हे, नोनी ल कोनो डाहर जावन झन…
Read Moreईंहा के मनखे नोहय
जिंहा के खावत हे तेकर गुण ल नई गाही, तिरंगा के मया बर अपन लार ल नई टपकाही, वोहा ईंहा के मनखे नोहय I जेन ह ईंहा के माटी ल मथोलत हे, अपनेच दांदर ल मरत ले फुलोवत हे, वोहा ईंहा के मनखे नोहय I कनवा खोरवा मुरहा ल जेन ह कुआं म ढपेलत हे, मदहा अऊ जाँगरओतिहा ल सरग म चढ़ोवत हे , वोहा ईंहा के मनखे नोहय I जेकर मिहनत के कमई म उदाली मार जियत हे, उकरे मिहनत ल जेन ठेंगा दिखावत हे, वोहा ईंहा के मनखे…
Read Moreबसंत बेलबेलहा
सर सरात हवा संग जुन्ना पाना झरथे । फोंकियाये रूख के फुनगी बाती कस बरथे । रात लजकुरहीन संग दिन बरपेलिहा । दिल्लगी करथे चुपचुप बसंत बेलबेलहा । आमा जम्मो मऊरगे बउराये मन बऊरगे । चुचवाय संगी संऊरगे ललचाये अबड़ दंऊड़गे । सृस्टि दुलहिन बिहाये बर बरतिया बनगे ठेलहा । दुलहा बनके आये हे बसंत बेलबेलहा । हरियर डारा म बइठके कोइली मन कुहके । भौंरा अऊ तितली मन फूल के रस चुंहके । रसरसाय के बेरा आगे रहय कहूं नइ तनहा । फेर गुदगुदावथे रति ल रितुराज बेलबेलहा ।…
Read Moreपरमेश्वर के आसन
गांव-गांव पंचइती, खुलगे बांचे खुल जाही। अइसन सबे गांव हर ओकर, भीतर झटकुन आही।। गांव-गांव पंच चुनाही, भले आदमी चुनिहा। जेहर सबला एक इमान से, थाम्हे घर कस थुनिहा।। गांव के बढ़ती खातिर अब, लंजावर कमती होही। ओतके मिलही सफा बात ये, जउन हर जतका बोंही।। जतके गुर ततके मिठास कस, जउन काम जुरहीं। मिल के काम सबो छुछिंद हो, एक मती हो कुरहीं।। बनही, बात, बतंगड़ कमती- धीरे-धीरे होही। अलग चिन्हाऊ हो जाही जे, फोकट कोनो ला बिटोही।। पंच के पदवी पबरित हे, ये परमेश्वर के आसन। जे पद…
Read Moreगणतंत्र दिवस के करा तइयारी
झूमत हावय सब नर नारी छोड दा जम्मो अब लाचारी कुर्बानी के फल गुरतुर हावय गणतंत्र दिवस के करा तइयारी संगी जहुंरिया खुशी मनावा मां के जय जय कार लगावा भारत मां के गीत ला गावा ढोल नगाडा आज बजावा लइका जम्मो एति आवा परसाद के पुडिया धर के खावा आनंदित हे दुनिया सारी गणतंत्र दिवस के करा तइयारी खुशी जम्मो मनावत हे भउजी घलो लजावत हे भइया काबर दुरिहा हे ओखरो बर परसाद के पुडिया हे भारत मां तिहार हे लइका मन हुसियार हे लइका तुमन शान बढावा भारत…
Read Moreचरगोड़िया – छत्तीसगढी़ मुक्तक
(1) भइया नवा जमाना आगे । हमरे करनी हमला खागे । चल थाना म रपट लिखाबो हमर मान मरजाद गँवागे ।। (2) कइसन होगे हमर करम ? कहाँ लुकागे हमर धरम? मोटियारी मन ला नई लागै फुलपेंट म लाज सरम ।। (3) धान होगे बदरा, मितान होगे लवरा, नदिया के पानी घलो, होत हवै डबरा। ओरछा के पानी हा, बरेंडी कोती जात हवै कतकोन नेता मन, होगें चितकबरा ।। (4) करम देस के फाटत हे । अउ जनता ला काटत हे । राजनीति आरक्षन के हमर देस ल बाँटत हे…
Read Moreडॉक्टर दानी के बानी
आजकल पढैया लैक मन बर ज़रूरी होगे हवय ट्यूसन, कारकि अब सिक्षा के क्षेत्र मा घलो बढ गेहे कांपिटिसन, हम तो अलवा जलवा गुटका ला पढ के पास होय रेहेन, वो समय तो कक्षा म चिलम चढा के आवय सिक्षक मन्, अब के स्कूल डिसीप्लीन ला बड़ महत्व देथे,साथे साथ, हर बछर उमन फ़ीस ला बढावत जावत हवय दनादन, अउ उही मन कहिथे कि नंबर पाना है तो ट्यूसन पढव, हमर से ट्यूसन पढहू तभे परीक्षा म पा सकहू नंबर वन। पर इंखर ट्यूसन फ़ीस हा स्कूल के फ़ीस से…
Read Moreपताल के चटनी
चीरपोटी पताल अऊ बारी के मिर्चा डार के सील मे, दाई ह चटनी बनाय जी, सिरतान कहात हंव बड़ मिठावय, दु कंवरा उपराहा खवाय जी, रतीहा के बोरे बासी संग, मही डार के खावन, अपन हांथ ले परोसय दाई, अमरीत के सुख ल पावन, बदल गे जमाना, सील लोड़हा ह नंदागे जी, मनखे घलो बदल गे संगे संग, मसीन के जमाना आगे जी, अब बाई बनाथे चटनी, मिक्सी में पीस के, थोरको नई सुहाय जी, गरज टारे कस पीस देथे थोरको मया नई मिलाय जी। बिहनीया के गोठ आय, भैया…
Read Moreअलकरहा जाड़
अलकरहा जाड़ के भईया होगे एंसो चढ़ाई हे। बीच बतीसी कटकट माते बीन हथियार लड़ाई हे।। जाड़ खड़े-खड़े हांसत हे कथरी बिचारी कांपत हे। आगी भकुवाय परे हे कमरा सेटर कांखत हे।। करिया भुरुवा बादरा रही रही मटमटावत हे। रगरग ले ऊवईया घलो सुरुज देव लजावत हे।। खरसी भूंसा मा डोकरी दाई गोरसी ला सिरजाये हे। भाग जतीस जाड़ रोगहा बारा उदिम लगाये हे ।। गोरसी घेरे कुला जरोवत टुरा अभी ले बईठेच हे। बेरा चढ़गे होगे मंझनिया फेर हाड़ागोड़ा अईंठेच हे।। होवत बिहिनिया के उठई संगी अब्बड़ बियापत हे।…
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